आरफ़ा खानम शेरवानी का नाम आपने सुना होगा, यदि नहीं सुना है तो हम आपको बता देते हैं, आरफ़ा खानम शेरवानी स्वयं को पत्रकार बताती हैं और वो The Wire नाम की एक कथित न्यूज़ वेबसाइट में काम करती हैं। कांग्रेस की सरकार के समय यह कथित पत्रकार सरकार के पैसों पर चल रहे राज्य सभा चैनल में भी काम कर चुकी हैं। The Wire में काम करते हुए आरफ़ा खानम शेरवानी पिछले कुछ वर्षों से भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करने के मिशन पर काम कर रही थी। और अब उन्हें अपने मिशन में सफलता प्राप्त हो गई है।
इमरान ने किया आरफ़ा खानम शेरवानी का वीडियो शेयर
निम्न ट्विट को देखिए, यह ट्विट पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने किया है। अपने ट्विट में इमरान खान ने लिखा है, “भारत के क्रूर दमन के कारण जीवंत कश्मीरी लोग जीवन के प्रति उदास हो गए हैं।”
سرگرمِ عمل اور زندہ دل کشمیریوں کی شوخئی زیست، شوقِ حیات مقبوضہ جموں وکشمیر میں بھارت کےظالمانہ جبر و تسلُّط تلےماند پڑچکےہیں۔انسان تومحض آزادمعاشروں ہی میں پھلتے پھولتے ہیں۔آزادی کی قدروقیمت سےآشنا لوگ غیر قانونی بھارتی قبضےسےآزادی کی جستجو میں آج اہلِ کشمیر کے ساتھ کھڑےہوں pic.twitter.com/KnEUA0dVuG
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) February 5, 2023
इस ट्वीट के साथ इमरान खान ने एक वीडियो भी अपलोड किया है। इस वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे कश्मीरी आर्टिकल 370 हटने के बाद दुखी हैं- कैसे कश्मीरी एक बंधक जैसा जीवन बिता रहे हैं। आपको जानकर विस्मय होगा कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने जिस वीडियो के द्वारा भारत पर आघात किया है वो वीडियो The Wire की आरफ़ा खानम शेरवानी ने ही निर्मित किया है।
इस पूरे वीडियो को यदि आप देखेंगे तो पाएंगे कि कितने बारीक तरीके से एजेंडा चलाया जाता है। आरफ़ा खानम शेरवानी ने वीडियो में एडिटिंग के दौरान रहस्यमयी इफैक्ट्स डलवाए हैं जिससे वीडियो का फ्लो कुछ इस तरह से जाता है मानो लोगों को जबर्दस्ती वहां बंधक बनाकर रखा गया हो।
वीडियो में बैकग्राउंड म्यूज़िक देखिए, कैमरा एंगल देखिए, कलर करैक्शन देखिए। इतनी मेहनत से वीडियो एडिट की गई है कि एक झलक देखने में ही ऐसा अवभासित होता है मानो चीन के उईगर मुस्लिमों से आरफ़ा बातचीत कर रही हो।
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जबकि जम्मू और कश्मीर का सत्य आप सभी जानते हैं। कोई भी कभी भी वहां जाकर देख सकता है कि स्थिति कैसी है। लेकिन आरफ़ा की इतना परिश्रम बेकार नहीं गया, भारत को बदनाम करने के मिशन में अंतत: उन्हें सफलता अर्जित हो ही गई। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने वीडियो ट्वीट कर दिया है अर्थात आरफ़ा संदेश जहां भेजना चाहती थीं- वहां तक अब वो पहुंच गया है।
ऐसी रिपोर्ट्स उठाकर ही पाकिस्तान अपने एजेंडे को वैश्विक मंचों पर आगे बढ़ाता है। पाकिस्तान जैसे देश के लिए ऐसी रिपोर्ट्स बहुत काम की होती हैं क्योंकि वो वैश्विक मंच पर यह भी कह सकते हैं कि यह भारतीय मीडिया की रिपोर्ट है, क्योंकि वैश्विक मंच यह नहीं देखता है कि The Wire ने पब्लिश की है या फिर किसी और ने, उनके लिए तो यह बहुत है कि वो भारतीय मीडिया की रिपोर्ट है।
कुलभूषण जाधव और आर्टिकल 370 के मामले में पहले भी पाकिस्तान यह कर चुका है। जब उसने भारतीय मीडिया की उन रिपोर्ट्स को दिखाया था जिनमें भारत के स्टैंड से बिल्कुल प्रतिकूल रिपोर्टिंग की गई थी।
अब हमारा प्रश्न आप लोगों से यह है कि क्या यह भारत में रहकर पाकिस्तान के एजेंडे पर काम करना और भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करना नहीं हुआ? क्या आरफ़ा खानम जैसे तथाकथित पत्रकार ही भारत को वैश्विक स्तर पर नीचा दिखाने का प्रयत्न नहीं कर रहे हैं?
