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बनासकांठा एयरबेस रणनीतिक तौर पर भारत का ‘ब्रह्मास्त्र’ साबित होगा

दुनिया की सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनरी की सुरक्षा का मुद्दा अगर छोड़ भी दें, तब भी यह एयरबेस कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण है। पाकिस्तानी सीमा से 130 किमी दूर स्थित इस एयरबेस का महत्व समझ लीजिए।

TFI Desk द्वारा TFI Desk
1 November 2022
in प्रीमियम
Deesa Airbase Gujarat

Source- TFI

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डीसा एयरबेस: लोग कहते हैं कि वर्ष 2014 के बाद से स्थिति बदल गई, हालात बदल गए, परिस्थिति बदल गई। लोग सही कहते हैं, सच्चाई भी यही है। आप बताईए, 2014 के बाद सीमावर्ती इलाकों को छोड़ दे तो देश में कितनी आतंकी घटनाएं घटी? एक भी नहीं! भ्रष्टाचार के कितने मामले सामने आए? एक भी नहीं! भारत के कद में कितना इजाफा हुआ? इसका जवाब तो हर किसी के पास है क्योंकि पहले जो भारत दूसरों के इशारों पर चलता था, अब आंखों में आंखे डालकर बात करता है। केंद्र में ऐसी सरकार बैठी है, जिसके लिए देश की रक्षा और देशहित से ऊपर कुछ भी नहीं है और इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार रहती है। इसी बीच अब पाकिस्तान की सीमा से मात्र 130 किमी की दूरी पर यानी गुजरात के बनासकांठा के डीसा में एक नए एयरबेस की नींव पड़ गई है और पीएम मोदी ने इसका शिलान्यास कर दिया है। टीएफआई प्रीमियम में आपका स्वागत है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे पाकिस्तान की सीमा से मात्र 130 किमी की दूरी पर बन रहा यह नया एयरबेस पाकिस्तान के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है।

वायुसेना का 52वां स्टेशन होगा डीसा एयरबेस

पाकिस्तान भारतीय एयरबेस पर पहले हुए युद्धों के दौरान बड़े हमले करता रहा है। इसमें गुजरात का भुज भी रहा है। हालांकि, हमलों के बावजूद युद्ध में पाकिस्तान को हार का ही सामना करना पड़ा है। वहीं, अब पाकिस्तान इस तरह के हमले कर ही न पाए इसके लिए गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अहम एयरबेस का शिलान्यास किया है जिसका पाकिस्तान पर बहुत बुरा असर पड़ने वाला है। दरअसल, भले ही गुजरात में विधानसभा चुनाव की आहट है लेकिन पीएम मोदी का ध्यान इस बीच भी राष्ट्रीय सुरक्षा पर है। इसकी वजह यह है कि गुजरात के बनासकांठा में बनने वाला नया एयरबेस पश्चिमी सीमा पर भारत का नया प्रहरी बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीसा में बनने वाले इस एयरबेस का शिलान्यास कर दिया है। यह वायुसेना का 52 वां स्टेशन होगा। पीएम मोदी ने डीसा एयरबेस के शिलान्यास के मौके पर कहा कि अगर हमारी सेना विशेष तौर पर वायुसेना डीसा में होगी तो किसी भी दुस्साहस का और बेहतर तरीके से जवाब दे पाएंगे।

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पीएम मोदी ने इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कहा कि जिस बनासकांठा ने अपनी पहचान शौर्य शक्ति के तौर पर बनाई थी, अब वह वायु शक्ति का केंद्र बनेगा। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि पिछली सरकारों ने इस एयरबेस को लटकाए रखा। उन्होंने स्पष्ट किया कि गुजरात सरकार ने इस एयरबेस के लिए जमीन वर्ष 2000 में ही दे दी थी। तब से बार-बार केंद्र सरकार को समझाया जा रहा था लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी लेकिन मोदी सरकार ने सत्ता में आते इसे बनाने का बीड़ा उठाया है और अब इसका शिलान्यास हो गया है। गुजरात में एयरबेस के शिलान्यास के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि इस एयरबेस से एक साथ पश्चिमी सीमा पर जमीनी और समुद्री ऑपरेशन करना संभव होगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही वडोदरा और अहमदाबाद जैसे आर्थिक केंद्रों को मजबूत एयर डिफेंस भी मिलेगा। डीसा एयरबेस रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हो जाएगा। इसके बनने में 21 महीने का समय लगेगा।

