• हमारे बारे में
  • करियर
  • ब्रांड भागीदारी
TFI Official Merchandise
TFI English
TFI Global
रविवार, मई 29, 2022
TFIPOST
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    period cramp in office

    ‘मासिक धर्म’ के लिए छुट्टी की अवधारणा- अल्पावधि में उत्कृष्ट लेकिन लंबे समय के लिए विनाशकारी है

    ajit dobhal

    NSA डोभाल ने मध्य एशियाई देशों को किया स्पष्ट हमारी अनुमति के बिना कोई निर्णय नहीं

    ‘सस्ता, सुंदर, टिकाऊ’, ISRO बना रहा है भारत का अपना स्पेस शटल

    ‘सस्ता, सुंदर, टिकाऊ’, ISRO बना रहा है भारत का अपना स्पेस शटल

    telangana

    तेलंगाना में बीजेपी सरकार आते ही उर्दू, मदरसों और अल्पसंख्यकों का आरक्षण खत्म हो जाएगा

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    चीनी निर्यात पर ‘प्रतिबंध’ भारतीयों को बड़ा फायदा पहुंचाने वाला निर्णय है

    चीनी निर्यात पर ‘प्रतिबंध’ भारतीयों को बड़ा फायदा पहुंचाने वाला निर्णय है

    अडानी और अंबानी के बीच का ‘अधिग्रहण-युद्ध’ कहां तक जाएगा ?

    अडानी और अंबानी के बीच का ‘अधिग्रहण-युद्ध’ कहां तक जाएगा ?

    India Russia

    भारत और रूस ने किया ऐतिहासिक ‘बार्टर समझौता’

    Paytm Mall

    आखिर क्यों डूब गया PayTm Mall? यहां विस्तार से समझिए

    • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    bhaartiya sena

    अब ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ के तहत होगी सेना में भर्ती, इसके बारे में यहां विस्तार से समझिए

    Indian Army

    भविष्य के युद्ध की तैयारी में लगा भारत, अब Metaverse में ट्रेनिंग करेगी भारतीय सेना

    indian army weapons

    भारत द्वारा निर्मित और खरीदे गए हथियारों की यहां है एक व्यापक सूची

    NIA

    NIA ने “जकात” और “टेरर फंडिंग” के बीच की कड़ी का किया भंडाफोड़

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    America

    अमेरिका द्वारा भारत-रूस के संबंध को तोड़ने की आखिरी कोशिश भी हुई नाकाम

    WHO 1

    WHO के सबसे ‘बेकार’ चीफ थे डॉ टेड्रोस, लेकिन उन्हें पुन: उसी पद के लिए चुना गया है

    Modi JI CHEEN

    13 देशों के साथ भारत का नवीनतम समझौता चीन को पैसों के लिए तरसा देगा

    Mansukh Mandaviya

    कोरोना के आंकड़े को लेकर भ्रम फैलाने वाले WHO को मांडविया ने जमकर धोया

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    दिल्ली-एनसीआर में ताड़ के पेड़: एक खतरनाक ट्रेंड जो पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा है

    दिल्ली-एनसीआर में ताड़ के पेड़: एक खतरनाक ट्रेंड जो पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा है

    महिलाओं की जेब

    महिलाओं के परिधानों में ‘जेब’ नहीं होने के पीछे बहुत हद तक जिम्मेदार हैं सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारण

    भारतीय गर्मियों में अब आपके लिए बिना AC के जीवित रहना असंभव क्यों है?

    भारतीय गर्मियों में अब आपके लिए बिना AC के जीवित रहना असंभव क्यों है?

    भारत की नई पीढ़ीं आंखें बंद करके कोरियन संस्कृति क्यों अपना रही है ?

    भारत की नई पीढ़ीं आंखें बंद करके कोरियन संस्कृति क्यों अपना रही है ?

