स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम पर्यावरण प्रदुषण पर निबंध लेकर आये है, यह निबंध कक्षा 5 से 9 तक के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है. साथ ही हम पर्यावरण प्रदूषण कितने प्रकार का होता है, इसके कारण, इसके रोकथाम के उपाय आदि के बारें में विस्तार से बताने जा रहे है अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.
पर्यावरण प्रदुषण पर निबंध – प्रस्तावना
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – प्रकृति में फैलने वाली गंदगियाँ ही प्रदूषण का कारण बनती हैं। जब ये गंदगियाँ और अशुद्धियाँ पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं तो उसे ही पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। हमारे पर्यावरण में अलग-अलग तरह से प्रदूषण हो सकते हैं जैसे: वायु, जल, ध्वनी, मृदा प्रदूषण आदि। प्रदूषण उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।
इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण
प्रकृति से हमें जीवन यापन के लिए, हमारे स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए तथा अपना विकास तेज गति से करने के लिए बहुत से प्राकृतिक संसाधन मुफ्त में मिले हैं। परंतु समय के साथ-साथ हम इतने स्वार्थी और लालची होते जा रहे हैं कि अपने उसी पर्यावरण को प्रदूषित करते हुए उसे नष्ट करने पर तुले हुए हैं।
इस बात को समझे बिना ही कि अगर हमारा पर्यावरण पूरी तरह से प्रदूषित हो जाएगा, तो फिर ये आने वाले समय में हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी के स्वास्थ्य और भविष्य पर गंभीर रूप से अपना प्रभाव डालेगा। फिर एक समय ऐसा आएगा जब हम सभी के पास पृथ्वी पर जिंदा रहने के लिए कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं बचेंगे। इसीलिए हमें पर्यावरण प्रदूषण के कारण को गंभीरता से लेना होगा और जल्द से जल्द इन कारणों को दूर करना होगा।
पर्यावरण प्रदूषण के कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं, जैसे-
- औद्योगिक गतिविधियों का तेज होगा
- वाहन का ज़्यादा इस्तेमाल
- तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण का बढ़ना
- जनसंख्या अतिवृद्धि
- जीवाश्म ईधन दहन
- कृषि अपशिष्ट
- कल-कारखाने
- वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग
- प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना
- वृक्षों को अंधा-धुंध काटना
- घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होना
- खनिज पदार्थों क दोहन
- सड़को का निर्माण
- बांधो का निर्माण
औद्योगीकरण-बड़े उद्योग हवा में जहरीली गैस छोड़ते हैं। साथ ही हानिकारक रसायनों को सीधे जल निकायों में छोड़ दिया जाता है। वे अधिकांश पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
आधुनिकीकरण- हम आधुनिक संस्कृति को बहुत गर्व से स्वीकार कर रहे हैं लेकिन इसके नकारात्मक प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कोई कम दूरी के लिए भी साइकिल का उपयोग नहीं करना चाहता। प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।
रसायनों का प्रयोग- रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुँचाते हैं। जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) के जलने से जहरीली गैसें निकलती हैं जो बाद में अम्लीय वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग में बदल सकती हैं।
प्राकृतिक कारण:-कभी-कभी प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन, बाढ़, ज्वालामुखी आदि को प्रदूषण पैदा करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। वे मिट्टी के कटाव, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि के लिए जिम्मेदार हैं।
पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार
वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि सभी पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार हैं। इन सभी का पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। लेकिन
पर्यारवण प्रदूषण के मुख्य तीन प्रकार हैं