और पढ़ें: 6 बार भाग्य ने ‘सशक्त राष्ट्र’ बनने में भारत का साथ नहीं दिया परंतु एक बार वह हमारे साथ आया और…

स्ट्रैटेजिक रूप से महत्वपूर्ण है यह एयरबेस

आपको बता दें कि डीसा में बनने वाला यह एयरबेस 4591 एकड़ में बनेगा। यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से सिर्फ 130 किलोमीटर की दूरी पर है। एयरबेस के बनने के बाद वायुसेना की मौजूदगी अंतरराष्ट्रीय सीमा के काफी करीब तक होगी। किसी भी स्थिति में दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दिया जा सकेगा। इस एयरबेस के निर्माण से गुजरात के आसपास के एयरबेस के बीच 355 किलोमीटर की दूरी कम होगी। इसके चलते लड़ाकू विमानों की ऑपरेशन में बढ़ोत्तरी हो सकेगी। इसके निर्माण में एक हजार करोड़ रुपये खर्च होने वाले हैं। डीसा एयरपोर्ट की लोकेशन काफी स्ट्रैटेजिक है। इसी के चलते इसे पश्चिमी सीमा की सुरक्षा में गेमचेंजर माना जा रहा है। पाकिस्तान पर हमला करने की स्थिति में लड़ाकू विमान पलक झपकते ही दुश्मनों पर हमला कर देंगे। केंद्र सरकार ने काफी समय से लटके इस एयरबेस के निर्माण की अनुमाति दो वर्ष पहले दी थी और पीएम मोदी ने डिफेंस एक्सपो में इस नए एयरबेस की आधारशिला रखी।

डीसा एयरबेस की खासियत की बात करें तो इससे बोइंग सी-17 ग्लोब मास्टर, सुखोई, मिग, तेजस और मिग-29 जैसे विमान उड़ान भर सकेंगे। वायुसेना के सेवानिवृत्त ऑफिसर जय जोशी कहते हैं कि इस एयरबेस के बनने से आए दिन मिलने वाली धमकियां बंद हो जाएंगी। पश्चिमी सीमा की सुरक्षा मजबूत हो जाएगी। वे कहते हैं अभी जामनगर, भुज और नलिया तीन एयरबेस हैं। डीसा एयरबेस एक बड़े खालीपन को खत्म कर देगा और 2024 तक यह एयरबेस तैयार हो जाएगा। ज्ञात हो कि पहले कई बार और खास कर वर्ष 1971 के भारत पाक युद्ध में पाकिस्तानी वायुसेना ने भुज के एयरबेस पर हमला किया था। इस पर तो अजय देवगन ने एक फिल्म ही बना दी थी। वहीं, उस दौरान भारतीय वायुसेना ने मुश्किलों के बावजूद पाकिस्तान को झटका दिया था लेकिन इसके बावजूद भारत को जान माल का बड़ा नुक़सान हुआ था और इसे बचाना भारत सरकार के लिए अहम है।

गुजरात का बनासकांठा जिला, पाकिस्तान के काफी निकट है। ऐसे में लगातार यह प्रयास किए जाते रहे हैं कि एयरबेस के जरिए पाकिस्तान को खतरे की स्थिति में साधा जा सके। इसके लिए पिछले लगभग तीन दशक से प्रयास किए जाते रहे। वर्ष 2000 में बीजेपी की वाजपेयी सरकार ने भारतीय वायु सेना को डीसा एयरबेस देने के लिए जमीन की सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी थी। इसके बाद यह परियोजना अगले 14 वर्षों के लिए ठंडे बस्ते में चली गयी थी। सोनिया गांधी के इशारे पर चलने वाले पूर्व पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार ने इस अहम रक्षा प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया। वहीं, मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही इस परियोजना को पुनर्जीवित किया। प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन रक्षा मंत्री के प्रयास से फाइल में पड़ी परियोजना को दोबारा शरू किया गया। उस समय की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1,000 करोड़ के फंडिंग के साथ एयरबेस को मंजूरी दी थी।