यह प्रश्न इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह प्रथम बार नहीं है जब आरफ़ा ने भारत के विरुद्ध इस प्रकार का कार्य किया हो। आइए, एक-एक करके उन विवादों को समझते हैं जब आरफ़ा खानम शेरवानी ने भारत को तोड़ने का या फिर भारत को बदनाम करने का प्रयत्न किया।
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आरिफ मोहम्मद खान ने आरफा को तथ्य बताए
वर्तमान में केरल के राज्यपाल और एक समय में राजीव गांधी की सरकार से त्यागपत्र देने वाले आरिफ़ मोहम्मद खान से आप परिचित होंगे, और आपको स्मरण भी होगा आरिफ़ मोहम्मद खान का वो साक्षात्कार जिसमें उन्होंने आरफ़ा खानम शेरवानी के एक-एक प्रश्न के परखच्चे उड़ाए थे।
अभी भी वो साक्षात्कार यूट्यूब पर उपलब्ध है आप चाहें तो किसी भी समय उसे देख सकते हैं। पूरे साक्षात्कार में आरफ़ा खानम शेरवानी, मुस्लिम-मुस्लिम करते हुए दिखाई दे रही हैं लेकिन उतनी ही दृढ़ता से आरिफ मोहम्मद खान ने उन्हें उत्तर भी दिए थे।
उस साक्षात्कार से एक बात स्पष्ट होती है कि कथित पत्रकार आरफ़ा खानम शेरवानी की पत्रकारिता मज़हब विशेष तक ही सीमित है और कुछ भी करके मज़हब विशेष के लोगों पर बहुत अत्याचार हो रहे हैं यह सिद्ध करने पर तुली रहती हैं। बाकी हिंदू राष्ट्र की काल्पनिक रचना तो वामपंथी लॉबी के एक बड़े वर्ग ने अपने मस्तिष्क में बना ही रखी है तो यह महोदया भी उससे अछूती नहीं हैं।
मनोज वाजपेयी ने दिया उत्तर
अब और आगे बढ़ते हैं, कथित पत्रकार के एक और साक्षात्कार की चर्चा कर लेते हैं। वर्ष 2020 में आरफ़ा खानम शेरवानी ने बॉलीवुड के उत्कृष्ट अभिनेता मनोज वाजपेयी का एक साक्षात्कार किया। इस साक्षात्कार में भी अपने स्वभाव के अनुसार आरफा ने वही राग अलापना शुरू कर दिया।
उन्होंने मनोज वाजपेयी से प्रश्न किया, “कुछ लोग तो यह कह रहे हैं कि ऐसा लग रहा है कि भारत का भविष्य लोकतांत्रिक होगा भी या नहीं इसमें भी शंका है।” मनोज वाजपेयी ने इस प्रश्न का जो उत्तर दिया उससे आरफ़ा के मुस्कुराहट ओझल हो गई।
मनोज वाजपेयी ने कहा, “मैं कोई विशेषज्ञ तो नहीं हूं लेकिन मुझे लगता है कि इस देश का प्रजातंत्र कहीं जाने वाला नहीं है। प्रत्येक 5 वर्षों के बाद चुनाव होता है, जिसको भी डर लगता है वो सरकार के विरुद्ध चुनाव में उतर जाए।” लेकिन इतना सुनने के बाद भी आरफ़ा नहीं मानी वो मनोज वाजपेयी से जो सुनना चाहती थी, वाजपेयी वही नहीं बोल रहे थे।
इसलिए उन्होंने फिर अपना एक मनगढ़ंत प्रश्न पूछा, “ज्यादातर अभिनेताओं को बोलने में डर लगता है, क्योंकि जो बोलता है- उसे काम नहीं मिलता।” मनोज वाजपेयी ने इसके उत्तर में भी आरफा को उदास कर दिया।
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उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता। इसके बाद तो आरफ़ा खानम शेरवानी झुंझलाने-सी लगी। इसी झुंझलाहट में उन्होंने पूछा कि इन दिनों फिल्मों में पुरानी संस्कृति और इतिहास दिखाया जा रहा है- क्या आपको लगता है कि यह एक एजेंडे के तहत किया जा रहा है। मनोज वाजपेयी ने इस पर बहुत बेहतरीन जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मुगले-ए-आज़म तथ्यों से परे फिल्म थी और उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक फिल्म देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए थे। इस क्लिप को आपको एक बार देख ही लेना चाहिए।
काफी दिन बाद कुछ अच्छा देखने को मिला ।
पत्रकार जी यह मनोज जी है ।More Power to the Family Man @BajpayeeManoj Ji #जयहिंद pic.twitter.com/WsZYFt7Dde
— Ashish Kohli ॐ🇮🇳 (@dograjournalist) June 28, 2020
आरफ़ा खानम शेरवानी इस साक्षात्कार में भी अपने एजेंडे को थोपने के चक्कर में थी लेकिन मनोज वाजपेयी ने उन्हें तथ्यों से परिचित करा दिया। यह सभी घटनाएं आपको बताने का उद्देश्य है कि आप समझ सकें कि कितने वर्षों से आरफ़ा खानम शेरवानी भारत को बदनाम करने के प्रयत्नों में लगी हैं- कितने वर्षों से कथित पत्रकार इस तरह का एजेंडा सेट करने में लगी हैं जिससे वो दिखा सकें कि भारत तो बहुत घटिया राष्ट्र है।
इतने वर्षों के बाद अब उनका वीडियो इमरान खान तक पहुंच ही गया है। ऐसा नहीं है कि वो साक्षात्कारों के द्वारा ही भारत विरोधी नैरेटिव सेट करने का प्रयत्न कर रही हैं। ट्विटर के माध्यम से भी आरफा खानम शेरवानी प्रतिदिन यही कर रही हैं।
मुस्लिम विरोधी हैं आरफा?
