‘आसमान से गिरे, खजूर पर अटके’, अगर ये कहा जाए कि हिन्दी की ये कहावत देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के सबसे अपरिपक्व राजनेता एवं कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के लिए ही बनी है, तो संभवतः कुछ गलत नहीं होगा। राहुल गांधी अपनी अजीबोगरीब हरकतों और भाषण के कारण सदा ही हास्यास्पद चर्चाओं का विषय बने रहते हैं, किन्तु कभी-कभी वो कुछ ऐसी हरकतें भी कर देते हैं, जिससे उनकी छवि निचले स्तर के एक नए पायदान पर चली जाती है।
जिसके बाद कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व कई मौकों पर उन्हें री-लॉन्च करने की कोशिश करता है, लेकिन राहुल गांधी अपनी हरकतों से सब मटियामेट कर देते हैं! इसी बीच राहुल गांधी ने अपने आप को एक परिपक्व राजनेता बताने की एक और नाकाम कोशिश की है। हालांकि, राहुल गांधी के भाषण में कुछ चिंताजनक बातें भी हैं, पर उन्होंने उसे ऐसे पेश किया है कि उनपर क्रोध कम, और हंसी अधिक आएगी। उनके बयानों से यह एक बार फिर से स्पष्ट हो गया है कि क्यों राहुल गांधी जैसे लोग सत्ता से जितना दूर रहेंगे, देश के लिए उतना ही अच्छा होगा!
दरअसल, हाल ही में संसद में अपने अभिभाषण को लेकर राहुल गांधी एक बार फिर चर्चा में आये हैं। बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण के उत्तर में सांसदों के वार्तालाप के दौरान राहुल गांधी ने स्वभाव अनुसार केंद्र सरकार को उनकी ‘दुष्प्रभावी’ नीतियों के लिए आड़े हाथों लेने का प्रयास किया। उनके अनुसार, केंद्र सरकार एक राजशाही की भांति देश पर शासन कर रही है और सत्ता का केन्द्रीयकरण देश के लिए हानिकारक है।
राहुल गांधी थोड़ा बहुत जानते हैं कि राष्ट्र क्या है?
लेकिन भावनाओं में बहना एक बात है और उसी बात में बहकर अपनी ही भद्द पिटवाना दूसरी! ऐसा प्रतीत होता है कि राहुल गांधी को इन दोनों की बातों में अंतर बिलकुल भी नहीं पता है! उन्होंने आगे कहा कि “इस सरकार में दो हिंदुस्तान बन गए हैं, जिनमें से एक अमीरों और दूसरा गरीबों के लिए है। देश के सामने खड़ी प्रमुख चुनौतियों का अभिभाषण में उल्लेख नहीं किया गया है। मेरे परनाना जवाहरलाल नेहरू इस राष्ट्र को बनाने के लिए ही 15 साल तक जेल में रहे, मेरी दादी इंदिरा गांधी को 32 गोलियां मारी गई और मेरे पिता राजीव गांधी को विस्फोट से उड़ा दिया गया। इन्होंने इस राष्ट्र को बनाने के लिए अपनी कुर्बानी दी। इसलिए मैं थोड़ा बहुत जानता हूं कि राष्ट्र क्या है।”
राहुल गांधी वही पर नहीं रुके। उन्होंने भाषण में आगे कहा, “केंद्र सरकार की नीति के कारण ही आज चीन और पाकिस्तान एक साथ आ गए हैं। चीन के पास एक योजना है। चीनियों का एक बहुत स्पष्ट दृष्टिकोण है कि वे क्या करना चाहते हैं। भारत की विदेश नीति का एकमात्र सबसे बड़ा रणनीतिक लक्ष्य पाकिस्तान और चीन को अलग रखना रहा है। आपने (केंद्र ने) जो किया है, आप उन्हें साथ लाए हैं।”
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न्यायपालिका और चुनाव आयोग पर ही उठा दिए सवाल
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए भाषण में आगे कहा कि ‘‘आप खतरे से खेल रहे हैं। मेरी सलाह है कि रुक जाइए। आप खतरे को हल्के में मत लीजिए। आप चीन और पाकिस्तान को साथ ला चुके हैं। मुझे कोई संदेह नहीं है कि चीन के पास स्पष्ट योजना है। इसकी बुनियाद डोकलाम और लद्दाख में रख दी गई है। यह देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है। आपने जम्मू-कश्मीर और विदेश नीति में बहुत बड़ी रणनीतिक गलतियां की हैं। आपने दो मोर्चों को एक मोर्चे में बदल दिया है।’’
ध्यान देने वाली बात है कि राहुल गांधी ने असली रायता तो तब फैलाया, जब उन्होंने भाषण में कहा, “न्यायपालिका, चुनाव आयोग और पेगासस – ये वो माध्यम हैं, जिनका इस्तेमाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने लोगों की आवाज को दबाने के लिए किया।”
#WATCH | "The Judiciary, the Election Commission, Pegasus, these are all instruments of destroying the voice of the union of states," says Congress MP Rahul Gandhi in Lok Sabha pic.twitter.com/BQzxXf9VM7
— ANI (@ANI) February 2, 2022
बस, राहुल गांधी यहीं पर गलती कर गए। अपने ऊटपटांग बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाले राहुल गांधी यदि केवल मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना तक सीमित रहते, तो शायद उन्हें एक परिपक्व राजनेता भी माना जा सकता था। लेकिन न्यायपालिका और चुनाव आयोग पर उंगली उठाकर उन्होंने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। ऐसे में राहुल गांधी ने स्पष्ट कर दिया है कि मसखरी में उनका कोई तोड़ नहीं है, लेकिन राजनीति उनके बस की नहीं है!
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