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    सोनू सूद थाली में छेद करने वाला वही शख्स है जिसके बारे में जया बच्चन ने हमें चेतावनी दी थी

    सोनू सूद थाली में छेद करने वाला वही शख्स है जिसके बारे में जया बच्चन ने हमें चेतावनी दी थी

    dipak mishra

    ‘रोडीज के रघुराम’ से पंचायत के निर्देशक तक, दीपक मिश्रा ने गाड़ दिए हैं झंडे

    Fibnal

    रावण से की गई सम्राट पृथ्वीराज चौहान की तुलना, अब अक्षय कुमार की फिल्म से कोई उम्मीद नहीं बची

    WHO

    हमारे स्वास्थ्य क्षेत्र की गुमनाम नायक हैं आशा वर्कर्स, जिन्हें अब WHO ने किया है सम्मानित

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
TFIPOST
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    period cramp in office

    ‘मासिक धर्म’ के लिए छुट्टी की अवधारणा- अल्पावधि में उत्कृष्ट लेकिन लंबे समय के लिए विनाशकारी है

    ajit dobhal

    NSA डोभाल ने मध्य एशियाई देशों को किया स्पष्ट हमारी अनुमति के बिना कोई निर्णय नहीं

    ‘सस्ता, सुंदर, टिकाऊ’, ISRO बना रहा है भारत का अपना स्पेस शटल

    ‘सस्ता, सुंदर, टिकाऊ’, ISRO बना रहा है भारत का अपना स्पेस शटल

    telangana

    तेलंगाना में बीजेपी सरकार आते ही उर्दू, मदरसों और अल्पसंख्यकों का आरक्षण खत्म हो जाएगा

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    चीनी निर्यात पर ‘प्रतिबंध’ भारतीयों को बड़ा फायदा पहुंचाने वाला निर्णय है

    चीनी निर्यात पर ‘प्रतिबंध’ भारतीयों को बड़ा फायदा पहुंचाने वाला निर्णय है

    अडानी और अंबानी के बीच का ‘अधिग्रहण-युद्ध’ कहां तक जाएगा ?

    अडानी और अंबानी के बीच का ‘अधिग्रहण-युद्ध’ कहां तक जाएगा ?

    India Russia

    भारत और रूस ने किया ऐतिहासिक ‘बार्टर समझौता’

    Paytm Mall

    आखिर क्यों डूब गया PayTm Mall? यहां विस्तार से समझिए

    • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    bhaartiya sena

    अब ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ के तहत होगी सेना में भर्ती, इसके बारे में यहां विस्तार से समझिए

    Indian Army

    भविष्य के युद्ध की तैयारी में लगा भारत, अब Metaverse में ट्रेनिंग करेगी भारतीय सेना

    indian army weapons

    भारत द्वारा निर्मित और खरीदे गए हथियारों की यहां है एक व्यापक सूची

    NIA

    NIA ने “जकात” और “टेरर फंडिंग” के बीच की कड़ी का किया भंडाफोड़

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    America

    अमेरिका द्वारा भारत-रूस के संबंध को तोड़ने की आखिरी कोशिश भी हुई नाकाम

    WHO 1

    WHO के सबसे ‘बेकार’ चीफ थे डॉ टेड्रोस, लेकिन उन्हें पुन: उसी पद के लिए चुना गया है

    Modi JI CHEEN

    13 देशों के साथ भारत का नवीनतम समझौता चीन को पैसों के लिए तरसा देगा

    Mansukh Mandaviya

    कोरोना के आंकड़े को लेकर भ्रम फैलाने वाले WHO को मांडविया ने जमकर धोया

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    दिल्ली-एनसीआर में ताड़ के पेड़: एक खतरनाक ट्रेंड जो पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा है

    दिल्ली-एनसीआर में ताड़ के पेड़: एक खतरनाक ट्रेंड जो पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा है

    महिलाओं की जेब

    महिलाओं के परिधानों में ‘जेब’ नहीं होने के पीछे बहुत हद तक जिम्मेदार हैं सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारण

    भारतीय गर्मियों में अब आपके लिए बिना AC के जीवित रहना असंभव क्यों है?

    भारतीय गर्मियों में अब आपके लिए बिना AC के जीवित रहना असंभव क्यों है?

    भारत की नई पीढ़ीं आंखें बंद करके कोरियन संस्कृति क्यों अपना रही है ?

    भारत की नई पीढ़ीं आंखें बंद करके कोरियन संस्कृति क्यों अपना रही है ?

