अमानतुल्लाह खान, केजरीवाल की पार्टी के वे कुख्यात एमएलए जो आये दिन कानूनी पचड़ों में पड़े रहते हैं। कभी- कभी तो लगता है जैसे वे अपनी किस्मत आज़मा रहे है कि कब तक और किस हद तक वे बार बार कानून और नियमों की हत्या कर पुलिस से बचते रहेंगे। लेकिन वह कहते हैं न कि ‘क़ानून के हाथ बड़े लम्बे होते हैं’। आखिरकार क़ानून के हाथ उन तक पहुँच ही गए हैं।
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को आम आदमी पार्टी के विधायक और दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्ला खान और बोर्ड के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी महबूब आलम के खिलाफ 2016 के एक मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है।
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क्या है मामला?
दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग के सबडिविजनल मजिस्ट्रेट (मुख्यालय) ने नवंबर 2016 में दिल्ली वक्फ बोर्ड में विभिन्न मौजूद और गैर-मौजूद पदों पर खान द्वारा ‘मनमानी और अवैध’ नियुक्तियों का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज की थी। सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने एक मामला दर्ज कर लिया था और जांच की थी, जिसमें ‘पर्याप्त अभियोजन योग्य सबूत’ मिले थे, जिसके बाद जांच एजेंसी ने उपराज्यपाल से अभियोजन की मंजूरी मांगी थी। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने इस साल मई में इस बाबत उपराज्यपाल से अनुरोध किया था।
लेफ्टिनेंट गवर्नर के कार्यालय के एक अधिकारी के अनुसार, संघीय एजेंसी अब दिल्ली के विधायक पर “आपराधिक अपराधों के लिए मुकदमा चला सकती है, जिसमें नियमों, विनियमों और कानून के जानबूझकर और आपराधिक उल्लंघन और सरकारी खजाने को वित्तीय नुकसान पहुंचाने वाली स्थिति का दुरुपयोग शामिल है”। आम आदमी पार्टी ने हमेशा की तरह इसे विपक्ष की चाल और केजरीवाल की पार्टी को बदनाम करने का उनका प्लान बताकर कहा है कि वे अमानतुल्लाह के साथ खड़े हैं।
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पहली बार नहीं तोडा क़ानून
अमानतुल्लाह खान आये दिन खबरों में छाये रहते हैं। बात चाहे कुछ माह पहले गैर- कानूनी घरों को सरकारी जमीन से हटाने के लिए म्युनिसिपल कारपोरेशन की कार्यवाही रोकने की हो या फिर शाहीन बाग में धरना देने बैठी महिलाओं की सहायता करने की, या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करना हो या मुस्लिम समुदाय को दंगों के लिए भड़काना, अमानतुल्लाह खान पर कई इलज़ाम लग चुके हैं।
इसके अलावा उन पर आरोप है कि उन्होंने मदनपुर खादर श्मशान घाट के ठीक सामने, यूपी-सिंचाई विभाग से संबंधित 5। 2 एकड़ भूमि पर एक अवैध रोहिंग्या शिविर के बसने मई सहायता की थी। जैसे ही शिविर शुरू हुआ, 300 से अधिक अवैध अप्रवासियों को आप सरकार से राहत सामग्री और अन्य सुविधाएं भी मिलने लगीं। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट जिसने सबसे पहले इस मुद्दे को प्रकाश में लाया था, ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार और स्थानीय आप विधायक अमानतुल्ला खान रोहिंग्या प्रवासियों को राशन की आपूर्ति कर रहे थे। इतना ही नहीं, रोहिंग्या बिजली की चोरी के अलावा पानी की आपूर्ति के लिए अवैध रूप से बोरिंग भी कर रहे थे।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया था कि ओखला विधायक अमानतुल्ला खान ने म्यांमार से आने वाले अवैध प्रवासियों को इस जमीन पर व्यवस्थित रूप से बसाया था ताकि भविष्य के चुनावों में उन्हें अपने संभावित वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल कर सकें। जब उन रोहिंग्या प्रवासियों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस को पत्र लिखा गया तो ओखला के विधायक अमानतुल्ला खान ने तब इस तरह के निष्कासन पर आपत्ति जताई। साथ ही आप विधायक ने रोहिंग्या प्रवासियों के लिए आधार और वोटर आईडी कार्ड बनवाए।
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हालांकि आम आदमी पार्टी ने कभी भी इन इल्ज़ामों की सत्यता को पहचानने की कोशिश नहीं की। उल्टा अपनी आँखों पर पट्टी बाँध हमेशा की तरह अपने कबीले के दागी विधायक के पीछे पूरी मजबूती से खड़ी है, जैसा कि उन्होंने सोमनाथ भारती के मामले में किया था, जैसा कि उन्होंने जितेंद्र सिंह तोमर के मामले में किया था, जैसा कि उन्होंने अपने प्रमुख सचिव राजेंद्र के मामले में किया था। वास्तव में उनकी ताकत और एकजुटता का प्रदर्शन पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और स्पष्ट था।
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