हिंदू धर्म में हर दिन किसी ना किसी भगवान को समर्पित होता है। लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार अलग-अलग दिन अलग-अलग देवी देवताओं को पूजते हैं। जहां सोमवार का दिन शिव जी को समर्पित है, तो वहीं मंगलवार को हनुमान जी की पूजा की जाती है।
इसी तरह शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित होता है। इस दिन शनि देव की पूजा करने का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यताओं के मुताबिक शनि देव अगर किसी से क्रोधित हो जाएं, तो उसका जीवन बर्बाद हो जाता है। इसलिए शनि देव के प्रकोप से हर कोई डरता है।
हालांकि इस बीच शनि देव के पूजन से जुड़ी एक बात ऐसी है, जो शायद आपके भी ध्यान में कभी ना कभी आई हो। वो यह कि गांव के मुकाबलों शहरों में अधिक लोग शनि देव की पूजा करते नजर आते हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार के गांवों में आपको शनि देव के मंदिर कम और काफी दूरी पर ही देखने को मिलेंगे।
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वहीं, अगर आप दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में जाएंगे तो आपको हर 300-400 मीटर की दूरी पर कोई ना कोई शनि मंदिर दिख ही जाएगा। ऐसा क्यों? आखिर कैसे शनि देवता महानगरों के भगवान बनते जा रहे हैं? इस सवाल का जवाब जानने से पहले शनि देवता से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां जानना जरूरी है।
शनि देवता को न्याय और कर्मों का देवता माना जाता हैं। शनि, सूर्य देवता के पुत्र थे। शनि देव और उनके प्रकोप से लोग भयभीत रहते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि को सबसे ‘क्रूर ग्रह’ माना गया हैं। शनि देव लोगों को उनके कर्मों के हिसाब पुरस्कृत या दंडित करते हैं।
जो लोग बुरे कामों से दूर रहते हैं, उन्हें शनि देव से भयभीत होने की जरूरत नहीं, क्योंकि अगर शनि देव प्रसन्न रहते हैं तो वो कुछ नहीं कहते। हालांकि शनि देव किसी भी तरह के अन्याय या गलत काम को बर्दाश्त नहीं करते। इसलिए बुरे काम करने वालों को उनके गुस्से का सामना करना पड़ता है।
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माना जाता है कि एक बार अगर शनि देव किसी व्यक्ति से नाराज से हो जाएं तो उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं। उसे शनि के प्रकोप का सामना करना पड़ता है और जीवन में समस्याएं आना शुरू हो जाती हैं। मान्यताएं हैं कि शनि की साढ़े साती जब किसी पर अपना असर डालती है तो इसके प्रकोप से राजा से लेकर रंक तक कोई नहीं बच पाता। इसीलिए लोग लोग भक्ति से ज्यादा शनि देव को प्रसन्न रखने और सजा से बचने के लिए उनकी पूजा करते हैं।
अब बात करते हैं आखिर क्यों गांव के मुकाबले शहर के लोग शनि देव को अधिक पूजते हैं? गांवों के मुकाबले शहरों में लोग अधिक ‘पापों’ में लिप्त होते चले जा रहे हैं। हम सभी लोग रोजाना ही कोई ना कोई गलत काम तो कर ही देते हैं। फिर चाहे वो जानबूझकर हो या फिर अनजाने में। हालांकि अगर देखा जाए तो गांव की तुलना में शहर के लोग अधिक बुरे काम करते हैं। गांव में आपको शायद ही ऐसा कोई शख्स मिलेगा जिसका विवाहेतर संबंध हो, जबकि शहरों में तो यह सबकुछ आम बात होती जा रही है।
आधुनिक बनने और वक्त के साथ चलने की होड़ में शहरों के लोग अपनी परंपराओं और संस्कृति को पीछे छोड़ रहे हैं। शहरों के मुकाबले गांव के लोग अधिक अपनी संस्कृति से जुड़े रहते हैं। अपने माता-पिता और बड़ों का सम्मान करते हैं। जबकि शहरों के बच्चों के लिए अपने माता-पिता से ऊंची आवाज में बात करना, झगड़ा करना, झूठ बोलना यह सबकुछ आम बात हो गई है।
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शहरों में अधिक लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कई बारे जाने-अनजाने में भी गलत काम कर देते हैं। हालांकि लोग अपने द्वारा गलत कामों से वाकिफ भी अच्छे से रहते हैं। इसलिए केवल भक्ति के लिए ही नहीं शनि देव के प्रकोप और उनके क्रोध से बचने के लिए भी शहरों में लोग अधिक उन्हें पूजते हैं और तेल चढ़ाते हैं।