पिछले कुछ समय में महाराष्ट्र के हाथ से दो बड़े प्रोजेक्ट वेदांता-फॉक्सकॉन और टाटा एयरबस प्रोजेक्ट निकल गए। जिससे राज्य की सत्ता से बेदखल हुई उद्धव की शिवसेना बौखला गयी और इन प्रोजक्ट के महाराष्ट्र से गुजरात जाने का ठीकरा अभी-अभी बनी शिंदे सरकार पर फोड़ने लगी। दरअसल, 22,000 करोड़ रुपये का टाटा एयरबस विमान प्रोजेक्ट और वेदांता-फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट महाअघाड़ी सरकार की वजह से ही गुजरात गए हैं, ऐसा बीजेपी कह रही है। और इस तरह से पूरे मामले को लेकर अलग ही गहमागहमी मची हुई है।
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बीजेपी के गंभीर आरोप
दरअसल, बीजेपी ने आरोप लगाया है कि इन प्रोजेक्ट को लेकर गुजरात पर मुहर साल 2021 में ही लग गयी थी। जिस समय राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हुआ करते थे। तो अब प्रश्न यहा उठता है कि शिवसेना अपने ही किए पर इतनी नौटंकी क्यों कर रही है। वो इसलिए क्योंकि चाहे वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना हो या टाटा एयरबस विमान प्रोजेक्ट हो, इन परियोजनाओं को कहां स्थापित किया जाए, इसका फैसला पिछले साल ही तब हो गया था जब राज्य में महाविकास अघाड़ी की सरकार थी। अगर इन परियोजनाओं के गुजरात स्थापित किए जाने से उद्धव ठाकरे को इतनी आपत्ति है तो उस समय वो कहा थे?
वहीं बीजेपी ने इस मामले के तूल पकड़ने के बाद एक बड़ा खुलासा किया है जिससे ये साबित होता कि उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र की जनता को सिर्फ और सिर्फ भ्रम में डाल रहे हैं। क्योंकि किया हुआ तो ये सब कुछ खुद उद्धव सरकार का ही है। दरअसल, बीजेपी ने महाविकास अघाड़ी सरकार पर कंपनियों की दलाली कर कमीशन लेने का आरोप लगाया है। बीजेपी ने उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाया कि यह प्रस्ताव गुजरात चला गया क्योंकि उद्धव ठाकरे ने खुद को अपने घर में बंद कर लिया था। जिसे समझने के बाद तो सवाल उद्धव ठाकरे से पूछने चाहिए। लेकिन यहां तो स्थिति बिल्कुल विपरीत है। ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’
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बीजेपी नेता रामकदम का वार
बीजेपी नेता रामकदम ने सवाल किया कि आखिर क्यों वेदांता फॉक्सकॉन की टीम को महाराष्ट्र के पुणे से सटे तलेगांव में जगह फाइनल करने के बाद भी दूसरे प्रांत में जाना पड़ा? उनसे किसने और कितना कमीशन, किक बैक मांगा? इसके लिए किस पांच सितारा होटल में मीटिंग हुई? उन्होंने पूर्व की महाविकास अघाड़ी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता के दौरान जिन्होंने छोटे-मोटे होटलवाले से लेकर कॉन्ट्रैक्टर तक से कमीशन वसूली की, तबादलों तक में कितने करोड़ वसूले जाएं, इसकी लिस्ट बनाई थी। जिन्होंने सचिन वाजे समेत कई अफसरों तक को वसूली के खेल में लिप्त कर लिया था, पुलिस तक को जिन्होंने नहीं छोड़ा, आखिर क्यों वे करोड़ों-करोड़ के प्रोजेक्ट को आसानी से वसूली बगैर छोड़ देते?’
वहीं प्रदेश के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने दावा किया कि टाटा और एयरबस कंपनी ने एक साल पहले ही इस परियोजना को गुजरात में स्थापित करने का फैसला किया था। इसके लिए केंद्र सरकार ने 21 सिंतबर 2021 को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था। सामंत ने कहा कि मैंने शिंदे सरकार बनने के बाद कहा था कि इस परियोजना को नागपुर के मिहान में लगाने के लिए प्रयास किया जाएगा। लेकिन उस समय मैं भ्रम में था। क्योंकि मुझे लगा था कि उद्योग विभाग ने उद्धव ठाकरे की सरकार के समय परियोजना के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा होगा। मगर ठाकरे सरकार ने परियोजना के लिए केंद्र सरकार को एक भी पत्र नहीं लिखा था। उन्होंने आगे दावा किया कि विधानसभा में तत्कालीन विपक्ष नेता के रूप में देवेंद्र फडणवीस भी चाह रहे थे कि यह परियोजना नागपुर में लगे। लेकिन उन्हें ठाकरे सरकार का साथ ही नहीं मिला। इस पर विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने कहा कि यह स्पष्ट होना चाहिए कि किसकी नाकामी के चलते परियोजना गुजरात में चली गई है।
कुल लागत 21,935 करोड़ रुपये
आपको बता दें कि गुजरात के वडोदरा में एयरफोर्स के लिए C- 295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनाए जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 21,935 करोड़ रुपये है। 2021 के सितंबर में भारत ने एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ लगभग 21,000 करोड़ का सौदा किया था। ये परियोजना महाराष्ट्र में लगाई जाने वाली थी लेकिन अब इसके गुजरात में जाने से महाराष्ट्र में राजनीतिक घमासान छिड़ गया है। देखा जाए तो पूर्व की महाविकास अघाड़ी सरकार महाराष्ट्र से गुजरात पलायन के बाद अपनी इस नाकामी का पूरा का पूरा दोष शिंदे सरकार पर मंड देने का प्रयास कर रही थी लेकिन अब सच सबतके सामने आने लगा है।
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