कई बार कुछ चीज़ें हमारे सामने होती हैं पर हम उससे अनभिज्ञ रह जाते हैं, कुछ ऐसा ही जैसे बैंक निफ्टी है। वैसे ही शरिया निफ्टी भी मौजूद है। जी हाँ, यह बिलकुल सच है। पहले से ही व्यक्तिगत शरिया कानून के साथ अपने समुदाय को नियंत्रित करते हुए ‘धर्मनिरपेक्ष’ भारत में मुसलमान मूल इस्लामी कानूनों पर समानांतर अर्थव्यवस्था चला रहे हैं। इसका सबसे बडा उदाहरण और कोई और नहीं बल्कि यही शरिया निफ्टी है।
Did you know India has an official Islamic version of Nifty?
The National Stock exchange offers an exclusive "Nifty Sharia Index" which includes only companies in line with Islamic principles, suitable for Islamic investor sentiment & excludes companies deemed Haram.
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— Cogito (@cogitoiam) July 28, 2022
दरअसल जैसे एक बैंक निफ्टी है, वैसे ही एक शरिया निफ्टी भी मौजूद है। जिसकी जानकारी अब तक एक सीमित वर्ग तक को ही थी। शरिया सूचकांक को उन कंपनियों के सूचकांक के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो शरिया कानून के अनुरूप चलते हैं। सूचकांक में सूचीबद्ध होने से पहले इन कंपनियों की एक अधिकृत बोर्ड द्वारा जांच की जाती है। इस तरह के सूचकांक दुनिया भर में मौजूद हैं और भारत में चार मुख्य सूचकांक हैं। जो शरिया-अनुपालन कंपनियों को इंडेक्स करते हैं। जो एसएंडपी बीएसई 500 शरिया इंडेक्स, बीएसई टैसिस शरिया 50 इंडेक्स, निफ्टी 500 शरिया इंडेक्स और निफ्टी 50 शरिया इंडेक्स हैं। शरिया सूचकांकों में कंपनियों को शामिल करने के लिए कंपनियों की स्क्रीनिंग करने वाले बोर्डों को व्यक्तिगत कानून या शरिया को नियंत्रित करने वाले कुरान के सिद्धांतों से अच्छी तरह वाकिफ होना चाहिए।
NSE Indices Limited, the subsidiary of the National Stock Exchange of India has contracted & pays a Sharia Advisory firm 'Taqwaa' to design the Nifty Sharia index & help identify companies suitable for Islamic investors & filter out Halal non-compliant companies in the market.
— Cogito (@cogitoiam) July 28, 2022
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मतलब, अब स्टॉक जानों या न जानों कुरान की आयतें जानते हो तो आपके लिए शरिया निफ्टी काम का है अथवा नहीं। शरिया इंडेक्स को विशेष रूप से उन सूचीबद्ध कंपनियों को अलग करने के लिए वर्गीकृत किया गया है। जिनके उत्पाद इस्लामी मान्यताओं के अनुरूप हैं। शरिया सूचकांक उन लोगों के लिए बनाए गए हैं जिनके घटकों को एक बोर्ड द्वारा अनुपालन के लिए जांचा गया है। जो कुरान के सिद्धांतों से अच्छी तरह परिचित हैं। एक तरह से शरीयत सूचकांक निवेशकों के साथ-साथ कंपनियों को उनके धार्मिक विश्वासों के आधार पर अलग करता है। यह निवेशकों को उन कंपनियों में प्रभावी रूप से निवेश करने की अनुमति देता है जो इस्लामी आस्था के अनुरूप व्यवसायों में संलग्न हैं।
तक्वा एडवाइजरी और शरिया इन्वेस्टमेंट सॉल्यूशंस इस्लामी कानूनों से अच्छी तरह वाकिफ हैं और शरिया मान्यताओं के आधार पर वे शरिया इंडेक्स के लिए कंपनियों को वर्गीकृत करते हैं। उदाहरण के लिए गैर-हलाल खाद्य और पेय पदार्थ, शराब, तंबाकू और अन्य वस्तुओं के उत्पादन, बिक्री और विपणन में शामिल कंपनियों को शरिया सूचकांक में सूचीबद्ध नहीं किया जाएगा। गैर-हलाल उत्पाद और जुआ सहित मनोरंजन प्रदान करने वाले होटल और रेस्तरां को लिस्टिंग से दूर रखा जाएगा।
Taqwaa as NSE's partner firm has in its Board members, Sharia experts & a founding member of Muslim Law Board. Imagine the outrage if India's primary stock exchange engaged Hindu scholars to create an Index consisting only Hindu owned firms or those appealing to Hindu sentiments.
