पूर्वांचल जो भाजपा का अविजित गढ़ है, गोरखपुर सदर से योगी आदित्यनाथ आगे चल रहे हैं, अयोध्या से वेद प्रकाश आगे हैं और देवरिया से शलभ मणि त्रिपाठी आगे चल रहे हैं। इन सब में समान बात जानते हैं क्या है? ये सब पूर्वांचल का भाग है, जो उत्तर प्रदेश में भाजपा की नींव स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा चुका है और आज भाजपा के सबसे अभेद्य दुर्गों में से एक माना जाता है। ये उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि भी है, और वर्तमान चुनावों ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि आखिर क्यों पूर्वांचल भाजपा के लिए सबसे अधिक लाभकारी है।
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पूर्वांचल उत्तर प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण भागों में से एक है, जहां लगभग 30 संसदीय सीटें एवं लगभग 160 विधानसभा सीटें हैं। यहां पर धर्मनगरी अयोध्या एवं काशी भी स्थित है, जिसका महत्व अपने आप में बहुत अधिक है। यही नहीं, यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी महत्वपूर्ण प्रभाव है, क्योंकि वाराणसी उनका चुनावी क्षेत्र भी है।
ऐसे में पूर्वांचल का प्रभाव अपने आप में अति महत्वपूर्ण है, और यहां पर पराजित होना कोई आम बात नहीं है, विशेषकर भाजपा के उम्मीदवार के लिए। ऐसे में विधानसभा चुनाव के दौरान जमकर प्रचार प्रसार भी हुआ, और स्वयं योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर से चुनाव लड़ने को तैयार हुए। फिलहाल के लिए वह 80000 से अधिक वोटों के साथ रिपोर्ट लिखे जाने तक आगे चल रहे हैं, और वह सत्ता पुनः संभालने के लिए पूरी तरह तैयार दिखाई दे रहे हैं।
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परंतु ये तो कुछ भी नहीं है। यदि कुछ जगहों को छोड़ दें, तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पश्चात ये पूर्वांचल ही है, जिसने भाजपा को इस चुनाव में सबसे अधिक लाभ दिया है, और औसतन 10 में से 7 उम्मीदवार अपनी सीट पर आगे चल रहे हैं। यही लाभ 2019 के लोकसभा चुनाव में भी मिला था, और यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि पूर्वांचल भाजपा के लिए ‘ब्रह्मास्त्र’ के समान है।