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    सोनू सूद थाली में छेद करने वाला वही शख्स है जिसके बारे में जया बच्चन ने हमें चेतावनी दी थी

    सोनू सूद थाली में छेद करने वाला वही शख्स है जिसके बारे में जया बच्चन ने हमें चेतावनी दी थी

    dipak mishra

    ‘रोडीज के रघुराम’ से पंचायत के निर्देशक तक, दीपक मिश्रा ने गाड़ दिए हैं झंडे

    Fibnal

    रावण से की गई सम्राट पृथ्वीराज चौहान की तुलना, अब अक्षय कुमार की फिल्म से कोई उम्मीद नहीं बची

    WHO

    हमारे स्वास्थ्य क्षेत्र की गुमनाम नायक हैं आशा वर्कर्स, जिन्हें अब WHO ने किया है सम्मानित

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
TFIPOST
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें

भारत के स्वतंत्रता की वास्तविक कहानी- अध्याय 6: वह अंतिम वार जिससे ब्रिटिश साम्राज्य के पांव उखड़ गए

इससे महात्मा गांधी का कोई लेना-देना नहीं है!

Animesh Pandey
द्वारा Animesh Pandey
24 जनवरी 2022
in इतिहास
0
chapter-6 Indian Independence

Source- TFIPOST

222
व्यूज़
Share on FacebookShare on Twitter

‘बिनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति,

बोले राम सकोप तब, भय बिनु होई न प्रीति’

श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड के इस बहुचर्चित पद्य का अर्थ बहुत स्पष्ट है, जब अनुनय विनय से काम न बने, तो अपने समक्ष खड़े व्यक्ति में भय का संचार करें और अपना काम कराएं। हमारे स्वाधीनता संग्राम को कोई गंभीरता से नहीं लेता था और महात्मा गांधी के अहिंसा की नीति अंग्रेज़ों के लिए ‘खिलौने’ के समान थी। इसी बीच दूसरे विश्व युद्ध का ग्रहण ब्रिटेन पर हुआ और ब्रिटेन के साथ-साथ उसके कई दास देशों को भी भारी नुकसान हुआ। परंतु इसके बाद भी ब्रिटिश साम्राज्य का ‘सूर्य’ अस्त होने का नाम नहीं ले रहा था। परंतु फिर कुछ ऐसा हुआ कि न केवल ये ‘सूर्य’ अस्त हुआ, अपितु विश्व के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य में से एक ब्रिटिश साम्राज्य को ऐसी पराजय का सामना करना पड़ा, जिसके बारे में आज भी चर्चा करने से पूर्व वे कई बार सोचते हैं। इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे उस अंतिम वार के बारे में, जिसने ब्रिटिश साम्राज्य के पांव भारत से सदैव के लिए उखाड़ दिए और इसमें मोहनदास करमचंद गांधी का कहीं से भी कोई हाथ नहीं था।

30,000 सिपाहियों ने मचा दिया था गदर

पता है इस संसार में सबसे मूल्यवान वस्तु क्या है? गोल्ड? नहीं! प्लैटिनम? बिल्कुल नहीं! मानव जीवन? कदापि नहीं! समय? नहीं! सबसे मूल्यवान वस्तु है ज्ञान और इन्फॉरमेशन, जो आपको युद्ध भी जिता सकता है और राष्ट्र के सृजन या विनाश में एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा सकता है। जब पर्याप्त जानकारी न हो और युद्ध शुरु हो जाए, तो ऐसे नरसंहार होंगे कि जर्मन Holocaust भी उसके समक्ष कुछ न लगें, पर्याप्त जानकारी के अभाव से एक अभेद्य जहाज ‘टाइटैनिक’ भी अपनी प्रथम यात्रा पर ही डूब जाता है।

