TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    B से बिहार, B से बीड़ी: कांग्रेस के ट्वीट से मचा सियासी बवाल

    B से बिहार, B से बीड़ी: कांग्रेस के ट्वीट से मचा सियासी बवाल

    पीएम मोदी के आवास में भाजपा सांसदों का डिनर

    जेपी नड्डा के घर ‘डिनर’ से शुरू- पीएम मोदी के घर ‘डिनर’ पर खत्म: भाजपा सांसदों की ‘क्लास’ में क्या है ख़ास ?

    बिहार चुनाव 2025: भाजपा-एनडीए की रणनीति से बन सकता है इतिहास

    बिहार चुनाव 2025: भाजपा-एनडीए की रणनीति से बन सकता है इतिहास

    पश्चिम बंगाल विधानसभा में हंगामा: ममता बनर्जी का भाजपा पर हमला, लोकतंत्र पर गहरा सवाल

    पश्चिम बंगाल विधानसभा में हंगामा: ममता बनर्जी का भाजपा पर हमला, लोकतंत्र पर गहरा सवाल

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का यूएनजीए से किनारा, जानें कौन जाएगा डेलिगेशन में

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का संयुक्त राष्ट्र महासभा से किनारा, डेलिगेशन में कौन जाएगा ?

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    उत्तराखंड में मोबाइल टावरों पर इस्लामिक झंडे: राष्ट्रीय अस्मिता और सुरक्षा पर बड़ा सवाल

    उत्तराखंड में मोबाइल टावरों पर इस्लामिक झंडे: राष्ट्रीय अस्मिता और सुरक्षा पर बड़ा सवाल

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    पहली बार उत्तर प्रदेश के 7 शहरों में महिलाएं संभालेंगी ट्रैफिक व्यवस्था

    पहली बार उत्तर प्रदेश के 7 शहरों में महिलाएं संभालेंगी ट्रैफिक व्यवस्था

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का यूएनजीए से किनारा, जानें कौन जाएगा डेलिगेशन में

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का संयुक्त राष्ट्र महासभा से किनारा, डेलिगेशन में कौन जाएगा ?

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    बंगाल की भूली हुई त्रासदी पर ‘चुप्पी’: ममता सरकार क्यों डर रही है The Bengal Files से?

    बंगाल की भूली हुई त्रासदी पर ‘चुप्पी’: ममता दीदी को The Bengal Files से इतना डर क्यों लग रहा है?

    काशी-मथुरा पर संवाद का रास्ता खुला: भागवत के संतुलित बयान को मदनी का समर्थन

    काशी-मथुरा पर संवाद का रास्ता खुला: भागवत के संतुलित बयान को मदनी का समर्थन

    ओणम सिर्फ फसल उत्सव नहीं: वामन और महाबली की कथा को बचाना हमारी जिम्मेदारी

    ओणम सिर्फ फसल उत्सव नहीं: वामन और महाबली की कथा को बचाना हमारी जिम्मेदारी

    अयोध्या में भूटान के प्रधानमंत्री का विशेष दौरा: रामलला के किए दर्शन, भारत-भूटान मित्रता को नई ऊंचाई

    अयोध्या में भूटान के प्रधानमंत्री का विशेष दौरा: रामलला के किए दर्शन, भारत-भूटान मित्रता को नई ऊंचाई

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    B से बिहार, B से बीड़ी: कांग्रेस के ट्वीट से मचा सियासी बवाल

    B से बिहार, B से बीड़ी: कांग्रेस के ट्वीट से मचा सियासी बवाल

    पीएम मोदी के आवास में भाजपा सांसदों का डिनर

    जेपी नड्डा के घर ‘डिनर’ से शुरू- पीएम मोदी के घर ‘डिनर’ पर खत्म: भाजपा सांसदों की ‘क्लास’ में क्या है ख़ास ?