क्या आप जानते हैं कि भारत विरोधी आरफ़ा खानम शेरवानी मुस्लिम विरोधी भी हैं। जब तीन तलाक जैसी भयावह कुरीति को मुस्लिम समुदाय से खत्म करने के लिए और मुस्लिम महिलाओं को इस कुरीति से बचाने के लिए भारत सरकार ने तीन तलाक विरोधी कानून संसद से पारित किया तो आरफ़ा खानम शेरवानी ने इस कानून की आलोचना की।
उन्होंने तीन तलाक के विरुद्ध आए इस कानून को भी मुस्लिम विरोधी बता दिया- इससे यह तो पूरी तरह से सिद्ध होता है कि आरफ़ा खानम शेरवानी मुस्लिम समुदाय के विकास की भी विरोधी हैं।
Let there be no doubt #TripleTalaqBill is an extension of Modi govt’s anti-Muslim politics.
It is not only against Muslim men but against Muslim women as well.
It satisfies only one agenda of this govt-
Demonise Muslim men,Patronise Muslims women.
And appease the Hindu vote bank.— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) July 30, 2019
यह बात हम अपनी ओर से नहीं कह रहे हैं और ना ही किसी भाजपा नेता ने ऐसा कहा है बल्कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह बात कही है। 2019 में जब पूर्व अभिनेत्री ज़ायरा वसीम ने यह कहते हुए अभिनय छोड़ दिया कि “यह इस्लाम में हराम है” इस पर अभिषेक मनु सिंघवी ने एक ट्वीट करते हुए कहा, “हलाला जायज और एक्टिंग हराम,क्या ऐसे तरक्की करेगा हिंदुस्तान का मुसलमान?”
Sections of the country especially minorities will remain backward if influencers like you are backing regressive / labelling ideals. https://t.co/Di6EKkTeZk
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) July 5, 2019
अभिषेक मनु सिंघवी के इस ट्वीट से आरफ़ा भड़क गईं और उन्होंने इसे रिट्वीट करते हुए इस टिप्पणी को शर्मनाक बताया। इसका उत्तर देते हुए सिंघवी ने कहा था, “देश का एक वर्ग, विशेष तौर पर अल्पसंख्यक तब तक पिछड़े ही रहेंगे जब तक तुम्हारे जैसे इन्फ्लुएर्स कुरीतियों का समर्थन करेंगे।”
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अर्थात अभिषेक मनु सिंघवी कह रहे हैं कि आरफा खानम शेरवानी जैसे कथित पत्रकार ही मुस्लिम समुदाय में फैली कुरीतियों के लिए वास्तविक दोषी हैं। तो यह है कथित पत्रकार आरफ़ा खानम शेरवानी की पत्रकारिता का सत्य।
इमरान खान को भारत विरोधी सामग्री प्रदान करना हो- आरिफ़ मोहम्मद खान के द्वारा मुस्लिमों के भीतर कट्टरता और असुरक्षा की भावना भरने का प्रयत्न करना हो- मनोज वाजपेयी के द्वारा असहिष्णुता के एजेंडे को बढ़ाने का प्रयत्न हो या फिर मुस्लिम महिलाओं के विरुद्ध होकर तीन तलाक विरोधी कानून का विरोध करना हो- हर बार आरफ़ा खानम शेरवानी भारत को बदनाम करने का प्रयत्न करती हुईं दिखती हैं।
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