इस प्रकार से अपर्याप्त इन्फॉर्मेशन के कारण सिंगापुर में वो हुआ, जिसकी कल्पना भी किसी ने अपने स्वप्न में भी नहीं की होगी। 8 फरवरी 1942 को सिंगापुर में जापानियों ने ‘भारी संख्या’ में ब्रिटिश, ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय सैनिकों की संयुक्त सेना पर धावा बोल दिया। Allied Forces की यह कुल टुकड़ी करीब 1,30,000 के आसपास थी, जिसमें से लगभग 50,000 सैनिक तो अकेले भारत के थे। परंतु इनपर भारी पड़े मात्र 30,000 जापानी, जिनके पास शायद एक लंबे युद्ध के लिए पर्याप्त आयुध भी नहीं थे।

परंतु यह कैसे संभव हुआ? इसका कारण स्पष्ट था – अपर्याप्त जानकारी। पर्ल हार्बर जैसा कांड होने के बाद भी अंग्रेज़ इस भ्रम में थे कि सिंगापुर पर आक्रमण करने का दुस्साहस जापान कभी कर ही नहीं सकता। यह भ्रम तब भी विद्यमान था, जब Allied Forces सिंगापुर से थोड़ी ही दूरी पर Malaya अभियान में बुरी तरह पराजित हुए थे, लेकिन जब जापानियों ने अपना ‘चक्रव्यूह’ फैलाया, तो अंग्रेज़ ऐसे फंसे कि संख्याबल और आयुध अधिक होने के बावजूद, बिना सोचे समझे, बस यूं ही आत्मसमर्पण कर दिया।

स्वयं जापानी कमांडर, जनरल टोमोयुकी यामाशिता के शब्दों में, “मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि वे इतनी सरलता से आत्मसमर्पण कर सकते हैं। मेरे पास सिर्फ 30,000 कुछ सिपाही थे और अनुपात में हम तीन से एक से भी कहीं से ज्यादा घिरे हुए थे। फिर भी हमारा आक्रमण काम आया, और उन्होंने यूं ही सरेंडर कर दिया” –

To quote General Yamashita himself, "My attack on Singapore was a bluff – a bluff that worked. I had 30,000 men and was outnumbered more than three to one. I knew that if I had to fight for long for Singapore, I would be beaten. That is why the surrender had to be at once".

— Animesh Pandey 🇮🇳 (@LaffajPanditIND) February 8, 2021

इंडियन नेशनल आर्मी की स्थापना

लेकिन वो कहते हैं न, सबसे भीषण अंधकार भोर से पूर्व ही आता है। इसी प्रकार जब जापानियों के समक्ष Allied Forces ने लज्जापूर्वक आत्मसमर्पण किया, तो 50,000 भारतीयों को भी अंग्रेज़ों ने उनके हाल पर छोड़ दिया। जापानियों के लिए तो वे अंग्रेज़ों के ‘पिट्ठू’ थे, और इसीलिए टारगेट प्रैक्टिस के लिए कभी-कभी तो उन्हें भी गोलियों से भून दिया जाता था। परंतु, कुछ जापानी ऐसे भी थे, जिनकी मंशा कुछ और थी। इन्हीं में से एक थे मेजर इवाईची फुजीवारा, जो सांस्कृतिक रूप से भारत से जुड़े थे और उसे स्वतंत्र कराने को आतुर थे। उनकी पहचान हुई युद्धबंदी कैप्टन मोहन सिंह से और फिर स्थापना हुई इंडियन नेशनल आर्मी की, जिससे एक ऐसे व्यक्ति जुड़े, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की दशा और दिशा दोनों ही बदल दी।

However, not every Japanese they met was as cruel as seen in East Asian camps. One of the officers was Major Iwaichi Fujiwara, who had his word with Captain Mohan Singh, from the 1/14 Punjab Regiment. Major Fujiwara was culturally connected to India,……. pic.twitter.com/UDdpY4j3nt

— Animesh Pandey 🇮🇳 (@LaffajPanditIND) February 8, 2021

वो व्यक्ति थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस, जो न केवल एक प्रखर राष्ट्रवादी थे अपितु एक निडर क्रांतिकारी भी। उनके व्यक्तित्व का प्रभाव कैसा था, इसका प्रमाण स्वयं पूर्व ब्रिटिश पीएम क्लीमेंट एटली ने दिया था, जब वो वर्ष 1956 में भारत यात्रा पर आए थे। अपनी यात्रा के दौरान कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस पीवी चक्रवर्ती ने उनसे पूछा कि ‘आपके पास भारत त्यागने के लिए कोई विशेष कारण तो था नहीं, फिर आप भारत छोड़ने को विवश क्यों हुए?”

