कश्मीर में आतंकवादियों का रोल मॉडल रहा यासीन मलिक अब जेल की सलाखों के पीछे ही रहेगा। यह भी हो सकता है कि उसे अब खुली हवा में कभी सांस लेने का मौका न मिले। यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में दोषी करार दिया गया है। 25 मई की सुनवाई में उसकी सजा तय की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यासीन मलिक ने कोर्ट में कहा कि ‘वह यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने) व 20 (आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) एवं 124-ए (देशद्रोह) के तहत खुद पर लगे आरोपों को चुनौती नहीं देना चाहता।’ यासीन मलिक को जिस मामले में सजा दी जा रही है वह 2017 का है।
कोर्ट ने सीधे तौर पर टिप्पणी करते हुए यह बताया है कि यासीन मलिक ने देश के विरुद्ध कश्मीर की आजादी के लिए यह फंडिंग जुटाई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस बात के सबूत हैं कि यासीन मलिक ने ‘कश्मीर की आजादी’ के नाम पर आतंकवादी और दूसरी आतंकवादी गतिविधियों के लिए दुनिया भर से फंडिंग जुटाए। मामले में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के फाउंडर हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के मुखिया सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी चार्जशीट फाइल की गई है।
और पढ़ें: कांग्रेस के ‘दुलारे’, इंडिया टुडे के ‘यूथ आइकॉन’ यासीन मलिक ने स्वीकारा कि वो आतंकी है
कभी सत्ता का करीबी था यासीन मलिक
3 अप्रैल 1966 को मैसुमा, श्रीनगर में जन्मे यासीन मलिक ने 1980 के दौर में भारत के विरुद्ध प्रदर्शन हेतु एक राजनीतिक दल बनाया। बाद में यह पार्टी इस्लामिक स्टूडेंट लीग बन गई। इस दल ने 1987 के चुनाव में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट को समर्थन दिया किन्तु स्वयं चुनाव नहीं लड़ा। उसका शुरू से ही भारतीय संविधान में विश्वास नहीं था और इसलिए इसके राजनीतिक दल ने चुनाव में भाग नहीं लिया था। 1989 तक यासीन मलिक पाकिस्तान से ट्रेनिंग लेकर वापस भारत आ चुका था और उसने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट में शामिल होकर भारत के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष करने की घोषणा की। यासीन मलिक 5,00,000 कश्मीरी पंडितों के पलायन के पीछे सबसे बड़े साजिशकर्ताओं में एक था। 1990 में यासीन मलिक (Yasin Malik) कश्मीर के रावलपोरा में एयरफोर्स के 4 अफसरों की हत्या में भी शामिल था। उसने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फोर्स के आतंकियों के साथ इंडियन एयरफोर्स के स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना समेत 4 अफसरों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
यह भारत सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है कि किसी समय कश्मीर के अलगाववादी तत्वों का मुख्य चेहरा रहा यासीन मलिक अब कठघरे में है। एक ऐसा भी दौर था जब यासीन मलिक भारतीय प्रधानमंत्री के साथ बैठकर बातचीत करता था। भारत सरकार शांति वार्ता के लिए आतंकियों से अनुनय विनय करती थी। यासीन मलिक जैसे आतंकी बड़े-बड़े मीडिया समूहों को खुलेआम इंटरव्यू देते थे। इंडिया टुडे ने तो 2008 के युथ आइकॉन कार्यक्रम में यासीन मलिक को मंच देकर, उसे अघोषित रूप से भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा बता दिया था। कश्मीरी हिंदुओं ने इसके विरुद्ध नई दिल्ली में प्रदर्शन भी किया था, किंतु सरकार से लेकर इंडिया टुडे मीडिया ग्रुप तक किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली। अब समय का खेल तो देखिए कभी कांग्रेस शासन का खासमखास रहा यह अलगाववादी आतंकी आज कानून के शिकंजे में है।
और पढ़ें: कांग्रेस और कथित लिबरल वामपंथी मीडिया का यासीन मलिक के लिए मोह खत्म ही नहीं होता