वायु प्रदूषण – हवा मानव, जानवर, पेड़-पौधे आदि सभी के जीवित रहने के लिए बहुत जरूरी है। हमारे इस वायुमंडल में अलग-अलग तरह की गैसें एक निश्चित मात्रा में मौजूद होती हैं और सभी जीव अपनी क्रियाओं और सांसों के माध्यम से ऑक्सीजन और कार्बनडाइऑक्साइड में संतुलन बनाए रखते हैं परंतु अब ऐसा हो रहा कि मनुष्य अपनी भौतिक आवश्यकताओं की आड़ में इन सभी गैसों के संतुलन को नष्ट करने में लगा हुआ है। अगर हम शहर की वायु की तुलना, गांव की वायु से करें, तो हमें एक बहुत बड़ा अंतर दिखाई देगा। एक ओर जहाँ गांव की शुद्ध और ताजा हवा हमारे तन-मन को प्रसन्न कर देती है, ।
जल प्रदूषण – उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।
मृदा प्रदूषण – अपशिष्ट और अजैव निम्नीकरणीय सामग्री को मिट्टी में जमा करने से मिट्टी या भूमि प्रदूषण होता है। अजैव निम्नीकरणीय कचरा मिट्टी को अनुपजाऊ बना देता है। मिट्टी में जहरीले पदार्थ की उच्च सांद्रता इसे पौधों और मनुष्यों दोनों के लिए अपर्याप्त बनाती है।
ध्वनि प्रदूषण – गैर ज़रूरी और ज़रूरत से ज़्यादा आवाज़ जिसे हम शोर कहते हैं, ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। अगर कोई आवाज़ हमारे लिए मनोरंजन का साधन बनती है, तो हो सकता है कि वही आवाज़ किसी दूसरे व्यक्ति के लिए शोर हो। बहुत ज़्यादा आवाज़ ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है तो व्यक्ति अपनी सुनने की शक्ति को पूरी तरह से भी खो सकता है। किसी भी आवाज़ को अगर एक सीमित मात्रा मैं सुना जाए, तो हमारी सेहत पर उसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा लेकिन वही आवाज़ ज़रूरत से ज्यादा तेज हो, तो फिर उसे सहन कर पाना मुश्किल हो जाता है|
पर्यावरण प्रदुषण पर निबंध – उपसंहार
नियंत्रण और रोकथाम के लिए कदम -कुछ बातों का पालन करके और कुछ स्वस्थ आदतों को अपनाकर आप पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में आसानी से योगदान दे सकते हैं। जैसे की:
साइकिल को प्राथमिकता दें।
प्लास्टिक का अधिक उपयोग करने के बजाय बायोडिग्रेडेबल उत्पाद चुनें।
अशुद्ध और जहरीले रसायनों को जल निकायों में प्रवाहित करने से पहले उनका उपचार करें।
अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करें।
नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग करें और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को सीमित करें।
रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके जैविक खेती को बढ़ावा दे।
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पर्यावरण प्रदूषण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Ques- 2022 में प्रदूषण के मामले में भारत का कौन सा स्थान है?
Ans- दुनिया के बढ़ते प्रदूषण में भारत तीसरे नंबर पर है।
Ques- 2022 में दुनिया में सबसे कम प्रदूषित देश कौन से हैं?
Ans- तुर्की, फ्रांस, पोलैंड आदि कुछ पर्यावरण के अनुकूल देश हैं जहां सबसे कम प्रदूषण है।
Ques- 2022 में दुनिया के सबसे प्रदूषित देश कौन से हैं?
Ans- 2022 में संयुक्त अरब अमीरात (UAE), चीन, इराक आदि कुछ अत्यधिक प्रदूषित देश हैं।
Ques- पर्यावरण प्रदूषण का क्या अर्थ है?
Ans- ओडम के अनुसार, “वातावरण के अथवा जीवमंडल के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों के ऊपर जो हानिकारक प्रभाव पड़ता है, प्रदूषण कहलाता है।” अन्य शब्दों मे हमारे पर्यावरण की प्राकृतिक संरचना एवं संतुलन मे उत्पन्न अवांछनीय परिवर्तन को प्रदूषण कह सकते हैं।
Ques- पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव क्या है?
Ans- वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से पृथ्वी का तापमान बढ़ता है। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में भयावह परिवर्तन होता है। वायुमंडल में हानिकारक गैसों से गले और आंखों में जलन, अस्थमा के साथ-साथ अन्य श्वसन समस्याएं और फेफड़े के कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं।
Ques- प्रदूषण क्या है इसके प्रकार बताइए?
Ans- मुख्य रूप से पर्यावरण प्रदूषण के 4 भाग होते हैं, जिसमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, ये 4 तरह के प्रदूषण के होते हैं.
आशा करते है कि पर्यावरण प्रदुषण पर निबंध से सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे ही रोचक लेख एवं देश विदेश की न्यूज़ पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े।