एटली के अनुसार, “कारण तो कई हैं, लेकिन वास्तव में ये सुभाष चंद्र बोस और उनके द्वारा तैयार की गई इंडियन नेशनल आर्मी थी, जिसके कारण हमारी फौजें कमजोर हुई, और रॉयल इंडियन नेवी विद्रोह हुआ”।

जिसके बाद चक्रवर्ती ने पूछा-  “और गांधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन का क्या?”

व्यंग्य भरी मुस्कान के साथ एटली ने कहा, “नगण्य!”

लाल किले के मुकदमे से हुआ ब्रिटिश साम्राज्य के पतन का प्रारंभ

परंतु ऐसा भी क्या हुआ, जिसके पश्चात ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य इतनी जल्दी अस्त हो गया? जिसे न सम्राट विलियम डिगा पाया, न हिटलर, न हिरोहितो और न ही मुसोलिनी, उसे परास्त किया एक ऐसे क्रांतिकारी ने, जिसकी सेना ने ब्रिटिश शासन को दर्पण दिखाया और यह भी दिखाया कि अकड़ में तो रावण भी नहीं टिक पाया, तो फिर ब्रिटिश साम्राज्य की क्या हस्ती?

लाल किले के मुकदमे से ब्रिटिश साम्राज्य के पतन का प्रारंभ हुआ । तब नेताजी सुभाष चंद्र बोस या तो भूमिगत हो चुके थे या फिर उनका कोई अता पता नहीं था। तत्कालीन ब्रिटिश इंडियन आर्मी प्रमुख, जनरल क्लाउड औचिनलेक ने भारतीय वाइसरॉय लॉर्ड वॉवेल को आश्वस्त किया कि भगोड़ी फौज के विरुद्ध ऐसे आरोप लगे हैं कि भारत में उनके दास कभी भी इन ‘कायरों’ के साथ अपने आप को संबोधित नहीं करेंगे। लेकिन जनरल औचिनलेक यह भूल गए कि इंग्लैंड और भारत की जनता में आकाश पाताल का अंतर है। जरुरी नहीं कि जो इंग्लैंड की जनता के लिए देशद्रोही हो, वो भारत के लिए भी हो। धीरे-धीरे इंडियन नेशनल आर्मी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की शौर्य गाथा भी देश के कोने-कोने में फैलने लगी और प्रमुख अफसरों पर जब मुकदमा चलता, तो पूरे देश में गूँजता-

“लाल किले से आई आवाज, सहगल, ढिल्लों, शाहनवाज़,

इनकी हो उमर दराज!”  –

रॉयल इंडियन नेवी विद्रोह की भूमिका

लाल किले में इंडियन नेशनल आर्मी के अफसरों, विशेषकर मेजर जनरल शाह नवाज़ खान, कर्नल प्रेम कुमार सहगल और लेफ्टिनेंट कर्नल गुरबक्श सिंह ढिल्लों के विरुद्ध प्रारंभ हुए मुकदमे का असर ठीक उल्टा पड़ा और मुकदमा खत्म होते-होते तत्कालीन सैन्य प्रमुख, जनरल क्लाउड औचिनलेक को भी आभास हो चुका था किअब स्थिति पहले जैसी नहीं रही। उन्होंने ब्रिटिश शासन को स्पष्ट चेतावनी दी कि उक्त अफसरों में किसी को भी दंडित करने का दुष्परिणाम बहुत भयानक होगा।

In a letter written to the senior British officials, he wrote that punishing any of the three officers on trial or any soldier of INA would invite an uprising of a scale that cannot be imagined, and would lead to mutiny within the ranks of the British Indian forces.