    बिहार चुनाव 2025: भाजपा-एनडीए की रणनीति से बन सकता है इतिहास

    बिहार चुनाव 2025: भाजपा-एनडीए की रणनीति से बन सकता है इतिहास

    पश्चिम बंगाल विधानसभा में हंगामा: ममता बनर्जी का भाजपा पर हमला, लोकतंत्र पर गहरा सवाल

    पश्चिम बंगाल विधानसभा में हंगामा: ममता बनर्जी का भाजपा पर हमला, लोकतंत्र पर गहरा सवाल

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का यूएनजीए से किनारा, जानें कौन जाएगा डेलिगेशन में

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का संयुक्त राष्ट्र महासभा से किनारा, डेलिगेशन में कौन जाएगा ?

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

    उत्तराखंड में मोबाइल टावरों पर इस्लामिक झंडे: राष्ट्रीय अस्मिता और सुरक्षा पर बड़ा सवाल

    उत्तराखंड में मोबाइल टावरों पर इस्लामिक झंडे: राष्ट्रीय अस्मिता और सुरक्षा पर बड़ा सवाल

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    पहली बार उत्तर प्रदेश के 7 शहरों में महिलाएं संभालेंगी ट्रैफिक व्यवस्था

    पहली बार उत्तर प्रदेश के 7 शहरों में महिलाएं संभालेंगी ट्रैफिक व्यवस्था

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    भारत–अमेरिका रिश्ते : ट्रंप की ‘हमेशा दोस्त’ वाली बात पर पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का यूएनजीए से किनारा, जानें कौन जाएगा डेलिगेशन में

    टैरिफ टेंशन और व्हाइट हाउस की ठनक के बीच पीएम मोदी का संयुक्त राष्ट्र महासभा से किनारा, डेलिगेशन में कौन जाएगा ?

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास के 5 बड़े कारण और भारत की नई कूटनीतिक चालें

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    भारत के सम्मान से समझौता नहीं: अमेरिका के लिए चेतावनी है नवारो विवाद

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    बंगाल की भूली हुई त्रासदी पर ‘चुप्पी’: ममता सरकार क्यों डर रही है The Bengal Files से?

    बंगाल की भूली हुई त्रासदी पर ‘चुप्पी’: ममता दीदी को The Bengal Files से इतना डर क्यों लग रहा है?

    काशी-मथुरा पर संवाद का रास्ता खुला: भागवत के संतुलित बयान को मदनी का समर्थन

    काशी-मथुरा पर संवाद का रास्ता खुला: भागवत के संतुलित बयान को मदनी का समर्थन

    ओणम सिर्फ फसल उत्सव नहीं: वामन और महाबली की कथा को बचाना हमारी जिम्मेदारी

    ओणम सिर्फ फसल उत्सव नहीं: वामन और महाबली की कथा को बचाना हमारी जिम्मेदारी

    अयोध्या में भूटान के प्रधानमंत्री का विशेष दौरा: रामलला के किए दर्शन, भारत-भूटान मित्रता को नई ऊंचाई

    अयोध्या में भूटान के प्रधानमंत्री का विशेष दौरा: रामलला के किए दर्शन, भारत-भूटान मित्रता को नई ऊंचाई

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

ईसाई धर्म जैसा आज है, वैसा वो कैसे बना- प्रथम अध्याय

सनातन धर्म के अतिरिक्त यहूदी धर्म को संसार के प्राचीनतम पंथों में से एक माना जाता है। यह कहना ग़लत नहीं होगा कि ईसाइयत यहूदी धर्म का ही एक अंश है। इस विशेष लेख में विस्तार से जानिए कि ईसाई धर्म जैसा भी आज दिखता है वो वैसा कैसे बना?