— Cogito (@cogitoiam) July 28, 2022
इसी तरह वित्तीय लेनदेन के लिए ऋण की राशि, नकद और गैर-अनुपालन गतिविधियों से अर्जित राजस्व के अनुपात को भी ध्यान में रखा जाता है। चूंकि ब्याज-आधारित लेन-देन शरिया द्वारा निषिद्ध हैं। व्यवसाय स्क्रीनिंग चरण से गुजरने वाली कंपनियों को यह सुनिश्चित करने के लिए आगे जांचा जाता है कि ब्याज-आधारित ऋण या ब्याज पर धन की तैनाती/ब्याज से होने वाली कमाई शरिया विद्वानों द्वारा निर्धारित अधिकतम सहनशीलता सीमा के भीतर है। तक्वा एडवाइजरी और शरिया इन्वेस्टमेंट सॉल्यूशंस द्वारा निर्धारित मानदंड यह है कि ब्याज आधारित ऋण कुल संपत्ति के 25% से कम या उसके बराबर होना चाहिए। ब्याज आय और ब्याज आधारित निवेश से मिलने वाला रिटर्न कुल आय के 3% से कम या उसके बराबर होना चाहिए। प्राप्त राशियों के साथ-साथ नकद और बैंक शेष कुल संपत्ति के 90% से कम या उसके बराबर होना चाहिए।
There is a Shariah screening process done to identify companies deemed to do Halal non-compliant business like Financial institutions & banks as they charge interest on their financial instruments & institutions selling Halal products containing Pork, Alcohol, Tobacco, etc.
— Cogito (@cogitoiam) July 28, 2022
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सौ की सीधी बात यह है कि, शरिया इंडेक्स में शामिल होने और इस्लामी मान्यताओं के आधार पर निवेश आकर्षित करने के लिए कंपनियों को कारोबार और वित्तीय लेनदेन के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। यूँ तो पैसे उधार देना और उस पर ब्याज वसूलना इस्लामिक कानून के तहत ‘हराम’ माना जाता है। मुसलमान उन उत्पादों की बिक्री में विश्वास नहीं करते जिनका अस्तित्व निश्चित नहीं है। उदाहरण के लिए वे बीमा की अवधारणा में विश्वास नहीं करते हैं क्योंकि उत्पाद भविष्य की घटनाओं पर आधारित होता है जो हो भी सकता है और नहीं भी।
Also excluded from the Shariah Index are companies involved in music & movies, as they are deemed to promote vulgarity & promiscuity as per Shariah. And Hotels & restaurants providing non-Halal food are kept out. Composition of the Index is entirely guided by Islamic principles.
— Cogito (@cogitoiam) July 28, 2022
यह कथित बहिष्कार और अलगाव भारतीय अर्थव्यवस्था और व्यापार के इस्लामीकरण के प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है। वे अपने शरीयत विश्वासों के आधार पर एक समानांतर अर्थव्यवस्था थोपने की कोशिश कर रहे हैं। यह सर्वविदित है की हिन्दू कभी भी अपनी कला, साहित्य, संस्कृति या अन्य किसी भी रीत को अपनाने का किसी भी निकाय या संस्थान पर दबाव नहीं बनाता पर इस्लमिक राष्ट्र बनाने की सोच वाले कुछ कट्टरपंथी अपनी सोच थोपने का काम कर रहे हैं और हास्यास्पाद बात यह है कि यह विषय उनके लिए गंगा-जामुनी तहज़ीब और धर्मनिरपेक्षता का अनूठा उदाहरण है। सामाजिक शासन में शरीयत पर्सनल लॉ की तरह, शरिया निफ्टी एक विशेष आर्थिक बाजार और व्यवसाय बनाने का एक प्रयास है जो कट्टरता के प्रसार का एक अंश ही है।
A private firm offering such investment vehicles for a religious or ethnic group is understandable but why is the National stock exchange involved in categorization of companies according to Islamic principles? Its akin to imposing costs on firms that have some aspect of "Haram".
— Cogito (@cogitoiam) July 28, 2022
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