आज का समाज धीरे-धीरे एक ऐसा समाज बनता जा रहा है, जहां योग्यता से अधिक पीड़ित होने पर सम्मानित किया जाता है। खास बात यह है कि यह प्रवृति खेलों में स्पष्ट रुप से दिखाई दे रही है। खराब प्रदर्शन और बाद में मैच फिक्सिंग में शामिल होने के कारण बाहर हुए दक्षिण अफ्रीकी विकेटकीपर थामी सोलेकाइल (Thami Tsolekile) की भी यहीं कहानी है। दक्षिण अफ्रीका अब इस खिलाड़ी को टीम से बाहर निकाले जाने को उसके प्रदर्शन से नहीं, बल्कि उसके रंग से जोड़कर देख रहा है। वहां के लोग इस खिलाड़ी को रंगभेद नीति का पीड़ित घोषित कर रहे हैं।
SJN ट्रिब्यूनल ने की ग्रीम स्मिथ की आलोचना
दक्षिण अफ्रीका की सोशल जस्टिस एंड नेशन-बिल्डिंग (SJN ) ट्रिब्यूनल ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत किया है, जिसमें थामी सोलेकाइल (Tsolekile) की गलतियों पर पर्दा डालते हुए उसे विक्टिम दिखाने का प्रयास किया है। ट्रिब्यूनल का सुझाव है कि थामी सोलेकाइल का असफल करियर मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बिरादरी द्वारा कथित तौर पर अश्वेत विरोधी नस्लवाद के कारण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि “प्रोटियाज टीम में थामी सोलेकाइल के सफल नहीं होने के मुख्य कारण में उनके स्किन कलर के कारण हुए नस्लवाद के विकल्प को बाहर नहीं कर सकते।”
खिलाड़ियों की व्यक्तिगत योग्यता के आधार पर अपनी टीम का चयन करने के लिए पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ की आलोचना करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि “CSA, ग्रीम स्मिथ और उस समय के कुछ चयनकर्ता थामी सोलेकाइल और अपने समय के कई अश्वेत खिलाड़ियों के साथ न्याय करने में असफल रहे हैं।”
Tsolekile को बाउचर के विकल्प के रूप में देखा गया था
ध्यान रहे कि वर्ष 2012 में, मार्क बाउचर को एक दुर्भाग्यपूर्ण आंख की चोट के कारण संन्यास की घोषणा करनी पड़ी। लगभग दो दशकों के बाद ऐसा मौका आया था, जब दक्षिण अफ्रीकी टीम में विकेटकीपिंग स्लॉट खाली था और योग्यता-आधारित चयन किया जा सकता था। तब कई लोगों को लगा था कि Cape Cobras टीम के कप्तान थामी सोलेकाइल (Tsolekile) बाउचर के विकल्प हो सकते हैं। चूंकि, एक उत्कृष्ट विकेटकीपर होने के अलावा, बाउचर बल्ले से भी उपयोगी बल्लेबाज़ थे। ऐसे में चयनकर्ताओं के लिए उनका विकल्प चुनना काफी कठिन था।
थामी सोलेकाइल (Tsolekile) निस्संदेह विकेटकीपर के तौर पर पहली पसंद थे, लेकिन उनकी बल्लेबाजी किसी टेल-एंडर्स से कम नहीं थी। उस समय जब एम एस धोनी, ब्रैड हैडिन और क्रेग कीस्वेटर जैसे विकेटकीपर अपनी टीम के लिए विकेटकीपिंग के साथ-साथ हिटर के रूप में धूम मचा रहे थे, तब 30 से कम औसत वाले विकेटकीपर को टीम में स्थान देने का कोई अर्थ नहीं था। इसीलिए दक्षिण अफ्रीकी चयनकर्ताओं ने दूसरे विकल्पों की ओर ध्यान देना आरंभ किया।
डिविलियर्स और बाद में डी कॉक साबित हुए बेहतर बल्लेबाज
उस दौरान दक्षिण अफ्रीका की टीम में अन्य विकल्पों को देखा जाए, तो एबी डिविलियर्स तब अपने आप को एक बेहतरीन बल्लेबाज के रूप स्थापित कर चुके थे। इसके अलावा, वह सबसे बेहतरीन फील्डर थे और उन्होंने अतीत में विकेटकीपिंग भी की थी। उनकी प्रतिभा को देखते हुए चयनकर्ताओं ने उन्हें स्थायी विकेटकीपर के लिए एक उत्कृष्ट उम्मीदवार माना। स्वाभाविक रूप से, डिविलियर्स को विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बाद में डिविलियर्स ने चयनकर्ताओं को निराश नहीं किया और क्विंटन डी कॉक के आने से पहले तक टीम के लिए बेहतरीन विकेटकीपर साबित हुए।
जैसे ही डिविलियर्स के ऊपर काम का बोझ बढ़ा CSA ने एक नए और युवा विकेटकीपर की तलाश शुरू कर दी। वर्ष 2014 में क्विंटन डी कॉक ने अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए रनों की झड़ी लगा दी, जिसके बाद थामी सोलेकाइल (Tsolekile) के दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम का विकेटकीपर के तौर पर नियुक्त किए जाने की उम्मीद भी समाप्त हो गयी। अब डिविलियर्स के संन्यास के बाद डी कॉक टीम के अहम खिलाड़ी बन चुके हैं।
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सोलेकाइल एक मैच फिक्सर और एक अक्षम बल्लेबाज थे!
दूसरी ओर थामी सोलेकाइल (Tsolekile) राष्ट्रीय टीम के आसपास दिखें, लेकिन उनकी सीमित प्रतिभा के कारण उनका चयन टीम में नहीं हुआ। बढ़ती उम्र के साथ-साथ डिविलियर्स और डी कॉक के शानदार प्रदर्शन ने उनकी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को धूमिल कर दिया। सोलेकाइल (Tsolekile) के टीम में चयन का एकमात्र कारण खराब प्रदर्शन नहीं था, बल्कि वर्ष 2015 में, एक मैच फिक्सिंग कांड में भी उनका नाम सामने आया। दक्षिण अफ्रीका के घरेलू T20 टूर्नामेंट के दौरान थामी सोलेकाइल (Tsolekile) उन खिलाड़ियों में से एक थे, जिन्होंने प्रतियोगिता के दौरान फिक्सिंग की योजना बनाने की बात कबूल की थी। बाद में उन्हें आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त टूर्नामेंट के सभी रूपों में खेलने से 12 साल का प्रतिबंध लगा दिया गया।
नस्लवाद और दक्षिण अफ्रीका
बताते चलें कि नस्लवाद दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट में सबसे चर्चित विषयों में से एक रहा है। टीम को अनिवार्य रूप से उनके रंगों के आधार पर खिलाड़ियों का चयन करना होता है। कोटा के कारण, टीम जो कभी अपने विश्व स्तरीय खिलाड़ियों के लिए जानी जाती थी, अब उसके अस्तित्व पर ही संकट के बाद मंडरा रहे हैं। यह सच है कि दक्षिण अफ़्रीकी क्रिकेट में अतीत में अश्वेत विरोधी पूर्वाग्रह रहा है। परंतु, अब यह मामला कुछ अधिक ही बढ़ चुका है, जिसके कारण वहां के प्रतिभाशाली खिलाड़ी अपने करियर को संवारने के लिए अन्य देशों का रुख कर सकते हैं! हालांकि, इस मामले में तो एक अक्षम खिलाड़ी के लिए विश्व के सबसे सफल कप्तानों में से एक ग्रीम स्मिथ को खलनायक बनाया जा रहा है।