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
16 November 2022
in प्रीमियम
ईसाई धर्म की सच्चाई, What made Christianity what it is today, Chapter 1

source- TFI

Share on FacebookShare on X

आज के समय में ऐसी कई बातें सामने आती हैं जिसे शत प्रतिशत सत्य मान लिया जाता है और ऐसा होने के पीछे का प्रमुख कारण यह हैं कि लोग इसका मूल कारण ही भूल जाते हैं। जैसे ईसाई धर्म और उसकी उत्पत्ति। जिस प्रकार पाश्चात्य जगत धीरे धीरे विकसित होता जा रहा है, वैसे-वैसे वह यह भूलता जा रहा है कि उनके पंथ ने किस प्रकार अपना वर्तमान स्वरूप धारण किया है। टीएफआई प्रीमियम में आपका स्वागत है। इस लेख में हम आपको ईसाई धर्म की उस सच्चाई से अवगत कराएंगे, जिसके बारे में शायद आप जानते नहीं होंगे या फिर आपने कभी सोचा नहीं होगा।

दरअसल, ईसाई धर्म यहूदी धर्म का ही एक अंश है। सनातन धर्म के अतिरिक्त यहूदी धर्म को संसार के प्राचीनतम पंथों में से एक माना जाता है। कृषि क्रांति के पश्चात हीब्रू समुदाय ने ईश्वर पूजा को अपनी संस्कृति बनाने का निर्णय कर लिया ताकि फसलें अच्छी हों, भूमि उपजाऊ हों। परंतु ये पद्धति सगुण ब्रह्म से धीरे धीरे निर्गुण ब्रह्म की ओर मुड़ने लगी यानी दूसरे शब्दों में यहूदी Polytheism से Monotheism यानी एक ईश्वर की पूजा तक सीमित होने लगे। इनके अनुसार ईश्वर ने अब्राहम के साथ एक विशेष अनुबंध किया था जिसके अंतर्गत यहूदी धर्म अब इज़राएल का प्रमुख धर्म बन चुका था।

संबंधितपोस्ट

“फ्री फिलिस्तीन…फ्री फिलिस्तीन” के लगे नारे, दाढ़ी वाले संदिग्ध ने अमेरिका की राजधानी में की इजरायली दूतावास के 2 कर्मचारियों की हत्या

Israel-Hamas Ceasefire: यह पहला मौका नहीं जब युद्धविराम हुआ घोषित, जानें सीजफायर के पीछे के छुपे हुए संघर्षों का इतिहास

क्या है ‘रोश हशाना’, जिसकी PM मोदी ने दी शुभकामनाएं: यहूदियों का नया साल, खाते हैं सेब और शहद

और लोड करें

परंतु इज़राएल की भूमि सदैव शांतिपूर्ण नहीं थी। हर भूमि की भांति यहां भी जनजातीय झड़पें हुआ करती थीं, यहूदी पंथ की स्थापना के बाद भी होती थीं। एक आम यहूदी के लिए Ptolemaic और Seleucid साम्राज्यों के बीच युद्ध के बाद जीवनयापन लगभग असंभव था, जिन्हें हम प्राचीन सीरियन युद्ध के नाम से भी बेहतर जानते हैं। इस पर बाढ़, तूफान जैसी आपदाओं ने आमजनों के लिए सब कुछ लगभग असंभव बना दिया था। इसी बीच 63 ईसा पूर्व में रोम के सेनाध्यक्ष पोमपेई [Pompei], जो जूलियस सीज़र के कभी विश्वासपात्र थे येरूशलम पर नियंत्रण जमा चुके थे। अब यहूदियों का प्रभाव इज़राएल के साथ एनाटोलिया, बेबीलॉन, अलेक्सांद्रिआ, यहां तक कि रोम में भी पड़ने लगा।

रोम, यहूदी और ईसाई धर्म

अब दूसरी ओर यूनान की यहूदियों से अलग समस्या थी। रोम के निवासी अपनी संस्कृति को लेकर काफी आक्रामक थे और वे Pax Deorum को प्राप्त करने में विश्वास करते थे, यानी अपने देवताओं को प्रसन्न करने में कोई प्रयास अधूरा नहीं छोड़ते थे। भले ही रोम के देवता यहूदी देवताओं से भिन्न थे, परंतु उन्हें रोमन साम्राज्य में सम्मिलित कराने के भरपूर प्रयास किए गए। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि यहूदियों और रोम के निवासियों में एक खट्टा-मीठा संबंध व्याप्त था।

