इस्लामिक देश तुर्की अब सन् 1920 वाला तुर्की हो गया है, जब ओटोमन साम्राज्य की हुकूमत थी और इस्लाम का दबदबा बुलंद था। हम ऐसा क्यों कह रहे हैं? क्योंकि एक-एक करके तुर्की में ईसाइयों के निशान और धार्मिक स्थल मिटाए जा रहे हैं। तुर्की अभी भी इस क्षेत्र से स्थानीय ईसाइयों का सफाया करने के बाद भी धार्मिक स्थल, धार्मिक स्वतंत्रता और इतिहास का उल्लंघन कर रहा है। वहीं, बीते दिन क्रिसमस के अवसर पर तुर्की ने ईसाइयों को कड़ा संदेश दे दिया है, जिसमें कभी दुनिया का सबसे बड़ा गिरजाघर कहलाने वाला हागिया-सोफिया अब एक मस्जिद बन चुका है।
चर्च ऑफ हागिया सोफिया अब मस्जिद बन गया है
दरअसल, 10 जुलाई 2020 को तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने लगभग 1,500 वर्षीय हागिया सोफिया को एक मस्जिद में बदलने का आदेश दिया था। तब तुर्की के अदालत ने सन् 1934 के तत्कालीन राष्ट्रपति के उस फरमान को रद्द कर दिया, जिसने इसे एक संग्रहालय बना दिया था। ऐतिहासिक इमारत को आठ दशकों से अधिक समय तक संग्रहालय के रूप में संचालित करने के बाद पहली बार 24 जुलाई को एर्दोगन पूर्व हागिया सोफिया कैथेड्रल के अंदर प्रार्थना के लिए हजारों मुसलमानों के साथ में शामिल हुए।
तुर्की के शीर्ष धार्मिक प्राधिकरण, धार्मिक मामलों के निदेशालय ने नमाज़ का नेतृत्व करने के लिए इमाम और मुअज्जिन को नियुक्त किया। वहीं, अब हागिया सोफिया के अंदर दो हरे तुर्क झंडे लगाए गए हैं। ध्वज ओटोमन सैन्य विजय का प्रतिनिधित्व करता है और उस पर बने तीन सफेद अर्धचंद्र यूरोप, एशिया और अफ्रीका के तुर्क कब्जे का प्रतीक हैं।
12वीं शताब्दी का इतिहास दोहरा रहा है तुर्की
डायनेट के प्रमुख, प्रोफेसर Ali Erbas ने हाथ में तलवार लेकर एक धर्मोपदेश सुनाया। पंद्रहवीं शताब्दी में कॉन्स्टेंटिनोपल पर आक्रमण करने वाले तुर्क सुल्तान महमूद खान (द्वितीय) को ‘विजेता’ के रूप में संदर्भित करते हुए, Erbas ने कहा कि “विजेता सुल्तान महमूद खान ने इस जगह को [हागिया सोफिया फाउंडेशन को] संपन्न किया ताकि यह कयामत के दिन तक एक मस्जिद बनी रहे। जो लोग उस चीज़ का उल्लंघन करेंगे, उन्हें शाप दिया जाएगा।” वहीं, अब तुर्की ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर चर्च ऑफ हागिया सोफिया को एक मस्जिद में बदल दिया है।
बता दें कि ऐनोस के हागिया सोफिया का चर्च, 12वीं शताब्दी की एक बीजान्टिन इमारत है और इसे 1456 में मेहमेद द कॉन्करर द्वारा विजय के बाद मस्जिद में बदल दिया गया था और अब उसी नाम से फिर वह खुल गया है। तुर्की के धार्मिक मामलों केके निदेशालय के अध्यक्ष Ali Erbas ने कहा है कि “पिछले साल इस्तांबुल में हागिया सोफिया मस्जिद के उद्घाटन के बाद, हम आज फिर यहां मिल रहे हैं और आज ऐनू-एडिरने में हागिया सोफिया मस्जिद के उद्घाटन होने जा रहा है।”
कट्टरता के रास्ते पर चल रहा है तुर्की!
अपने भाषण के दौरान Ali Erbas ने कहा कि “इस्लामी संस्कृति एक ऐसी संस्कृति है, जो मस्जिद पर केंद्रित है। कुछ महीने पहले, हमने बाल्कन देशों का दौरा किया था। जहां हमारी आंखें किसी मीनार को देखती हैं, वहां हमारा दिल फड़फड़ाने लगता है। हम जहां भी कोई मस्जिद या मीनार देखते हैं, हम खुश हो जाते हैं। अब हम हागिया सोफिया मस्जिद को इबादत के लिए फिर से खोल रहे हैं। सर्वशक्तिमान अल्लाह इसे (मस्जिद) आशीर्वाद दे। हमारे पास कितनी सुंदर एकता और एकजुटता है कि हम सब यहां एक संस्था के रूप में हैं।
वहीं, Ali Erbas की प्रार्थना के बाद, उनके भाषण के अंत में, रिबन काटा गया और इसका उद्घाटन किया गया। यह सिर्फ एक मस्जिद खुलने का खेल नहीं है। यह इससे बड़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि तुर्की चाहता तो वह बाद में भी मस्जिद का उद्घाटन कर सकता था, लेकिन 25 दिसम्बर की तारीख चुनकर उसने दुनिया भर के ईसाइयों को सन्देश दिया है कि वह किस कट्टरता के रास्ते पर चल रहा है। ऐसे में, दुनिया भर के चर्चों ने मस्जिद बनाने पर तुर्की की कड़ी निंदा की है वहीं, तुर्की यह मानता है कि ओटोमन साम्राज्य के गिराने में ईसाइयों का बड़ा हाथ था और यह मस्जिद बनना उसी का बदला लेने जैसा है।