हर बार की तरह इस बार भी समस्त प्रबंध हो चुके थे। फील्ड तैयार थी, निशाना भी स्पष्ट था और बैकअप में भीड़ भी थी। परंतु इस बार पालघर में पुलिस अराजकतावादियों के साथ नहीं, साधुओं के साथ थी। जी हाँ,इस बार पालघर में पुलिस ने वो किया जिसकी कम ही आशा थी : अपना काम ठीक से करना। बता दें कि वनगाँव इलाके में भिक्षा माँग रहे साधुओं को भीड़ बच्चा चोर समझकर घेरने लगी थी। इस बात की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुँची पुलिस ने भीड़ को समझा बुझा कर हिंसा की संभावित घटना को रोक लिया और साधुओं की जान बचा ली।
तो, इसमें क्या खास बात है? दरअसल, कुछ इस प्रकार की परिस्थियों में ही 2020 में अप्रैल 2020 में पालघर के गढ़चिनचले गाँव में मुंबई से गुजरात जा रहे बुजुर्ग साधुओं और उनके ड्राइवर की भीड़ ने घेर कर हत्या कर दी थी। 200 से अधिक लोगों की भीड़ ने बच्चा चोर होने का शक में साधुओं की बेरहमी से पिटाई की थी। जब साधुओं ने पुलिस स्टेशन में शरण लेने का प्रयास किया, तो उन्होंने उल्टा उन्हे भीड़ के हवाले कर दिया। फिल्हाल इस हत्याकांड की CBI जाँच चल रही है।
पुलिस की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, वनगाँव के चंद्रनगर गाँव में 2 साधु भिक्षा माँग रहे थे। इस बीच गाँव में साधुओं के वेश में बच्चा चोरों के आने की अफवाह फैल गई। ग्रामीणों ने दोनों साधुओं को घेर लिया। इस बीच पुलिस को इस बात की जानकारी मिली। ग्रामीण साधुओं के साथ मारपीट कर पाते, इसके पहले ही पुलिस मौके पर पहुँच गई। पुलिस ने गाँव वालों को समझाया और साधुओं को भीड़ से निकाल कर पुलिस स्टेशन ले गई।
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तो, इसमें क्या खास बात है? इन्ही आधार पर जब 2020 में अप्रैल 2020 में पालघर के गढ़चिनचले गाँव में मुंबई से गुजरात जा रहे बुजुर्ग साधुओं और उनके ड्राइवर की भीड़ ने घेर कर हत्या कर दी थी। 200 से अधिक लोगों की भीड़ ने बच्चा चोर होने का शक में साधुओं की बेरहमी से पिटाई की थी। जब साधुओं ने पुलिस स्टेशन में शरण लेने का प्रयास किया, तो उन्होंने उल्टा उन्हे भीड़ के हवाले कर दिया। फिल्हाल इस हत्याकांड की CBI जाँच चल रही है।
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