परंतु ईसा मसीह यानी जीजस क्राइस्ट के आने से सब कुछ बदल गया। वह मूल रूप से एक पारंपरिक यहूदी परिवार में जन्मे थे परंतु उन्हें यहूदी धर्म में अपनी समस्याओं का समाधान नहीं मिलता था। उन्हें यहूदी पंथ के रब्बी सिस्टम से चिढ़ थी, क्योंकि उनके अनुसार वे प्रशासनिक रूप से कुशल थे परंतु भक्ति मार्ग में एकदम अक्षम। वह यहूदी रब्बी एवं अन्य व्यक्तियों को नैतिकता, धर्म एवं जीवन के अन्य मार्गों पर चलने की शिक्षा देना चाहते थे।

जीजस की शिक्षा

जब जीजस को चेतना के परिप्रेक्ष्य में उचित उत्तर नहीं मिले तो वो फ़िलस्तीन के मरुस्थलों की ओर दुख से भरे मार्ग पर निकल पड़े। जनश्रुतियों के अनुसार एक पीड़ादायक यात्रा के 40वें दिन कहा जाता है कि यीशु को वास्तविक संदेश प्राप्त हुआ और तदपश्चात वह रोमन साम्राज्य वापस आकर ईश्वर का संदेश फैलाने लगे।

जीजस मुख्य रूप से गरीबों और पिछड़ों के मसीहा बन गए। वह पानी पर चलने जैसी कथाओं के कारण लोगों के जननायक बनने लगे। वे प्रशासन के विरुद्ध मुखर होने लगे और उनके अनुसार लोगों को ईश्वर की सेवा में अपना सर्वस्व अर्पण करना चाहिए, न कि पृथ्वी पर उपस्थित राजा और उनके साम्राज्यों की सेवा में। जीजस के सिद्धांतों के अनुसार अमीर लोग कभी स्वर्ग जा ही नहीं सकते क्योंकि वे इस योग्य हैं ही नहीं।

और पढ़ें- तुंबरू, हाहा, हूहू: भारतीय संगीत और नृत्य जैसी अद्भुत कलाओं की उत्पत्ति देवी सरस्वती और गंधर्वों से कैसे हुई, जानिए।

जीजस का सूली चढ़ाना

अब समस्या ये थी कि ईसा मसीह के ये सिद्धांत न तो यहूदी पंथ से मेल खाते थे और न ही रोमन साम्राज्य से। ऐसे में उनके प्रारम्भिक अनुयायी कम थे, परंतु जो थे वो बड़े ही कर्मठ थे।

जीजस के अनुयायी–

  • Simon Peter,
  • Andrew,
  • James (the son of Zebedee),
  • John,
  • Philip,
  • Bartholomew,
  • Thomas,
  • Matthew,
  • James (the son of Alphaeus),
  • Thaddaeus,
  • Simon the Zealot and
  • Judas Iscariot

शनै शनै लोग जीजस की मंडली में जुटने लगे और रोमन साम्राज्य के प्रभाव को अब खतरा लगने लगा। अब यहां ये बताना आवश्यक है कि यहूदियों का जीजस को सूली चढ़ाने में कोई योगदान नहीं था; वास्तव में उसके बढ़ते प्रभाव से रोमन साम्राज्य अधिक भयभीत था।

परंतु वो कहते हैं न कि मरा हुआ शत्रु जीवित शत्रु से अधिक घातक होता है, सो वही हुआ। जो दांव रोम के प्रशासकों ने चला, वो उल्टा उन्हीं पर भारी पड़ा और अनेक यहूदी अब जीजस और उनके विचारों की ओर आकर्षित होने लगे। अब उन्हें जीजस/यीशु में अपना तारक, अपना मसीहा दिखने लगा। यहूदी प्रवर्तक चाहकर भी अब ईसाई धर्म के इस बढ़ते प्रभाव को नहीं रोक पाए।

