कुछ समय पहले फीफा के पूर्व अध्यक्ष सेप ब्लैटर ने कहा था कि कतर को यह विश्व कप आवंटित करना एक बहुत बड़ी भूल थी और हाल-फिलहाल की घटनाओं को देखते हुए ये बात कहीं न कहीं सत्य सिद्ध होती है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे कतर में चल रहे फीफा विश्व कप को इस्लामिस्टों ने अपने कुत्सित विचारधारा के प्रचार का मंच बना दिया है?
आप कहीं बाहर जाते हो तो क्या सोचते हो? आपका अच्छे से आवभगत हो, आपका दिन शुभ हो, आपकी यात्रा अच्छी रहे। जो भी गंतव्य है, उसके लोग भी अधिकतम यही प्रयास करेंगे कि यदि आपको राजसी ठाट नहीं दे सकते, तो कम से कम आपके मुख पर अपने आतिथ्य से तनिक मुस्कान ही ला दें। इतना तो बेसिक बनता है न, पर नहीं जी कतर का हिसाब अलग है। उल्टी धारा बहाने की खुजली में इनकी निर्लज्जता अब इस स्तर पर पहुंच चुकी है कि वर्तमान फीफा विश्व कप खेल का महाकुंभ कम धर्मांतरण का अड्डा अधिक दिखाई दे रहा है।
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इस्लाम का प्रचार
वो कैसे? ज़ाकिर नाइक की उपस्थिति को अगर दरकिनार करें, तो भी कतर ने ऐसा कोई कार्य नहीं किया है, जिससे ये सिद्ध हो कि ये फीफा विश्व कप एक विशुद्ध स्पोर्ट्स इवेंट है, जहां कट्टरता और राजनीति का कोई स्थान नहीं है। इनकी छीछालेदर देखकर आपको बर्लिन ओलंपिक और उसके आयोजनकर्ता भी एक बार को सयाने लगेंगे।
हम मज़ाक नहीं कर रहे, हाल ही में कतर की राजधानी दोहा में बनी ‘कटारा कल्चरल विलेज’ मस्जिद गैर-मुस्लिमों को धर्मांतरण के लिए आकर्षित करने का केंद्र बनी हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मस्जिद में कई भाषाएं बोलने वाले पुरुष और महिला मुबल्लिग़ों को तैनात किया गया है।
अब ये कौन है बंधु? इनका मुख्य उद्देश्य है पर्यटकों को इस्लाम के बारे में विस्तार से बताना और यही नहीं यहां आने वाले पर्यटकों को एक इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड देखने के लिए भी कहना। इस इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड में 30 से अधिक भाषाओं में इस्लाम के बारे में बताया गया है। इसके अलावा यहां विभिन्न भाषाओं में इस्लाम का ‘परिचय’ बताने वाली पुस्तकें रखीं गईं हैं, जिन्हें पर्यटकों के बीच बांटा जा रहा है।
यह तो कुछ भी नहीं है। यही नहीं, कतर के अकाफ और इस्लामी मामलों के मंत्रालय ने फीफा विश्व कप स्टेडियम के बाहर एक पंडाल बनाया है, जहां पर्यटकों को इस्लाम और इसकी शिक्षाओं के बारे में ‘ज्ञान’ दिया जा रहा है। इसके अलावा सड़क किनारे बनी दीवारों पर इस्लामिक सिद्धांतों का महिमामंडन खुलेआम किया जा रहा है, ताकि कतर आए हुए लोग इससे प्रभावित हो सके।
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फुटबॉल प्रशंसकों ने स्वीकार किया इस्लाम धर्म
अब ये भी कहा गया है कि कतर में कई फुटबाल प्रशंसकों ने इस्लाम स्वीकार किया है, जिसे अनेक इस्लामिस्ट हैंडल खुलेआम प्रचारित कर रहे हैं। न कतर इसका खंडन कर रहा है और न ही वह इसके विरोध में कोई बयान जारी कर रहा है, तो ये क्या संदेश भेजता है ?
उदाहरण के लिए 22 नवंबर 2022 को कई इस्लामवादी ट्विटर हैंडल्स द्वारा दावा किया जा रहा था कि 500 से अधिक लोग (जाहिर तौर पर फीफा विश्व कप 2022 देखने के लिए कतर पहुंचे लोग) इस्लाम में परिवर्तित हो गए हैं। एक ट्वीट में आईएसआईएस समर्थक इस्लामिक कार्यकर्ता माजिद फ्रीमैन ने लिखा था- “अल्लाहु अकबर, हमने कतर के स्थानीय लोगों से सुना है कि हाल ही में 500 से अधिक लोगों ने इस्लाम कबूल कर लिया है।”
एक आपसी झड़प के पीछे फीफा ने न केवल रूस को अपने संगठन से प्रतिबंधित किया अपितु उसे फीफा विश्व कप से भी निकाल फेंका, परंतु जो कतर में इस समय हो रहा है, वो भी कोई शुभ कार्य नहीं है। या तो फीफा इसके विरुद्ध ठोस कार्रवाई करें और नहीं तो फिर आने वाले समय में अपनी प्रतिबद्धता पर प्रश्नचिन्ह झेलने के लिए तैयार रहे।
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