ई-रिक्शा से भारतीय अनभिज्ञ नहीं हैं। हमारे देश की सड़कों पर हर तरफ ई-रिक्शा दिख जाते हैं। ई-रिक्शा को अलग-अलग राज्यों में, अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। ई-रिक्शा, कम दूरी तय करने के लिए बनाया गया है। लोगों को जब भी आस-पास ही कहीं जाना हो और उनके पास जाने के लिए स्वयं की कोई सुविधा उपलब्ध न हो तो ऐसे लोगों के लिए ई-रिक्शा बड़े फायदे का सौदा साबित होता है।
इसके साथ ही तर्क यह भी दिया गया कि ई-रिक्शा प्रदूषण मुक्त वाहन है, हालांकि इस तर्क को जितना प्रचारित किया जाता है, जितनी इसकी चर्चा की जाती है, वैसा है नहीं। इलेक्ट्रिक व्हीकल क्यों हमारे लिए अच्छे नहीं हैं, इस पर हमने अलग से एक लेख लिखा है, आप उसे पढ़ सकते हैं। कुल मिलाकर कहें तो ई-रिक्शा को बहुत प्रचारित किया गया और देखते-देखते इसकी संख्या सड़कों पर बढ़ने लगी। इसके साथ ही देखते-देखते ई-रिक्शा लोगों के लिए एक समस्या भी बन गया। आइए, आज हम बात करते हैं कि कैसे ई-रिक्शा बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे शहरों के लिए भी समस्या बनकर सामने आया है।
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असंख्य संख्या
ई-रिक्शा, सड़कों पर कितने हैं? इस सवाल का सही जवाब कहां से मिलेगा हमें नहीं पता, लेकिन 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक अकेले नोएडा में ही सड़कों पर सैकड़ों ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर ई-रिक्शा गैर-पंजीकृत हैं। दरअसल, अधिकृत संस्था कुछ निश्चित डीलर्स को ई-रिक्शा बेचने की अनुमति देती है, लेकिन जितने पंचीकृत डीलर्स होते हैं उससे कहीं ज्यादा गैर-पंजीकृत डीलर्स ई-रिक्शा बेचते हैं। गैर-पंजीकृत डीलर्स से ही लोग ई-रिक्शा खरीदते हैं, और चलाने लगते हैं।
ई-रिक्शा की संख्या सड़कों पर बढ़ती जाती है। देश के कई बड़े शहरों में आप यह देख सकते हैं कि हजारों की संख्या में ई-रिक्शा दौड़ते हैं। लखनऊ, कानपुर, नोएडा, दिल्ली, भोपाल, पटना,हैदराबाद समेत सभी बड़े शहरों में हजारों की संख्या में ई-रिक्शा दौड़ते हैं। जो कि अंतत: सड़कों को जाम करते हैं। सड़कों पर जितने ई-रिक्शा दिखते हैं, उतनी सवारियां नहीं दिखती। पूरी सड़क को यह ई-रिक्शा जाम करके रखते हैं। इससे दूसरी गाड़ियां को बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है। चाहे कोई टू व्हीलर हो या फिर फोर व्हीलर. ये लोग सड़कों पर बेवजह लगे जाम में फंसे रहते हैं।
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ई-रिक्शा की भीड़
इतनी बड़ी संख्या में ई-रिक्शा का सड़कों पर होने का एक मुख्य कारण ये भी है कि यह सस्ता होता है तो लोग इसे खरीद लेते हैं। इसके साथ ही कई समाजसेवी भी गरीबों में यही ई-रिक्शा बांटते हैं। वहीं दूसरी तरफ कई नेता भी ई-रिक्शा लोगों के बीच बांटते हैं, इससे ई-रिक्शा की संख्या सड़कों पर बढ़ती जाती है।
सवारियों की संख्या
असंख्य ई-रिक्शा की समस्या के बाद हमारे सामने आती है, सवारियों की संख्या की समस्या। सरकारी नियम के अनुसार एक ई-रिक्शा में अधिकतम 5 सवारियों को बैठाया जा सकता है, लेकिन ऐसा कब होता है? ई-रिक्शा में ड्राइवर 8-8 लोगों को बैठा लेते हैं। बैठाना सही शब्द नहीं होगा, ठूंस लेते हैं। कई बार तो आठ से भी ज्यादा। ऐसा ठसाठस भरा ई-रिक्शा, कहीं भी पलट जाता है। यह सवारियों के लिए तो खतरनाक साबित तो होता है, साथ ही दूसरे लोगों के लिए भी ख़तरा बनता है। इसके साथ ही सड़क पर जब वो ई-रिक्शा चलता है तो दूसरे वाहनों को भी समस्या बनी रहती है- क्योंकि इतने लोगों से भरे हुए ई-रिक्शे को लेकर एक डर होना निश्चित है।
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ई-रिक्शा है ‘मालगाड़ी’ नहीं!
ई-रिक्शा इन दिनों में एक और बड़ी समस्या पैदा कर रहे हैं। दरअसल, ई-रिक्शा को कई बार ड्राइवर माल ढोने के लिए इस्तेमाल करते हैं। छोटी दूरी के लिए उसी से माल ढोते हैं। अलग-अलग तरह का सामान- ई-रिक्शा ड्राइवर सड़कों पर ले जाते हुए देखे जा सकते हैं। कई बार तो ई-रिक्शा मालिक, अपने ई-रिक्शा के ढांचे को पूरी तरह से बदल देते हैं। वो उसे बस माल ढुलाई गाड़ी बनाकर रख लेते हैं, इसे फिर व्यस्त सड़कों से निकालते हैं। इससे लोगों के चोट लगने का, एक्सीडेंट होना का ख़तरा भी बना रहता है। इस तरह देखा जाए तो ई-रिक्शा को जो मालगाड़ी बनाने का चलन है, वो भी बहुत ख़तरनाक साबित हो सकता है।
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क्या है उपाय?
ई-रिक्शा की वज़ह से जो समस्याएं हमारे सामने आती हैं, जो दिक्कतें लोगों को होती हैं, वो हमने समझ लीं, लेकिन अब हमें यह भी समझना होगा कि इन समस्याओं का समाधान क्या है? इन समस्याओं का उपाय क्या है? इनसे कैसे छुटकारा पाया जा सकता है क्योंकि ई-रिक्शा को प्रतिबंधित कर देना बिल्कुल भी सही उपाय नहीं है क्योंकि यह बहुत से लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है।
इससे इतर कुछ उपाय अवश्य अपनाने चाहिए, जैसे कि प्रशासन को यह तय करना चाहिए कि कितने ई-रिक्शा एक शहर में या फिर उस शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में उपलब्ध होंगे, सरकार को एक नंबर तय कर देना चाहिए। गैर-पंजीकृत ई-रिक्शा पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए। गैर-पंजीकृत डीलर्स के ऊपर कार्रवाई होनी चाहिए।
इसके साथ ही प्रशासन को सख्ती के साथ यह तय करना चाहिए कि ई-रिक्शा में जितनी सवारियां बैठाने की अनुमति है, उतनी ही बैठाई जाएं, इससे ज्यादा सवारियां अगर बैठती हैं तो उन ई-रिक्शा को जब्त कर लेना चाहिए। साथ ही साथ माल ढुलाई करने वाले ई-रिक्शों को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देना चाहिए। ये उपाय अपनाकर बहुत हद तक हम ई-रिक्शा से होने वाली दुर्घटनाओं पर रोक लगा सकते हैं और ट्रैफिक जाम से भी मुक्ति पा सकते हैं।
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