बैटरी स्वैपिंग केंद्र- वैश्विक स्तर पर सतत विकास और स्वच्छ ऊर्जा के प्रयास शुरू हो गए हैं। विश्व के देशों में नए ऊर्जा के क्षेत्र में खुद को सबसे ऊपर दिखाने की होड़ भी लग गई है। मोदी सरकार के प्रयासों से भारत इस क्षेत्र में अन्य देशों के मुकाबले काफी आगे निकल चुका है। यही कारण है कि केंद्रीय बजट 2022-23 में पर्यावरण को वरीयता देते हुए स्वच्छ ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किया गया है। सरकार का ध्येय संकल्प अब इलेक्ट्रिक वाहनों पर ज़ोर देने का है। इलेक्ट्रिक व्हीकल को अपनाने, उसे बढ़ावा देने और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण की सुविधा के प्रयास में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को हरित ऊर्जा, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, डेटा सेंटर, ग्रिड से जुड़े ऊर्जा भंडारण और ग्रीन बॉन्ड के लिए प्रोत्साहन के विकास पर ध्यान केंद्रित करने वाले उपायों की घोषणा की।
अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए बैटरी स्वैपिंग नीति लाएगी और इंटरऑपरेबिलिटी मानकों को तैयार किया जाएगा। उन्होंने उच्च दक्षता वाले सौर मॉड्यूल के निर्माण के लिए PLI योजना के तहत 19,500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन सहित सौर क्षेत्र से संबंधित कई घोषणाएं की। सरकार की यह नीति दूरगामी परिणामों और आगामी भविष्य को बेहतर बनाने के सरकार के प्रयासों को परिलक्षित करती है।
हालांकि, बजट में अभी तक भारत के संपन्न ईवी क्षेत्र की सहायता करने या मौजूदा FAME II योजना को वर्ष 2024 से आगे बढ़ाने के संबंध में कोई स्पष्ट दिशानिर्देश प्रदान नहीं किया गया है। लेकिन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट संबोधन में इलेक्ट्रिक वेहिकल (EV) के तंत्र के लिए कुछ सकारात्मक खबरें जरुर शामिल रही। वित्त मंत्री ने उल्लेख किया है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी स्वैपिंग हेतु एक विशेष नीति की घोषणा की जाएगी। सीतारमण ने यह भी कहा कि “इंटरऑपरेबिलिटी मानकों को तैयार किया जाएगा”, जिसका अर्थ है कि ईवी बैटरी के लिए एक समान मानक पेश किया जा सकता है, जिसका पालन सभी ईवी ब्रांडों एवं कंपनियों द्वारा किया जाएगा।
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जल्द ही इंटरऑपरेबिलिटी के मानक तय करेगी सरकार
ध्यान देने वाली बात है कि मोदी सरकार जिस तरह इलेक्ट्रिक वाहनों पर ज़ोर दे रही है, उससे यह तो तय हो गया है कि भारत का आने वाला भविष्य इलेक्ट्रिक और सौर ऊर्जा नियंत्रित ही होगा। इसमें कोई पशोपेश नहीं है कि भारत में इससे जुड़े हर वर्ग को लाभ ही होने जा रहा है। मोदी सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को नया मानक बनाने पर पूरा जोर दे रही है। सरकार इसके लिए 26,058 करोड़ रुपये की PLI योजना को भी मंजूरी दे चुकी है। देश की कई कंपनियां दोपहिया, तीन पहिया और चार पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में लगातार तरक्की कर ही है और इस क्षेत्र में नित्त निरंतर नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है।
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकलों के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाने में शहरों में जगह की कमी आड़े आ रही है। ऐसे में सरकार बैटरी स्वैपिंग के लिए एक नीति लेकर आएगी, इससे देशभर में बैटरी स्वैपिंग फैसिलिटी बढ़ाने में मदद मिलेगी। इतना ही नहीं वित्त मंत्री ने इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने हेतु इंटरऑपरेबिलिटी के मानक तय करने की भी बात कही है। अगर ये मानक तय हो जाते हैं, तो अलग-अलग ब्रांड और कंपनियों की गाड़ी के लिए एक ही जगह से बैटरी स्वैपिंग करना आसान होगा।
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बैटरी उद्योग को बढ़ाने पर जोर
गौरतलब है कि ऊर्जा संरक्षण के लक्ष्य के साथ-साथ पेट्रोल और डीजल के आयात बिल को कम करने और उससे निर्भरता कम करने के लिए सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर बड़ा लक्ष्य रखा है। सरकार देश को वर्ष 2030 तक पूरी तरह इलेक्ट्रिक मोबिलिटी बनाने के लक्ष्य को लेकर चल रही है। लोग इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ें और अत्यधिक रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद हो, इसपर सरकार का ध्यान केंद्रित है। इसी कारणवश सरकार सभी इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर FAME II के अंतर्गत भारी सब्सिडी भी देती है।
एक अहम बात जो बजट संबोधन में वित्त मंत्री ने कहा, वो था देश में अधिक से अधिक बैटरी को निर्मित करना और उसे एक इंडस्ट्री के तौर पर खड़ा करना। क्योंकि यही तकनीक बेहतर भविष्य का निर्माण करने में सहायक सिद्ध होने वाली है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने में निजी क्षेत्र की भूमिका भी सुनिश्चित की जाएगी। सरकार इस बात पर जोर देगी कि निजी क्षेत्र की कंपनियां बैटरी को एक सर्विस की तरह पेश करें। इसका अर्थ ये होगा कि कंपनियां इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए बैटरी को रेंट या सब्सक्रिप्शन पर देना शुरू कर सकेंगी।
क्या होती है बैटरी स्वैपिंग?
बैटरी स्वैपिंग एक ऐसा तरीका है, जिसमें खत्म हुई बैटरी को पूरी तरह चार्ज बैटरी से बदल दिया जाता है। बैटरी की अदला-बदली चिंता, कम वाहन लागत और कुशल चार्जिंग व्यवस्था के लिए एक संभावित समाधान है। यह नए बैटरी पैक खरीदने और इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन की कीमत को भी कम कर सकता है।
यह सर्वविदित है कि किसी भी क्षेत्र की ग्रोथ एकदम से नहीं होती, सभी का एक तय समय निर्धारित होता है। ये वही इलेक्ट्रिक सुविधाएं हैं, जिनकी बातें भारत में वर्ष 2010 में करने पर लोग एक दूसरे को बेवकूफ कहा करते थे। वहीं, आज वो स्थिति आ गई है कि भारत के इलेक्ट्रिक जगत को अपनाने की सराहना विश्व पटल पर हो रही है, क्योंकि यह पर्यावरण को सुरक्षित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। इसलिए निस्संदेह भारत का भविष्य इलेक्ट्रिक जगत में स्वर्णिम होने जा रहा है।