यहूदी और रोमन संघर्ष

इसी समय रोमन मठों के मठाधीश जीजस के लोकप्रियता से क्रुद्ध हो उठे। उनके लिए ईसाई धर्म और यहूदी धर्म एक ही सिक्के के दो पहलू थे। जीजस के सूली पर चढ़ाए जाने के चार दशक तक कई हिंसक झड़पें हुईं और इसी बीच उदय हुआ Paul the Apostle का।

ये कभी यीशु के अनुयायियों के दमन में विश्वास करते थे। परंतु ये एक दिव्य शक्ति के कारण अंधे हो चुके थे। फिर मृत्यु से पुनर्जीवित हुए यीशु ने इन्हें इनके पापों का आभास कराया और आनानियस नामक अनुयायी ने इनकी दृष्टि लौटाई। अब पॉल एक अनन्य भक्त बन चुके थे जिन्होंने ईसाई पंथ का जमकर प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जीजस के अनुयाईयों का यहूदी होना आवश्यक नहीं है। ईसाई धर्म के प्रचार में सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर यही था कि सभी गैर यहूदी पंथों का प्रारंभ में सहृदय स्वागत करता था।

और पढ़ें- बिठूर– भारत का एक छुपा हुआ सांस्कृतिक रत्न जिसे और समीप से जानने की आवश्यकता है

कैसे पॉल ने यहूदी रोमन युद्ध में सबको बचाया

रोमन साम्राज्य में ईसाई धर्म के लिए पॉल तारणहार बनकर उभरे। उनके समय में रोम और यहूदियों के बीच तनातनी अपने चरमोत्कर्ष पर थी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि यहूदियों ने रोमन राजाओं के विरुद्ध विद्रोह करने का निर्णय किया। लेकिन वह असफल रहा और रोमन साम्राज्य ने येरूशलम का सम्पूर्ण विध्वंस किया एवं द्वितीय टेंपल का विनाश भी किया। 70 ईस्वी में जजीया जैसा धर्म विरोधी कर यहूदियों पर लाद दिया गया और यहूदी रोमन युद्ध मसादा के विध्वंस के साथ समाप्त हुआ।

अब यहूदी पंथ समाप्ति के मुहाने पर आ चुका था। वो भौगोलिक रूप से सशक्त भी नहीं थे क्योंकि Judeau को रोमनों ने ले लिया था, और न ही उनके पास Temple या कोई अन्य संस्था थी जो कि राजनीति का एक महत्वपूर्ण भाग है। स्वाभाविक रूप से ईसाई धर्म अधिक से अधिक यहूदियों के लिए उचित मार्ग था। यहूदी धर्म की तुलना में रूढ़िवादिता का पालन न करने के ईसाइयों के निर्णय ने उनके विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, जेम्स, यीशु के भाई, जो यहूदी धर्म से चिपके हुए चेरिस्टेन्स के मुख्य अधिवक्ता भी थे, उनको रोमनों द्वारा मार दिया गया था।

अब युद्ध के बाद यहूदी धर्म की तुलना में रोमन साम्राज्य में ईसाई धर्म के लिए कम बाधाएं थीं। रोमन इसके प्रति अधिक सहिष्णु थे, परंतु उन्होंने इसे कानूनी दर्जा देने से अस्वीकार कर दिया। ईसाईयों ने अब मतभेद रखना और उन्हें हल करने के लिए वाद-विवाद और विचार-विमर्श आयोजित करना सुरक्षित पाया, और यह रोमन साम्राज्य के बाहर भी फैल रहा था। उस समय, यहूदी प्रभाव पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ था। बहुत सारे ईसाई अभी भी यहूदी धर्म को अपने मौलिक मार्गदर्शक दर्शन के रूप में रखना चाहते थे लेकिन वे ईसाई धर्म को भी नहीं छोड़ना चाहते थे।