— Animesh Pandey 🇮🇳 (@LaffajPanditIND) February 18, 2021

जनरल औचिनलेक की भविष्यवाणी एकदम सत्य सिद्ध हुई। 18 फरवरी 1946 को बॉम्बे के निकट नौसैनिक ट्रेनिंग स्कूल HMIS Talwar पर वो हुआ, जिसकी कल्पना किसी ब्रिटिश साम्राज्यवादी ने नहीं की थी। अनेकों गैर कमीशन नाविकों ने घटिया खानपान और रहन-सहन को लेकर हड़ताल कर दी। जब HMIS Talwar के कमांडर ने उनकी मांगों को सुनने के बजाए उन्हे अभद्र भाषा में उलाहने देने प्रारंभ किए, तो भारतीयों का क्रोध सातवें आसमान के पार निकल गया। उन्होंने जहाज पर धावा बोलते हुए ब्रिटिश पताका हटाई और कांग्रेसी तिरंगा लहरा दिया। यही नहीं, जो भी अंग्रेज़ अफसर विरोध करता या तो उसे गोलियों से भून देते या फिरउसे जहाज से नीचे समुद्र में फिंकवा देते। इसे ही बाद में रॉयल इंडियन नेवी विद्रोह के बॉम्बे विद्रोह के नाम से जाना गया।

ये तो कुछ भी नहीं है। दावानल की भांति यह विद्रोह कोच्चि, विशाखापटनम, कराची, कलकत्ता में फैलने लगा। हर जगह जय हिन्द और वन्दे मातरम का उद्घोष होने लगा और इसका असर ऐसा पड़ा कि ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सबसे कर्तव्यनिष्ठ गोरखा सिपाही तक अपने ही भाइयों पर गोली चलाने से मना करने लगे। उनके लिए अब राष्ट्रवाद सर्वोपरि था।

20 फरवरी तक भारतीय नौसेना ने गेटवे ऑफ इंडिया समेत सम्पूर्ण बॉम्बे को घेर लिया था। अब आर या पार की लड़ाई थी। यदि उस समय सरदार पटेल ने हस्तक्षेप न किया होता, तो ऐसी खूनी क्रांति होती कि ब्रिटिश साम्राज्यवादियों की अगली सात पीढ़ियां इसका उल्लेख करने से पूर्व सिहर उठती। ये क्रांति रॉयल इंडियन नेवी से अब रॉयल इंडियन एयर फोर्स तक आ पहुंची, और कुछ वर्षों बाद जब पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली भारत यात्रा पर आए, तो उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि यह रॉयल इंडियन नेवी के विद्रोह का ही परिणाम था कि अंग्रेज़ों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा।

दुर्भाग्यवश इस महत्वपूर्ण अध्याय को कुछ कूप मंडूकों ने अपने स्वामियों की चाटुकारिता में हमसे छिपाये रखा, परंतु सत्य की ज्योति को छिपाया जा सकता है, बुझाया नहीं जा सकता। हाल ही में भारतीय नौसेना ने इस इतिहास के इस महत्वपूर्ण भाग को गणतंत्र दिवस में श्रद्धांजलि देने का निर्णय किया और ये न केवल प्रशंसनीय है, अपितु इससे भारतीय इतिहास के असली नायकों को उनका वास्तविक सम्मान मिलेगा। इतिहास बदलने के लिए दृष्टिकोण बदलना ही पर्याप्त है!

Tags: ब्रिटिश साम्राज्यरॉयल इंडियन नेवी विद्रोहसुभाष चंद्र बोस
शेयरट्वीटभेजिए

पिछली पोस्ट

Samsung द्वारा Drag Queen बेटे का समर्थन करने वाली मुस्लिम मां को पेश करते ही मुसलमानों में मची खलबली

अगली पोस्ट

BPCL, SCI और अन्य संपत्तियों को खरीदने के लिए वेदांता ने अलग रखा 10 अरब डॉलर का फंड

Animesh Pandey

Animesh Pandey

Lead Editor, TFI Media Vidyarthi of History, Cinema Buff, Akhand Bharat Parmo Dharma

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

  • सर्वाधिक पढ़े गए
  • टिप्पणियाँ
  • नवीनतम
“धौंसिये को औकात बता दी”, अजय देवगन ने करण जौहर की दादागिरी उतार उसे माफी मांगने पर मजबूर कर दिया

