PFI, वो आतंकी संगठन जो अभी भारत में सिमी की तरह आतंकी संगठन के रूप में घोषित तो नहीं हुआ है पर जल्द हो जाएगा। बाहर से हो रहे आतंकी हमलों से निपटना अब भारत के लिए आसान हो गया है और साथ ही उसका प्रतिकार करना भी उसको आ गया है पर घर में बैठे भेदियों से निपटना बहुत कठिन है। ये PFI जैसे संगठन उन्हीं घर के भेदियों में से एक हैं। ये अपने साथ-साथ समाज के अनेकों वर्गों को प्रभावित करते हैं और ब्रेनवॉश कर उन्हें विनाश और रक्तपात के रास्ते पर जाने के लिए मजबूर करते हैं।
ऐसे में आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करना आवश्यक हो जाता है और अभी जो हो रहा है वो इसी नष्ट करने की प्रक्रिया का भाग मात्र है। आतंकवाद के बुनियादी ढांचे के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के बाद कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने चरमपंथी इस्लामिक संगठन- पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर देशव्यापी कार्रवाई शुरू की है।
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PFI ने नियमों को ताक पर रखा
दरअसल, देशभर में PFI पर हो रही कार्रवाई के चलते PFI ने नियमों को ताक पर रखकर बंद घोषित किया था और हड़ताल पर उतारू थे। इस पर केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) द्वारा घोषित हड़ताल और उसके बाद राज्य में हिंसा की छिटपुट घटनाओं को लेकर मामला अपने हाथ में लिया है। न्यायालय ने कहा कि उसके द्वारा पहले हड़ताल पर प्रतिबंध लगाया गया था और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करना स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
केरल में PFI सदस्यों की उन्मादी भीड़ ने सार्वजनिक संपत्तियों को क्षति पहुंचाते हुए तोड़फोड़ जैसे कृत्य किए। स्थानीय मीडिया के अनुसार,PFI के सदस्यों ने कन्नूर के नारायणपारा में अखबार ले जा रहे एक वाहन पर पेट्रोल बम फेंका। इसके अतिरिक्त,केरल के तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, कोझीकोड, वायनाड और अलाप्पुझा सहित कई जिलों में पथराव की सूचना मिली थी। ज्ञात हो कि केरल PFI का गढ़ माना जाता है।
न्यायालय ने राज्य प्रशासन से हड़ताल पर प्रतिबंध लगाने वाले अदालत के आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को भी कहा है। केरल हाईकोर्ट ने सरकार से किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए हर संभव तरीके का उपयोग करने के लिए कहा। केरल के विभिन्न हिस्सों में शुक्रवार सुबह से पथराव सहित हिंसा की घटनाएं हुईं क्योंकि PFI पर कार्रवाई का दौर सुबह से शाम तक जारी था। इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में कट्टरपंथी भीड़ ने राज्य के बसों में तोड़फोड़ की। उन्मादी भीड़ ने पुलिस कर्मियों को भी नहीं बख्शा और उन पर भी हमला किया। PFI सदस्यों ने पुलिस अधिकारियों पर तब हमला किया जब उन्होंने कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने का प्रयास किया। यहां तक कि पुलिस और आम जन की जान पर बन आयी थी, इसके परिणामस्वरूप केरल उच्च न्यायालय को कट्टरपंथी संगठन के विरुद्ध स्वत: संज्ञान लेना पड़ा।
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PFI के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई का निर्देश
उच्च न्यायालय ने पिनाराई विजयन सरकार को अपने ही एक आदेश का उल्लंघन करने के लिए PFI के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इससे पहले हाईकोर्ट ने राज्य में धरना-प्रदर्शन या बंद के निर्देश दिए थे। इसमें कहा गया है कि कोई भी संगठन सात दिनों के नोटिस के बिना राज्य में बंद का आह्वान नहीं कर सकता है। बता दें कि दो सदस्यीय PFI समूह ने कन्नूर में एक आरएसएस कार्यालय पर पेट्रोल बम फेंका। तमिलनाडु में आरएसएस और भाजपा कार्यालयों पर इसी तरह के हमलों की सूचना मिली थी। केरल के इतर कर्नाटक में भी खेल कुछ ऐसा ही था। राज्य सरकार ने समय रहते बैन लगाने की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी है।
कोर्ट के डंडे और सख्ती का ही कमाल था जो केरल की वामपंथी सरकार भी PFI पर कार्रवाई करने के लिए संजीदा हो गयी। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) द्वारा बुलाई गयी हड़ताल के दौरान हुई हिंसा को ‘पूर्व नियोजित’ करार देते हुए मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शनिवार को जोर देकर कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। विजयन ने कहा कि, “शुक्रवार को हुई की हड़ताल में PFI के नेतृत्व में केरल ने पूर्व-विचारित हिंसा देखी। राज्य ने उनकी ओर से एक संगठित और हिंसक हस्तक्षेप देखा, जिसके परिणामस्वरूप राज्य को भारी नुकसान हुआ। वे पूर्व नियोजित रूप से हमला कर रहे थे जिसके परिणामस्वरूप राज्य को भारी नुकसान हुआ। यह बेहद निंदनीय है।” पुलिस के प्रयासों की सराहना करते हुए सीएम विजयन ने कहा कि “उन्होंने हिंसा को नियंत्रित करने के लिए कड़ी कार्रवाई की और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उन लोगों की पहचान करना शुरू कर दिया है जो अपने चेहरे को ढककर हिंसा में लिप्त थे। हम उनकी पहचान करेंगे और किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस हिंसा में जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाएगी।”
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PFI के विरुद्ध देशव्यापी कार्रवाई शुरू
यह सब इसलिए हुआ क्योंकि प्रवर्तन एजेंसियों ने PFI के विरुद्ध देशव्यापी कार्रवाई शुरू कर दी है। कुछ दिन पूर्व एनआईए,ईडी और कई राज्य पुलिस ने PFI सदस्यों से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। 11 राज्यों में छापेमारी हुई थी जिसमें एजेंसियों ने 100 से अधिक कट्टरपंथियों और संगठन के शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार किया था। इसका प्रतिकार और विरोध करने का तरीका कुछ ऐसा निकला कि पीएफआई ने सारी सीमाएं लांघ दीं और देशभर में दंगे वाली स्थिति पैदा करनी शुरू कर दी। छापेमारी के बाद एनआईए अधिकारियों को PFI की भयावह रणनीतियों के बारे में सूचित किया गया। एजेंसी ने दावा किया कि PFI युवाओं को लश्कर और आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रहा था। इसके अलावा संगठन भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए काम कर रहा था। एजेंसियों ने यह भी दावा किया कि संगठन पीएम मोदी के बिहार दौरे के दौरान उन्हें निशाना बनाने की योजना बना रहा था। यह ध्यान देने योग्य है कि देश में कट्टरपंथ तेजी से बढ़ रहा था। कई सांप्रदायिक दंगों की जांच ने राष्ट्र के हित के विरुद्ध काम करने वाले एक सुव्यवस्थित पारिस्थितिकी तंत्र का पर्दाफाश किया है।
अब सुरक्षा एजेंसियों की अथक कार्रवाई से PFI को यह तो समझ आ गया है कि उसके अंतिम दिन करीब हैं। इसी बौखलाहट में वो देशभर में अपनी खोखली होती जड़ों को देख नहीं पा रहा है। अब तो यह मानना ही बेहतर है कि PFI अब मौत के मुंह में जा चुका है और भारत में उसके जैसे सभी संगठन धीरे-धीरे अपनी अंतिम सांसें गिनते रहेंगे।
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