ध्यान देने वाली बात है कि डीसा एयरबेस मीरपुर खास, हैदराबाद, पाकिस्तान के जैकबाबाद में शाहबाज एयरबेस से उड़ान भरने वाले दुश्मन के विमानों के लिए आग की दीवार साबित होगा। डीसा एक फॉरवर्ड एयरबेस है, इसलिए IAF इस एयरफील्ड पर अपने फ्रंटलाइन राफेल या Su-30 MKI लड़ाकू विमानों के बजाय, मिग-29 और तेजस जैसे वायु रक्षा विमानों को तैनात करेगा ताकि दुश्मनों के लड़ाकों को रोका जा सके और गुजरात के औद्योगिक परिसर को निशाना बनाने की उनकी क्षमता को निष्प्रभावी किया जा सके।

‘यूपीए की नीति कुछ न करने की थी’

आपको बता दें कि भारत-पाक की सीमा पर भारतीय लड़ाकू विमानों को नया एयर बेस मिलने से पाकिस्तान से दूरी का अंतर कम होगा। यह एयरबेस दक्षिण-पश्चिम एयर कमांड के लिए यह महत्वपूर्ण लोकेशन साबित होगा। इस एयरबेस से देश के तीन राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान की सुरक्षा में मदद मिलेगी। इस एयरबेस के लिए लगभग 4,500 एकड़ भूमि निर्धारित की गई है, जो भारत-पाक सीमा से लगभग 130 किमी दूर स्थित होगी और यह निकटता पश्चिमी सीमा पर भारतीय वायु रक्षा में हवाई दूरी को कम करने में मदद करेगी। इसीलिए एयरबेस दक्षिण पश्चिम वायु कमान के लिए एक रणनीतिक स्थान होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, यह एयरबेस युद्ध की स्थिति में भारतीय लड़ाकू विमानों की परिचालन सीमा का विस्तार करेगा। इस एयरबेस की पूरी योजना सैन्य अभियंता सेवा MES द्वारा क्रियान्वित की जाएगी।

डीसा एयरबेस का बनना हमारे लिए उपलब्धि है क्योंकि यूपीए सरकार की नीति कुछ न करने की थी। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा था कि विकास करेंगे तो चीन भारत में घुस जाएगा। इसी तरह वो कहते थे कि कुछ करेंगे तो भ्रष्टाचार के आरोप लगेंगे, इसलिए कुछ करेंगे ही नहीं। नतीजा यह हुआ कि यूपीए सरकार के दस वर्षों में जहां आतंकवाद  बढ़ता रहा तो दूसरी और नाकारा नीयत के तहत मनमोहन सरकार ने एक डिफेंस डील तक नहीं की।

कांग्रेस सरकार पर अनगिनत भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। कांग्रेस पर जीप से लेकर बोफोर्स तोपों को खरीदने में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे और आज भी यह आरोप कांग्रेस पर राजनीतिक तौर पर भारी पड़ने वाले साबित हुए। इसका नतीजा यह हुआ कि जब पीएम मोदी ने राफेल डील की तो कांग्रेस की सोच बोफोर्स जैसे भ्रष्टाचार का ठप्पा लगाने की थी लेकिन यह न हो सका। ऐसे भ्रष्टाचार का आरोप भी नहीं लगा और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत हुई। भारत की आर्थिक से लेकर सामाजिक मजबूतियों के बीच डिफेंस सिस्टम में मजबूती भारत के लिए गौरवान्वित करने वाली बात है। यह सब मोदी सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा की कटिबद्धता का प्रमाण है। इतना ही नहीं, अब तो भारत में ही बने हथियारों का उपयोग किया जा रहा है और मोदी सरकार भारत मे आत्मनिर्भर भारत के तहत बनाए गए डिफेंस इक्विपमेंट का निर्यात तक कर रही है, जो कि पाकिस्तान के लिए अस्तित्व के लिहाज से ख़तरे का विषय है।

और पढ़ें: परमाणु ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित कर अरबों रुपये बचा सकता है भारत

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