“धौंसिये को औकात बता दी”, अजय देवगन ने करण जौहर की दादागिरी उतार उसे माफी मांगने पर मजबूर कर दिया

24 जून 2020
चीन, ऑस्ट्रेलिया,

‘जांच तो होकर रहेगी, चाहे जितना रो लो’, ऑस्ट्रेलिया ने ड्रैगन को उसी की भाषा में मजा चखा दिया

29 अप्रैल 2020
G7

दुनिया के 7 बड़े देश एक बात पर हुए सहमत – हम सब चीन के खिलाफ हैं

18 अप्रैल 2020
जापान, चीन

‘हमारी जल सीमा से तुरंत निकल लो’, East China Sea में घुसपैठ करने जा रहे चीनियों को जापानी नौसेना ने खदेड़ा

10 मई 2020
रवीश कुमार

यदि रवीश कुमार मेरे सवालों का ठीक ठीक उत्तर दे दें, तो मैं लिखना छोड़ दूंगा

सरकारी बैंक

प्रिय बैंक कर्मचारियों, अपनी हड़ताल जारी रखें, PSB का निजीकरण होकर रहेगा

संदीप मिश्रा

अखबार के एक मैट्रिमोनियल कॉलम से शुरू हुई प्रेम और देश प्रेम की कहानी

संजय झा

यक्ष – संजय झा संवाद: ऐसे प्रश्न और ऐसे उत्तर जो आपको सोचने पर मजबूर कर देंगे

period cramp in office

‘मासिक धर्म’ के लिए छुट्टी की अवधारणा- अल्पावधि में उत्कृष्ट लेकिन लंबे समय के लिए विनाशकारी है

28 मई 2022
भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा को मिल रही हैं ‘बलात्कार’ और ‘सर तन से जुदा’ करने की धमकियां

भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा को मिल रही हैं ‘बलात्कार’ और ‘सर तन से जुदा’ करने की धमकियां

28 मई 2022
mahant

महंत अवैद्यनाथ – जिन्होंने युवा अजय बिष्ट को योगी आदित्यनाथ बनाया

28 मई 2022
सोनू सूद थाली में छेद करने वाला वही शख्स है जिसके बारे में जया बच्चन ने हमें चेतावनी दी थी

सोनू सूद थाली में छेद करने वाला वही शख्स है जिसके बारे में जया बच्चन ने हमें चेतावनी दी थी

28 मई 2022

इस सप्ताह लोकप्रिय

एक बेहद चिंघाड़ती मसाला फिल्म की आंधी में दो अच्छी फिल्में भी पिट गईं
चलचित्र

एक बेहद चिंघाड़ती मसाला फिल्म की आंधी में दो अच्छी फिल्में भी पिट गईं

द्वारा Animesh Pandey
23 मई 2022
akshay
चलचित्र

पृथ्वीराज और बॉलीवुड के गलत कास्टिंग की महामारी रुकने का नाम नहीं ले रही हैं

द्वारा Animesh Pandey
16 मई 2022
पेप्सी, कोका-कोला, नेस्ले की अब बजेगी बैंड, टक्कर देने आ रहे हैं अरबपति मुकेश अंबानी
चर्चित

पेप्सी, कोका-कोला, नेस्ले की अब बजेगी बैंड, टक्कर देने आ रहे हैं अरबपति मुकेश अंबानी

द्वारा Chaman Kumar Mishra
16 मई 2022
अडानी नेटवर्थ
अर्थव्यवस्था

दुनियाभर के अरबपतियों पर भारी भारत के गौतम अडानी

द्वारा Shikhar Srivastava
26 अप्रैल 2022
PC: Cuemath
ज्ञान

वैदिक गणित: गणित का वो तरीका जिसे पूरी तरह मिटा दिया गया और आपको पता भी नहीं चला

द्वारा Shikhar Srivastava
26 दिसम्बर 2021

©2022 TFI Media Private Limited

  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
TFI Official Merchandise
TFI English
TFI Global
  • हमारे बारे में
  • करियर
  • ब्रांड भागीदारी

©2022 TFI Media Private Limited

Follow us on Twitter

and never miss an insightful take by the TFIPOST team

Follow @tfipost_in