राजनीति में आने के बाद लोगों के रंग कितनी जल्दी बदलते हैं, यह आम आदमी पार्टी और उनके संस्थापक अरविंद केजरीवाल को देखकर पता चलता है। कुछ वर्षों पूर्व जो अरविंद केजरीवाल राजनीति बदलने, देश से भ्रष्टाचार खत्म करने जैसे बड़े बड़े वादे कर दिल्ली की सत्ता में आये थे, उनकी और आम आदमी पार्टी की सच्चाई अब सबके सामने आने लगी है। घोटालों से लेकर तमाम तरह के विवादों में आये दिन AAP के नेता घिरे ही रहते हैं। ताजा मामला दिल्ली के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम से जुड़ा है, जो भले ही सरकार से हट गए हो लेकिन इसके बाद भी उनकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही।
पूरा विवाद नेता के एक कार्यक्रम से शुरू हुआ था, जिसमें राजेंद्र पाल गौतम ने न केवल 10 हजार की बड़ी संख्या में हिंदुओं का धर्मांतरण कराया, बल्कि इसके साथ ही इस दौरान उन्होंने हिंदू देवी देवताओं के विरुद्ध जहर भी उगला था। इसको लेकर विवाद इतना बढ़ गया था कि उन्हें मंत्री पद छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। राजेंद्र गौतम ने भले ही मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया हो, परंतु आम आदमी पार्टी में वह अब तक बने हुए है। उनके विरुद्ध कार्रवाई करना तो दूर की बात रही आम आदमी पार्टी के किसी बड़े नेता ने उनके बयान की निंदा तक नहीं की। यह चुनावी मौसम के दौरान हिंदू होना का ढोंग रचने वाले अरविंद केजरीवाल का दोहरा चरित्र दिखाता है।
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बौद्ध संगठनों का राष्ट्रपति को पत्र
भले ही आम आदमी पार्टी ने राजेंद्र पाल गौतम के विरुद्ध कोई कार्रवाई न की हो, परंतु उनके मंत्री ने जिस बौद्ध धर्म में हिंदुओं का धर्मांतरण कराया, वहीं अब उनके विरोध में उतर आए हैं। दरअसल, बौद्ध धर्म से जुड़े तमाम संगठनों ने राष्ट्रपति दौपद्री मुर्मू को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने मांग की कि AAP विधायक राजेंद्र पाल गौतम के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए। संगठनों ने अपने पत्र में कहा कि कार्यक्रम के दौरान जो कुछ भी हुआ था, वह न तो बौद्ध धर्म के अनुसार है न ही भगवान बुद्ध के उपदेशों के अनुरूप।
बौद्ध भिक्षुओं ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा है- “देश का कोई धर्म किसी अन्य धर्म को अपमानित करने की अनुमति नहीं देता है। राजेंद्र पाल गौतम ने दिल्ली सरकार में एक मंत्री रहते हुए हिंदू देवी-देवताओं का अपमान कर संवैधानिक संस्था का भी अपमान किया है, जो कि एक गंभीर आपराधिक मामला है और इसके लिए उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।”
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‘धर्म संस्कृति संगम’ के राष्ट्रीय महासचिव राजेश लांबा समेत विभिन्न बौद्ध संगठनों के 19 लोगों ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। संगठनों ने कहा कि बौद्ध धर्म किसी भी समुदाय के प्रति नफरत नहीं फैलाता और न ही किसी धर्म के विरुद्ध है। बौद्ध धर्म किसी भी भगवान के खिलाफ नहीं है, बल्कि वह दूसरे धर्मों के साथ सहयोग करके चलता है। भगवान बुद्ध की शिक्षाओं में ‘अप्प दीपो भव’, ‘स्वयं को जागृत करो’, ‘सर्व धम्म’, ‘सर्वधर्म समभाव’ सभी धर्मों का आदर करो की भावना है। सदियों से बौद्ध और हिंदू शांतिपूर्ण सहअस्तित्व में रहे हैं और समृद्ध अंतर-धार्मिक संवाद हुए हैं। महात्मा गांधी भगवान बुद्ध के विचारों से गहराई से प्रभावित थे।
शपथ को लेकर मुद्दा गरमाया
5 अक्टूबर को दशहरा के दिन ‘जय भीम’ नामक एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें उन्होंने 10,000 से भी अधिक हिंदुओं को शपथ दिलाई थीं। उन्होंने शपथ में लोगों से यह बुलवाया कि मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को कभी ईश्वर नहीं मानूंगा और न ही कभी उनकी पूजा करूंगा। मैं राम और कृष्ण को ईश्वर नहीं मानूंगा और न ही कभी उनकी पूजा करूंगा। मैं गौरी, गणपति आदि हिंदू धर्म के किसी भी देवी-देवताओं को नहीं मानूंगा और न ही उनकी पूजा करूंगा। इस प्रकार से हिंदू देवी देवताओं के विरुद्ध ज़हर उगलने के बाद उन्होंने इन हिन्दुओं का बौद्ध धर्म में धर्मांतरण कराया था। गौतम ने दलील दी कि विवादित शपथ भीमराव अंबेडकर के 22 वचनों का हिस्सा थी, जो उन्होंने 1956 में बौद्ध धर्म अपनाने के दौरान लिए थे।
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केजरीवाल का मौन समर्थन
राजेंद्र पाल गौतम के इसी कार्यक्रम को लेकर पूरा विवाद खड़ा हुआ है। AAP नेता राजेंद्र पाल गौतम के विवादित बयानों को लेकर हिंदू एकजुट हो गये और इसके विरोध में उतर जाए, जिसके बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देने पड़ा। परंतु क्या मंत्री पद से इस्तीफा देना काफी है? इतना कुछ हो गया, उनके मंत्री ने हिंदू देवी देवताओं का भरसक उपहास उड़ा लिया लेकिन केजरीवाल के मुख से एक स्वर भी नहीं फूटे हैं। ऐसा लग रहा है कि मानो केजरीवाल ने मौन व्रत धारण कर लिया हो। ऐसे में मूक दर्शक बने रहना भी इस कृत्य का समर्थन करना ही कहलाएगा।
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