ईसाई पंथ से मतभेद सुलझाना

इस समय अर्ली चर्च ने एक समाधान निकाला और उसने अपने आपको यहूदियों एवं यूनानियों के प्रति समर्पित किया। यही कारण है कि New Testament में gospels की संख्या 4 है। Matthew ने यहूदियों को बताया कि यीशु Old Testament की भविष्यवाणियों को पूरी करने हेतु आए हैं और इसी के अनुसार मार्क रोम के ल्यूक यूनानियों को जीजस का मार्ग दिखाने लगे।

अब ईसाई यीशु की उत्पत्ति पर भी मतभेद रखने लगे। दो गुट इस बात पर विवाद करते रहे कि यीशु ईश्वर का भेजा हुआ दूत है या ईश्वर, जीसस और पवित्र आत्मा एक ही बात है। परंतु बाद की घटनाओं के पश्चात अधिवक्ता ने इसे त्रिनेत्रवाद कहा जबकि पूर्व की घटना को गैर-त्रिमूर्तिवाद कहा गया। दक्षिणी यूरोप काफी हद तक त्रिमूर्ति बना रहा जबकि उत्तरी गैर-त्रिमूर्ति बन गया।

ईसाई धर्म की सच्चाई- रोमनों द्वारा स्वीकृति

इस बीच, पहले यहूदी-रोमन युद्धों के 3 दशक बाद, रोम साम्राज्य का पतन प्रारंभ हो गया। रोमन भी दर्शनवाद की पीड़ा से पीड़ित थे क्योंकि रोमन देवताओं ने जीवन की समस्याओं पर प्रकाश नहीं डाला, लेकिन ईसाई धर्म ने किया था। परिणामस्वरूप, यहूदियों की तरह अधिक से अधिक रोमन इस पंथ की ओर आकर्षित हो लिए। लेकिन, रोमन का अभिजात वर्ग इसे स्वीकार करने के लिए तब भी तैयार नहीं था और ईसाई धर्म को कॉन्सटेंटाइन नाम के एक रोमन राजा का सकारात्मक ध्यान आकर्षित करने में बहुत साल लग गए।

रोमन राजा कॉन्सटेंटाइन मूल रूप से सेवंशानुगत राजा नहीं थे। वह एक मूर्तिपूजक के घर पैदा हुआ था लेकिन उसका पालन-पोषण ईसाई मां ने किया था। उसने युद्ध लड़कर सिंहासन अर्जित किया। ऐसा कहा जाता है कि इस तरह के एक युद्ध से पहले, किसी ने अपने सपने में अपनी सेना की ढाल पर ची-रो (ईसा के पहले दो ग्रीक अक्षर) के प्रतीक को चित्रित करने का निर्देश दिया था। उसने युद्ध जीत लिया और वह यीशु का आभारी था। धन्यवाद के प्रतीक के रूप में उन्होंने 313 ईस्वी में मिलान के आदेश का प्रचार किया, जिसने ईसाई धर्म को वैध बनाया, हालांकि बुतपरस्ती अभी भी प्रचलित थी। फतवे का मतलब केवल यह था कि ईसाई धर्म भी पैक्स देवरम में योगदान दे सकता है।

और पढ़ें- सोनपापड़ी एक विशुद्ध भारतीय मिठाई है, जिसे ट्रोलिंग और बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने बर्बाद कर दिया

पूर्व और पश्चिम विभाजित

ईसाई धर्म को अब विभाजित रोमन साम्राज्य के राजधर्म के रूप में स्वीकार किए जाने में और 67 वर्ष लग गए। 380 ईस्वी में सम्राट थियोडोसियस ने अंततः इसे राजकीय धर्म बना दिया। रोमनों द्वारा अनुकूलन के साथ, ईसाई त्योहारों के साथ छेड़छाड़ करने की आवश्यकता आई। ईसाई धर्म के त्योहारों को रोमन त्योहारों के साथ आत्मसात कर लिया गया और यहीं से हर साल 25 दिसंबर को यीशु का जन्मदिन मनाने की परंपरा शुरू हुई।

