ज्ञान देना और ज्ञान बहादुर बनना, वामपंथी सदा से इस विषय में डिस्टिंक्शन के साथ पास होते आए हैं। खुद को सर्वशक्तिशाली, सामर्थ्यवान और न जाने क्या-क्या मानने वाले ये कुंठित लोग जनता की भलाई को देख नहीं सकते! आये दिन सरकार की तमाम योजनाओं के प्रति इनकी कुंठा जगजाहिर होती रही है। ऐसे में एक बार फिर ‘आरे’ की आड़ में बॉलीवुड और वामपंथी गैंग अपना एजेंडा चलाने के लिए एकजुट हो रहा है। पर्यावरण प्रेमी होने का ढोंग करने वाली यह लॉबी अपने विरोध प्रदर्शन को तेज करने की योजना बना रही है।
दरअसल, महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार ने सत्ता में आते ही उद्धव सरकार के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें आरे में मेट्रो कार शेड बनाने पर रोक लगाई गई थी। शिंदे सरकार ने फैसला क्या पलटा ये कथित बुद्धिजीवी सड़कों पर उतर आए और नए सिरे से लड़ाई की तैयारी में हैं। सरकार के फैसले के विरुद्ध में मुंबई में विरोध-प्रदर्शन की शुरु हो गया है। गोरेगांव में कथित पर्यावरणविदों ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं, बॉलीवुड सितारे भी एक-एक कर आरे में मेट्रो कार शेड बनाने के विरोध में फिर से अपनी आवाज उठाने लगे हैं।
पहले भी जब आरे को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था तो बॉलीवुड सितारों ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। श्रद्धा कपूर, वरुण धवन, करण जौहर समेत कई बॉलीवुड सितारों ने मेट्रो के लिए पेड़ों को काटने का खुलकर विरोध किया था। तब इस मुहिम ने काफी तूल पकड़ा और अंत में वर्ष 2019 में महाविकास अघाड़ी सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस परियोजना पर बुद्धिजीवियों के आगे घुटने टेक दिए थे।
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आधुनिक परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक है यह प्रोजेक्ट
देखा जाए तो यह इन कथित पर्यावरण प्रेमियों और एक्टिविस्टों का ‘संयोग’ नहीं बल्कि ‘प्रयोग’ है। जो देश के विकास में अडंगा लगाने के प्रयासों में अपने इस तरह के एजेंडे को अंजाम देने में जुटे रहते हैं। यह सबकुछ एक षड्यंत्र के तहत किया जा रहा है। परंतु इन एक्टिविस्टों के इस तरह के विरोध प्रदर्शन से नुकसान किसको होता है? जनता को। मुंबई मेट्रो 33.5 किलोमीटर लंबे कोलाबा-बांद्रा-सीप्ज अंडरग्राउंड मेट्रो लाइन के लिए MMRDA द्वारा एक मेट्रो कार शेड बनाया जा रहा है, जिसे लेकर बवाल मचा है। इस प्रोजेक्ट को लेकर लंबे समय से बीजेपी और शिवसेना आमने-सामने हैं। ये पहले आरे कॉलोनी में बनना था लेकिन उद्धव ठाकरे सरकार ने इसे शहर के कांजुरमार्ग शिफ्ट कर दिया था लेकिन MVA के सत्ता से जाते ही इसे आरे कॉलोनी में ट्रांसफर कर दिया गया है। ध्यान देने वाली बात है कि यह केवल आरे कॉलोनी में एक छोटे से क्षेत्र तक ही सीमित है और मुंबईकरों के लिए एक आधुनिक परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए यह काफी आवश्यक है, इसके बावजूद कथित पर्यावरणविद जहर बोते दिख रहे हैं।
#WATCH | Mumbai: Protests underway in Aarey, Goregaon against metro car shed.
The newly formed Maharashtra government has directed the Advocate General that the metro car shed be built in Mumbai's Aarey colony itself. pic.twitter.com/XJ6Yr76atI
— ANI (@ANI) July 3, 2022
इन्हें मुंबई की जनता की कहां पड़ी है
इन तथाकथित एक्टिविस्टों को मुंबई की जनता की कहां पड़ी हैं, उन्हें तो केवल अपना एजेंडा आगे बढ़ाने से मतलब है। इन पर्यावरण प्रेमियों को मुंबई की आम जनता की तरह खचाखच भरी लोकल ट्रेन में सफर थोड़ी न करना होता है, जिसमें यात्रा करना किसी खतरे से खाली नहीं है। अभी पिछले हफ्ते ही मुंबई की भीड़भाड़ वाली लोकल ट्रेन से एक युवक के गिरने का वीडियो वायरल हुआ था। इस हादसे में युवक को गंभीर रूप से चोटें भी आई थी। इससे पहले भी मुंबई लोकल ट्रेन में भीड़भाड़ होने की वजह से ऐसे कई हादसे हो चुके है लेकिन इन सबसे इन कथित पर्यावरणविदों को आखिर लेना-देना ही क्या है? इन्हें तो आराम ने अपनी लग्जरी और एसी गाड़ियों में बैठकर सफर जो करना होता है तो यह आखिर मुंबई की जनता की परेशानी क्या ही समझेंगे। लेकिन जैसे ही लोगों की भलाई और राहत के लिए सरकार द्वारा कोई कदम उठाया जाएगा यह कथित चंट प्रवृति के लोग तख्ती उठाकर प्रदर्शन करने पहुंच जाएंगे।
Metro Shed . Is welcome , just as long as we protect the wildlife (leopards and flora fauna ) around that forest area, with proper fencing, so that we don’t destroy and kill, but celebrate our humanity on this planet. https://t.co/R2iVTDILBW
— Raveena Tandon (@TandonRaveena) July 2, 2022
इससे पहले स्टरलाइट को इन्हीं एक्टिविस्टों ने डूबाया था!
ध्यान देने वाली बात है कि आरे कार शेड ऐसा पहला प्रोजेक्ट नहीं है जो इन कथित पर्यावरणविदों के एजेंडे का शिकार बन रहा हो। इससे पहले तमिलनाडु में वेदांता का स्टरलाइट कॉपर प्लांट भी इन तथाकथित एक्टिविस्टों के एजेंडे की भेंट चढ़ गया था। प्लांट को बंद कराने के लिए वामपंथियों द्वारा अभियान चलाया गया और इसके लिए जोर-शोर से विरोध प्रदर्शन भी हुए। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि प्लांट से निकलने वाले कचरे की वजह से ग्राउंड वॉटर दूषित हो रहा है। इन प्रदर्शनों ने इतना व्यापक रूप ले लिया था कि इस दौरान 14 लोगों की मौत भी हो गई। अंत में वर्ष 2018 में इस प्लांट को मजबूरन बंद करने की नौबत आ गई। स्टरलाइट प्लांट की क्षमता ऐसी थी कि यह अकेले दम पर भारत को कॉपर का प्रमुख एक्स्पोर्टर बना सकता था लेकिन यह भी इन कुंठितों के भेंट चढ़ गया था। अब यही लोग अपने एजेंडा को आगे बढ़ाते हुए आरे प्रोजेक्ट को लेकर विधवा विलाप कर रहे हैं।
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