लोहा लोहे को काटता है, यानि आक्रामकता का सामना आक्रामक होकर ही किया जा सकता है, रक्षात्मक होकर नहीं। हर युद्ध बल से नहीं जीता जाता, कुछ के लिए बुद्धि का भी प्रयोग करना पड़ता है और देर सवेर ही सही, परंतु परिणाम अवश्य दिख जाता है। हाल ही में यूके के प्रभावशाली सिख समुदाय ने अपने प्रसिद्ध क्षेत्र साउथ हॉल के पार्क एवेन्यू स्थित गुरुद्वारा गुरू सभा में बीते दिन रविवार को एकत्रित होकर पीएम मोदी के प्रति आभार प्रकट किया है एवं उनके अनेक निर्णयों की प्रशंसा भी की है। जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि यूके के सिख समुदाय ने खालिस्तानियों के विरुद्ध मोर्चा खोलकर सिख पंथ के लिए आशा की एक नई किरण जगाई है।
सिख समुदाय ने पीएम मोदी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने सिखों के लिए और उनकी गलतफहमी को दूर करने के लिए बहुत कुछ किया है। ब्रिटिश सिखों ने पीएम द्वारा 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस घोषित करने के लिए भी उनका धन्यवाद किया। मंडली में शामिल सिख नेताओं और गुरुद्वारा समिति के पदाधिकारियों ने उन लोगों को चुनौती दी, जो भारत और यहां की वर्तमान सरकार के बारे में तथ्यात्मक रूप से गलत चीजों को आगे बढ़ा रहे हैं।
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ब्रिटिश सिख एसोसिएशन ने भी किया था समर्थन
इससे पहले ब्रिटिश सिख एसोसिएशन ने पीएम मोदी के समर्थन में अपना बयान जारी किया था और पंजाब में पीएम की सुरक्षा में हुई चूक पर पंजाब सरकार को लताड़ भी लगाई थी। अपने बयान में सिख एसोसिएशन ने पीएम की सुरक्षा में हुई चूक मामले की घोर निंदा करते हुए कहा था कि जिन लोगों ने पीएम मोदी का रास्ता रोका, उन्होंने असल में पंजाब का विकास रोका है
एसोसिएशन के चेयरमैन लॉर्ड रामी रेंजर ने कहा,“मैं बताना चाहूँगा कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुनानक देव की जयंती के अवसर पर पंजाब के किसानों के सम्मान में तीन कृषि कानून खत्म करने का निर्णय लिया। उसे संसद से खत्म कराया। पंजाब के लोगों को तो इसके लिए पीएम मोदी के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए। जिन लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी का रास्ता रोकने की कोशिश की, बाद में उन्हें अहसास हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी पंजाब के लोगों और भी कई सौगातें देने आए थे। पीएम के रास्ते में गतिरोध पैदा करके इन लोगों ने पूरे पंजाब के विकास को रोका है।”
ध्यान देने वाली बात है कि यूके एक समय पर कनाडा के समान खालिस्तान का केंद्र रहा है और प्रतिबंधित संगठन Sikhs for Justice का एक केंद्र लंदन भी रहा है। ऐसे में यूके के सिख समुदाय का पीएम मोदी के समर्थन में सामने आना इस बात का परिचायक है कि सब कुछ भारत विरोधियों के पक्ष में नहीं है। इसकी नींव कहीं न कहीं वीर बाल दिवस के निर्णय से भी पड़ी थी।
पीएम ने हाल ही में किया था बड़ा ऐलान
बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जनवरी 2022 को ‘गुरु पर्व’ यानी गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती के अवसर पर एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि इसी वर्ष से प्रत्येक वर्ष 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जायेगा। यह साहिबजादों के साहस और वीरता की एक उचित श्रद्धांजलि होगी। पीएम मोदी ने ट्विटर पर वीर बाल दिवस मनाने की घोषणा की।
पीएम ने अपने ट्वीट में कहा,“आज श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के शुभ अवसर पर, मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि इस वर्ष से, 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। यह साहिबजादों के साहस और न्याय की उनकी तलाश के लिए एक उचित श्रद्धांजलि है।” गौरतलब है कि 26 दिसंबर वो दिन था जब मुगलों द्वारा गुरुगोबिंद सिंह के दो साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को इस्लाम धर्म कबूल न करने पर सरहिंद के नवाब ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया था, साथ ही माता गुजरी को किले की दीवार से गिराकर शहीद कर दिया गया था।
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पीएम ने अपने ट्वीट में आगे कहा कि “माता गुजरी, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और 4 साहिबजादों की बहादुरी और आदर्श, लाखों लोगों को ताकत देते हैं। वे अन्याय के आगे कभी नहीं झुके। उन्होंने एक ऐसी दुनिया की कल्पना की जो समावेशी और सामंजस्यपूर्ण हो। अधिक से अधिक लोगों को उनके बारे में जानना समय की मांग है।” उन्होंने आगे कहा, “वीर बाल दिवस’ उसी दिन होगा, जिस दिन जोरावर सिंह और फतेह सिंह को एक दीवार में जिंदा सील कर शहीद किया गया था। इन दो महानुभावों ने धर्म के महान सिद्धांतों से विचलित होने के बजाय मृत्यु को प्राथमिकता दी।”
ऐसे में जब पीएम मोदी के समर्थन में यूके के सिख समक्ष आए हैं, तो कहीं न कहीं तत्कालीन पीएम नरसिम्हा राव और केपीएस गिल की वो जोड़ी भी स्मरण हो आती है, जिन्होंने बल के साथ बुद्धि का भी बेजोड़ प्रयोग किया और उसी के बल पर खालिस्तान के नाग को कई दशकों तक अपना फन फैलाने की स्वतंत्रता नहीं मिली थी। हालिया संस्करण को देखकर यह तो कहा जा सकता है कि झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए!