जिओपॉलिटिक्स किसी थ्रिलर फिल्म से कहीं अधिक रोमांचकारी होती है। दुनिया के कई बड़े जियोपोलिटिक्स के विशेषज्ञ यह बता चुके हैं कि 21वीं शताब्दी एशियाई महाशक्तियों की होने वाली है। भारत और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा जगजाहिर है। भारत हिंद महासागर की सबसे बड़ी शक्ति है और चीन दक्षिणी चीन सागर की सबसे बड़ी ताकत। चीन ने भारत को हिंद महासागर में कमजोर करने के लिए स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स नीति अपनाई। भारत के आसपास हिंद महासागर क्षेत्र में चीन ने श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव, जैसे छोटे देशों को अपने पक्ष में करने के लिए कई हथकंडे अपनाए। आर्थिक पैकेज से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास तक तथा मिलिट्री उपकरणों को बेचने की योजना पर एक साथ कार्य करके चीन में भारत को घेरने का पूरा प्रयास किया। भारत ने इसके उत्तर में नेकलेस ऑफ डायमंड्स की योजना बनाई। इसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने तथा दक्षिणी चीन सागर में चीन को घेर लेना है। भारत की यह योजना जमीनी स्तर पर तेजी से आगे बढ़ रही है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण मॉरीशस में गुप्त तरीके से बन रहा भारत का मिलिट्री बेस है।
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मॉरीशस में भारत का मिलिट्री बेस
मॉरीशस के अगलेगा द्वीप पर भारत के गुप्त सैन्य अड्डे की चर्चा फिर से शुरू हो गई है। इस आईलैंड की नई सैटेलाइट इमेज जारी हुई है जिससे पता चलता है कि भारतीय नौसेना के P-8I सबमरीन हंटिंग विमान को रखने के लिए आईलैंड पर हैंगर का निर्माण, नए बने रनवे के बगल में हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार निर्माणाधीन हैंगर 180 फीट लंबे और 200 फीट चौड़े हैं, जहां भारत के P-8I पोसीडॉन जैसे बड़े सैन्य विमानों को रखने के लिए पर्याप्त स्थान है। P-8I विमान की लंबाई 123 फीट है और पंख की लंबाई 126 फीट है। विशेषज्ञ लंबे समय से यह मानते आए हैं कि भारत इस आईलैंड का प्रयोग हिंद महासागर में चीन के पनडुब्बियों की निगरानी के लिए करने वाला है। मेडागास्कर के नजदीक पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में फ्रांस के रियूनियन आईलैंड पर भारत पहले ही अपने सबमरीन हंटर विमान तैनात कर चुका है। यहां से भारतीय नौसेना फ्रेंच नेवी के साथ मिलकर हिंद महासागर की निगरानी करती है। इसके अतिरिक्त सेशल्स में भी भारत के यही पोसाइडन एयरक्राफ्ट मौजूद है।
भारत प्रोपेगेंडा में विश्वास नहीं करता
यहां यह बताना आवश्यक है कि हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए ही भारत ने मालदीव और श्रीलंका जैसे देशों की आर्थिक मदद की है। भारत की सक्रिय विदेश नीति के कारण ही सेशल्स ने भारत को अपने मिलिट्री विमान असम्पशन आईलैंड पर उतारने दिए है। भारत इंडोनेशिया के साथ सबांग बंदरगाह प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहा है। साथ ही अफ्रीका में जिबूती, पश्चिम एशिया में ओमान के दुकम बंदरगाह पर सैन्य गतिविधि के लिए भारत को अनुमति प्राप्त है। चीन के पड़ोसी देशों में जापान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया के साथ भारत के सैन्य समझौते हैं, जिसके अंतर्गत भारतीय नौसेना को इन देशों के बंदरगाहों पर तेल भरवाने मरम्मत करवाने और हथियार जुटाकर आगे बढ़ने का अधिकार है। इस प्रकार भारत चीन की नीतियों का सक्रिय और मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। भारत सरकार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की तरह प्रोपेगेंडा करके स्वयं को सशक्त दिखाने का प्रयास नहीं करती, किंतु सत्य यह है कि भारत हिंद महासागर में इतना सशक्त है कि आवश्यकता पड़ने पर भारत, चीन के समस्त व्यापार को ठप्प कर सकता है। भारत चीनी नौसेना के किसी भी प्रकार के दुस्साहस का हिंद महासागर से लेकर दक्षिण चीन सागर तक मुंह तोड़ जवाब दे सकता है।
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