पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस वक्त डरी हुई हैं। ममता को बंगाल विभाजन का भय इस कदर सताने लगा है कि अब इस मामले पर उन्होंने अपनी जान देने तक की बात कही है। बंगाल बंटवारे को लेकर ममता बनर्जी ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया।
उन्होंने कहा कि राज्य को विभाजित करने की कोशिशों को नाकाम करने के लिए वो अपने खून का एक-एक कतरा तक बहाने को तैयार हैं। इस दौरान सीएम ममता बनर्जी ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले BJP बंगाल में अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है।
अलीपुरद्वार में पार्टी बैठक को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, “लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, भाजपा अलग राज्य की मांग को हवा दे रही है। वो कभी उत्तर बंगाल को अलग करने की मांग कर रही है, तो कभी गोरखालैंड को। जरूरत पड़ने पर मैं अपना खून भी देने को तैयार हूं, लेकिन किसी भी कीमत पर राज्य का विभाजन नहीं होने दूंगी।’’
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बंगाल भाजपा का एक वर्ग बंगाल विभाजन की मांग उठा चुका है। अलीरपुर सांसद जॉन बारला बंगाल के उत्तरी इलाके को अलग राज्य और केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग कर चुके हैं। वहीं, बीते दिनों आतंकी संगठन कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन ने ममता को अलग राज्य की मांग का विरोध करने पर रक्तपात की धमकी दी थी।
इन्हीं बयानों और धमकियों को लेकर अब बंगाल की मुख्यमंत्री ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के द्वारा मुझे धमकी दी जा रही है। मैं इससे डरती नहीं। भाजपा के उत्तर बंगाल को बांटने के प्रयासों को सफल नहीं होने देंगे।
यहां सवाल यही है कि आखिर बंगाल के बंटवारे की मांग को लेकर ममता बनर्जी इतनी डरी-सहमी क्यों हैं? ममता दीदी के हाथों में बंगाल की सत्ता है, उनके पास पावर हैं, पुलिस उनके इशारों पर काम करती है और तो और उनकी पार्टी TMC गुंडों से भरी है, जो प्रदेश में आए-दिन खूनखराबा मचाती रहती है। इन सबके बावजूद आखिर क्यों ममता को बंगाल विभाजन की मांग का इतना भय सता रहा है कि वो अपनी जान का एक-एक कतरा तक देने की बात कहने लगी हैं?
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बंगाल विभाजन की तेज होती मांग ने ममता बनर्जी की नीद उड़ाकर रख दी हैं। ममता बनर्जी को यह भी डर सता रहा है कि कहीं यह मांग जनआंदोलन का रूप ना ले ले। दरअसल, उत्तर बंगाल विकास के मामले में पिछड़ा हुआ है। आरोप यह लगाए जाते हैं कि सरकार की नीतियों की वजह से उत्तर बंगाल के जिले उपेक्षित हैं। इन जिलों से सरकार मोटी कमाई तो करती है लेकिन इनके विकास की ओर ध्यान नहीं देती, जिसके चलते उत्तर बंगाल पिछड़ा हुआ है।
यही तर्क देते हुए BJP सांसद जॉन बारला ने उत्तर बंगाल के कई जिलों को मिलाकर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग की थी। इसके साथ ही बांग्लादेश और नेपाल के रास्ते से होने वाली घुसपैठ भी नया केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग के पीछे एक तर्क है। अब जिस तरह ममता दीदी घुसपैठियों को संरक्षण देती आई हैं, इससे तो हर कोई वाकिफ है ही।
वैसे बंगाल विभाजन की मांग नई नहीं है, बल्कि यह लंबे अरसे से चली आ रही है। इसके लिए कई आंदोलन भी चलाए गए हैं। 1980 में बंगाल से अलग गोरखालैंड की मांग उठी। गोरखालैंड के अलावा कामतापुर को भी राज्य से अलग करने की भी मांग उठाई जाती रही है। इन आंदोलनों में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई, संसाधन बर्बाद हुए, बावजूद इसके यह आंदोलन अब तक सफल नहीं हो पाया है।
बंगाल से अलग होकर कोई भी राज्य अब तक अस्तित्व में नहीं आ पाया। ऐसे में अब देखना होगा कि बंगाल विभाजन को लेकर एक बार फिर उठी यह मांग इस बार कितनी आगे तक जाती है? लेकिन ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिरकार इस मांग को लेकर ममता बनर्जी इतना परेशान क्यों हो रही हैं? यह मांग तो बहुत पहले से उठती आ रही है, ऐसे में इस बार ऐसा क्या नया हो गया जो सीएम ममता बनर्जी बौखला गई हैं?
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