ईसाई धर्म को राजकीय धर्म के रूप में स्वीकार करने के अलावा, थियोडोसियस ने एक निर्णय भी लिया जिसके कारण ईसाई धर्म में दो विभाजन हुए। उसने अपने साम्राज्य को दो पुत्रों में विभाजित कर दिया। पूर्व और पश्चिम को विभाजित करने वाले साम्राज्यों के साथ-साथ, चर्च भी उसी तर्ज पर अलग हो गया। रोमन पश्चिम और यूनानी पूर्व ने ईसाई धर्म को दो अलग-अलग दिशाओं में ले लिया। हालांकि वे बड़े अर्थों पर एकजुट थे, दैनिक जीवन कैसे व्यतीत किया जाए इसके विभिन्न पहलू अलग-अलग थे।

यीशु के स्वभाव के बारे में भी विवाद थे। यूनानियों ने कहा कि यीशु दिव्य थे जबकि रोम के निवासियों ने कहा कि यीशु मानव और दिव्य दोनों थे। यूनानियों ने कहा कि यीशु के लिए पाप करना असंभव था जबकि रोमियों के लिए यीशु पाप कर सकते थे (क्योंकि वह एक इंसान थे), लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, जो उसे दिव्य बनाता है। झड़प चलती रहीं लेकिन ईसाइयत का विस्तार होता गया। लगभग 250 साल बाद, उनका इस्लाम नामक एक नए धर्म के साथ वार्तालाप हुआ। श्रृंखला के अगले अध्याय में हम ईसाई धर्म पर इस्लाम के प्रभाव के बारे में बात करेंगे।

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें.

Tags: Polytheismजीजसयहूदीयीशुरोमनरोमन साम्राज्य
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

‘अवैध धर्मांतरण राष्ट्र की सुरक्षा के लिए ख़तरा’, मोदी सरकार तुरंत बनाए कानून

अगली पोस्ट

जब बिहार को देश का सबसे गरीब राज्य बने रहने का ‘श्राप’ मिला

संबंधित पोस्ट

जापान करेगा 68 अरब डॉलर का निवेश: भारत बनेगा एशिया का टेक महाशक्ति, चीन की बढ़ेगी टेंशन
अर्थव्यवस्था

ट्रम्प के ‘टैरिफ’ को जापान ने दिखाया आईना- भारत में करेगा 68 अरब डॉलर का निवेश

27 August 2025

भारत और जापान के रिश्तों में अब नया युग शुरू होने जा रहा है। जापान अगले दस साल में 68 अरब डॉलर (करीब 5.7 लाख...

गगनयान की उड़ान की तैयारी: इसरो का पहला एकीकृत एयर ड्रॉप टेस्ट सफल
प्रीमियम

गगनयान की उड़ान की तैयारी: इसरो का पहला इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट सफल

25 August 2025

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपना पहला एकीकृत एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT-01) सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, जो गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन की...

कस्तूरबा गांधी
इतिहास

महात्मा गांधी ने कस्तूरबा गांधी के ऊपर जो अत्याचार किए वो डरावने हैं

22 February 2023

उस महिला से बड़ा दुर्भाग्य किसका होगा, जिसके पति कहने को तो एक अद्वितीय समाज सुधारक थे- राष्ट्र के मार्गदर्शक थे- परंतु वास्तव में वो...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Why Periyar Is No Hero: The Anti-Hindu Legacy That Stalin & DMK Ecosystem Want You To Forget

Why Periyar Is No Hero: The Anti-Hindu Legacy That Stalin & DMK Ecosystem Want You To Forget

00:06:26

Why Hindus Should Reclaim The Forgotten Truth of Onam | Sanatan Roots vs Secular Lies

00:07:03

Suhana Khan in Trouble? Alleged Fake Farmer Claim and the ₹22 Crore Land Deal

00:05:55

IAF’s Arabian Sea Drill: Is it A Routine exercise or Future Warfare Preparation?

00:05:26

Ganesha’s Empire Beyond Bharat: The Forgotten History of Sanatan Dharma in Asia

00:07:16
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited