साम्यवादी शासन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं होती। चीन में भी नहीं है। किन्तु, अपने बर्बर शासन को यथोचित ठहराने के लिए ऐसे शासकों को ही सबसे अधिक अभिव्यक्ति की आवश्यकता होती है लेकिन ऐसे अभिव्यक्ति की जिसमें स्वामीभक्ति का तत्त्व होना अनिवार्य है। इसके लिए चीन ने ग्लोबल टाइम्स नाम का एक अखबार पाला है।
पर चीन ये भी जनता है कि उसके प्रोपगेंडा में सबसे बड़ा बाधक भारत है इसलिए ग्लोबल टाइम्स की एक शाखा भारत में भी होनी चाहिए, जोकि चीन के राष्ट्रीय हित के लिए काफी अच्छा है और इसकी कमान भारत में जिस मीडिया आउटलेट ने संभाली है उसका नाम है- द हिन्दू।
भारत में चीनी राजदूत, सन वेदॉन्ग (Sun Weidong) ने बुधवार को द हिंदू अख़बार के मुख्यालय का दौरा किया। यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि द हिंदू का झुकाव वामपंथ की ओर है। चीनी राजदूत तमिलनाडु राज्य की दो दिवसीय यात्रा पर थे। इसी दौरान वो द हिंदू अख़बार के मुख्यालय भी दौरा करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने इसके संपादक सुरेश नंबथ और अन्य स्टाफ सदस्यों के साथ भी बातचीत की।
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राजदूत सन वेदॉन्ग ने ट्वीटर पर अपनी यात्रा का एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा- “द हिंदू के मुख्यालय का दौरा किया। आमने-सामने संचार आपसी समझ और विश्वास की ओर ले जाता है।’’
Visited the headquarters of @the_hindu. Face-to-face communication leads to mutual understanding and trust. Welcome you all to explore and know more about a real, objective and 3-dimensional China. pic.twitter.com/MpJ3hWLYF3
— Embassy of The People's Republic of China in India (@China_Amb_India) June 1, 2022
वेदॉन्ग को संपादक सुरेश नंबाथ, अन्य संपादकों और पत्रकारों के साथ बातचीत और विचारों पर चर्चा करते देखा जा सकता है। उन्हें पूरे मीडिया आउटलेट के कामकाज की प्रशंसा करते हुए भी देखा जा सकता है। वेदॉन्ग चीन और तमिलनाडु के बीच मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान और व्यावहारिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए राजकीय यात्रा पर है।
‘द हिंदू’ काफी लम्बे समय से चीनी प्रचार को आगे बढ़ा रहा हैं। यहाँ यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वामपंथी आउटलेट ‘द हिंदू’ और चीनी सरकार के बीच आपसी समझ और विश्वास पिछले कई वर्षों से वैचारिक और आर्थिक रूप से मजबूत हुआ है।
वर्ष 2021 में जब चीन को वुहान लैब में अपने कथित कोरोनावायरस प्रयोगों, उसके बाद महामारी की उत्पत्ति और फिर उसके प्रसार के बारे में गलत सूचना देने के लिए वैश्विक निंदा का सामना कर रहा था तब, ‘द हिंदू’ ने कम्युनिस्ट चीन के प्रचार को बढ़ावा देकर अपने वाणिज्यिक और वैचारिक हितों को राष्ट्र के ऊपर चुना था।
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1 जुलाई को, द हिंदू ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की शताब्दी की वर्षगांठ के अवसर पर एक पूर्ण-पृष्ठ विज्ञापन प्रकाशित किया था जिसके लिए उसे साम्यवादी स्वामी द्वारा पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था। भुगतान की गई सामग्री का विवरण पन्ने के तीसरे पृष्ठ पर अंकित था।
इसके अलावा वर्ष 2020 में जब गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीनी सैनिकों के बीच घातक झड़प में 20 बहादुर भारतीय सैनिकों की मौत हो गई तब भी ‘द हिंदू’ ने बेशर्मी का परिचय देते हुए चीन के पक्ष में एक विज्ञापन प्रकाशित किया था।
1 अक्टूबर, 2020 को, द हिंदू ने चीन के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर पैसा लेकर एक पूर्ण-पृष्ठ विज्ञापन चलाया था। पैसा कमाने और कम्युनिस्ट प्रचार को आगे बढ़ाने की जल्दी में, हिंदू ने भारतीय सैनिकों के बलिदान को शर्मशार करते हुए चीनी विज्ञापन प्रकाशित किया था। बाद में, आयकर विभाग ने अखबार और चीन के बीच कथित वित्तीय लेनदेन के बारे में अंग्रेजी दैनिक के खिलाफ जांच शुरू की।
इसी तरह, 2 अप्रैल, 2020 को द हिंदू ने चीन का एक और विज्ञापन प्रकाशित किया। विज्ञापन चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंधों के 70 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए डाला गया था, जबकि चीन ने किए गए वादों पर भारत को धोखा देना तब भी जारी रखा।
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आपको याद दिला दें कि ये वही ‘द हिन्दू’ है जिसने स्वर्गीय जनरल विपिन रावत जी के स्वर्गावास पर उन्हें सिर्फ रावत कहकर संबोधित किया जबकि पकिस्तान के बाजवा को पूरे सम्मान के साथ ‘जनरल’ की उपाधि देते हुए संबोधित किया।
ये वही द हिन्दू है जिसने भारत के पक्ष के विपरीत जाते हुए यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए रूस की आलोचना की।
मीडिया का कर्तव्य है कि शासन को आइना दिखाते हुए जनता की आवाज़ उठाता रहे. सरकार से सार्थक सवाल करता रहे। खुद को निष्पक्ष रखे और राष्ट्र की सेवा करे. लेकिन, द हिन्दू में इनमे से कोई गुण मौजूद नहीं है। वो सरकार को निरर्थक रूप से घेरता रहता है। जनता को दिग्भ्रमित करता है।
राष्ट्र की छवि को धूमिल करता है और जहाँ तक रहा निष्पक्षता का प्रश्न तो डीएमके संसद कनिमोझी इसके कर्मचारी संघ की अध्यक्ष हैं और इसके निदेशक एन. राम की भतीजी से डीएमके सांसद दयानिधि मारन की शादी हुई है। इससे आप स्वयं समझ सकते हैं कि द हिन्दू कितना निष्पक्ष है। अगर आपको इसमें भी संदेह है तो आप एक बात से तो अवश्य सहमत होंगे कि विरोधी राष्ट्र का महिमामंडन करना तो कहीं से पत्रकारिता के उत्तरदायित्व में नहीं आता।
एक नागरिक के तौर पार आप इसका बहिष्कार करें. सरकार इस पर करवाई करें। इसको प्रमाणिक मीडिया संस्थान मानते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु इसको मानदंड बनाना बंद करें और अपने देश की अंदर बैठे गद्दारों से रक्षा करें।
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