चीन और पाकिस्तान की दोस्ती किसी से छुपी नहीं है, पाकिस्तान जहां खुद को चीन का लंगोटिया यार समझता है तो वहीं चीन उसे मात्रा एक अवसर के रूप में देखता है। इस जाहिल पोर्कियों को कौन समझाए कि स्वयं को खुद्दार क़ौम कहने वाले ये पोर्की स्वयं ही जाकर चीन की गोद में बैठ गये हैं। पाकिस्तानी हुक्मरानों द्वारा चीन को पापा बनाने के बावजूद वह अपने बच्चे यानी पाकिस्तान की कोई ख़ास मदद नहीं कर रहा है, मदद की तो छोड़िए पाकिस्तान भिखारी होने की कगार पर खड़ा है तो वहीं चीन ने कुछ दिन पहले ही अपने बकाया पैसे मांग दिए। अब ऐसे में भीख और ऋण के बोझ तले दबे पाकिस्तानियों को तो धक्का ही लग गया होगा।
इस लेख में जानेंगे कि कैसे पाकिस्तान में आयी बाढ़ में जो सबसे बड़ी क्षति पाकिस्तान को हुई है वो कुछ और नहीं बल्कि CPEC ही है।
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समय की दोहरी मार झेल रहा है पाकिस्तान
समय की दोहरी मार झेल रहा पाकिस्तान पहले आर्थिक तंगी से तो जूझ ही रहा था कि प्रचंड बाढ़ ने उसकी कमर तोड़ दी है। कुल जान माल का भी भारी भरकम नुक़सान हुआ है। बाढ़ ने जितनी परेशानियां वहां के लोगों के लिए खड़ी की है उससे कहीं ज्यादा दिक्कतें तो वहां की सरकार के लिए खड़ी की हैं। दरअसल जितने लाभ चीन ने CPEC के बनने से पाकिस्तान को गिनाए थे वो सभी बाढ़ के साथ बहते हुए दिखायी दे रहे हैं। बाढ़ से CPEC को जो नुक़सान हुआ है उसकी क्षतिपूर्ति के लिए पाकिस्तान को फिर से लोन लेना पड़ेगा, एक तो उसकी अर्थव्यवस्था वैसे ही वेंटिलेटर पर है CPEC की तबाही से अब उसकी अर्थव्यवस्था मृत होने के लिए तैयार हो रही है।
CPEC का आंकलन करें तो इसकी कुल वैल्यू 2020 के हिसाब से 62 बिलियन डॉलर थी जिसे मुख्यतः चीन विकास बैंक फंड कर रहा था और अब जब बाढ़ ने CPEC का बंटाधार कर दिया है तो पाकिस्तान की मुसीबतें और बढ़ने वाली हैं। यह जग ज़ाहिर है की चीन किस तरह से आर्थिक तंगी से जूझ रहे देशों को हसीन सपने दिखाकर उन्हें अपना ग़ुलाम बनाता है और यही सपने उसने पाकिस्तान को दिखाए थे CPEC के माध्याम से लेकिन अब तो प्रकृति की मार सब तबाह करने पर उतारू है।
यह तो हुई एक बात लेकिन दूसरी और बातें हैं जिस पर डूब रहे मूर्ख पाकिस्तन को ध्यान तो देना ही चाहिए। दरअसल जैसे-जैसे CPEC का काम आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे बाढ़ का रूप साल दर साल विकराल होता जा है। एक आंकड़े की माने तो इस साल जो बाढ़ ने अपना प्रचंड रूप दिखाया है वह 700% ज़्यादा है। पाकिस्तान में साल दर साल बढ़ती बाढ़ और CPEC का कनेक्शन भी दिखता है। CPEC चीन के उत्तर-पश्चिमी शिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र और पाकिस्तान के पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को जोड़ने वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का 3,000 किलोमीटर लंबा मार्ग है जिसकी शुरुआत 2013 में हुई थी। यह पाकिस्तान और चीन के बीच एक द्विपक्षीय परियोजना है, जिसका उद्देश्य ऊर्जा, औद्योगिक और अन्य बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं के साथ राजमार्गों, रेलवे एवं पाइपलाइन्स के नेटवर्क द्वारा पूरे पाकिस्तान में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है।
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हिंद महासागर तक पहुंच बढ़ाने की है चीन की योजना
यह चीन के लिए ग्वादर बंदरगाह से मध्य-पूर्व और अफ्रीका तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करेगा ताकि चीन हिंद महासागर तक पहुंच बढ़ा सके तथा चीन बदले में पाकिस्तान के ऊर्जा संकट को दूर करने और लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए पाकिस्तान में विकास परियोजनाओं का समर्थन करेगा।
दरअसल, चीन से अपनी प्रगाढ़ दोस्ती निभाने के चक्कर में और स्वयं को बेहतर बनाने के सपने को पूरा करने के चक्कर में पाकिस्तान ने तो CPEC को मंज़ूरी दी थी किंतु उसके सपने की बुरी वाट लग चुकी है। CPEC ने न सिर्फ़ पाकिस्तान को आर्थिक रूप से कमजोर किया बल्कि बाढ़ के वेग को भी बढ़ाया, इन शॉर्ट पूरी लंका ही लगा दी। मूलतः हर जगह की अपनी एक भौगोलिक स्थिति होती है, उसका अपना एक परिस्थितिकि तंत्र होता है, उस जगह से बह रही नदियों का अपना कोर्स होता है और जब-जब इन प्राकृतिक चीजों के साथ खिलवाड़ होता है तब-तब प्रकृति अपना कहर बरपाती है और ऐसा ही पाकिस्तान के साथ हुआ है। एक आंकड़े की माने तो पहले की तुलना में इस बार बाढ़ ने 700% ज़्यादा तबाही का मंजर दिखाया है जो पाकिस्तान के समक्ष एक ख़तरे की घंटी है।
अगर हम ध्यान से देखेंगे तो यह भी पाएंगे कि बाढ़ ने जो तबाही का मंजर दिखाया है वह उन्हीं एरिया में ज़्यादा देखने को मिला है जहां से CPEC होकर गुजरता है। मुख्यतः यह एरिया खैबर पख्तूनख्वा, गिलगिट- बलटिस्तान, पंजाब प्रांत एवं बलूचिस्तान है। अब यदि इसका विश्लेषण किया जाए तो हम पाएंगे की सिंध एवं बलूचिस्तान में बाढ़ ने अपना भयानक कहर बरपाया है बाकी के एरिया ऊपरी भाग में स्थित हैं इसलिए वहां बाढ़ का प्रभाव नहीं देखने को मिलता है। मुख्यतः बाढ़ का त्वरित कारण सिंधु नदी का बढ़ा हुआ पानी है किंतु इस नदी को हिंसक बनाने का काम CPEC ने किया है, कॉरिडर के निर्माण के क्रम में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सिंधु नदी की धारा प्रवाह प्रभावित हुई जिसका परिणाम आज सबके सामने है।
इतना सब हो जाने के बाद भी पाकिस्तान के ज्ञान चक्षु खुल जाएं तो बड़ी बात होगी वरना जिस चीन का हाथ थामकर पाकिस्तान के हुक्मरान उसे जन्नत बनाने की बात करते हैं, वह उसे जहन्नुम बनाकर ही छोड़ेगा।
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