Adipurush new poster: “आदिपुरुष” के नाम पर ये क्या मज़ाक है?

गयो, ओम राऊत तो गयो

Adipurush new poster

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Adipurush new poster: पता है विजय कृष्ण आचार्य, डॉक्टर चंदप्रकाश द्विवेदी और ओम राऊत में क्या समान बात है? ये तीनों ही किसी समय पर उत्कृष्ट कला के लिए जाने जाते थे, और इन्होंने अति महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में अपना सर्वस्व अर्पण करने का दावा किया। परंतु इन तीनों में से दो के प्रोजेक्ट्स एकदम फिसड्डी रहे, और तीसरे का प्रोजेक्ट भी लगता है उसी राह पर निकल पड़ा है।

इस लेख में पढिये कि कैसे रामनवमी के अवसर पर “आदिपुरुष” के रचनाकारों ने (Adipurush new poster ) पुनः निराश किया है, और कैसे ये बात इन लोगों के लिए आगे चलकर बहुत हानिकारक सिद्ध होगी ।

Adipurush के new poster ने पुनः किया निराश

रामनवमी के अवसर पर हाल ही में Adipurush की टीम ने नए सिरे से प्रोमोशन प्रारंभ किये। अपने टीज़र के पीछे आलोचना का केंद्र बन चुके इस टीम ने दर्शकों को आकर्षित करने हेतु एक new poster जारी किया, जिसमें Adipurush के अधिकतम प्रमुख पात्र उपस्थित थे।

रामायण पर आधारित इस बहुचर्चित फिल्म में प्रभास श्रीराम के, तो कृति सैनन देवी सीता, सनी सिंह निजर लक्ष्मण के, तो देवदत्त नागे हनुमानजी की भूमिका में दिखेंगे।

परंतु Adipurush के new poster में रंगों के मिश्रण को छोड़कर कुछ भी नया नहीं था। जिन जिन कारणों के लिए इस फिल्म की जमकर आलोचना की गई, वह सब अब भी विद्यमान हैं, चाहे श्रीराम की वेशभूषा हो, हनुमानजी का व्यक्तित्व हो, इत्यादि। अंग्रेज़ी में जैसे कहते हैं, “Old Wine in New Bottle”, अर्थात नए पैकेज में वही पुराना माल, तो Adipurush का new poster इसी का स्मरण कराता है।

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ये वही ओम राऊत है क्या?

जब 2020 में इस फिल्म की घोषणा हुई थी, तो उसके अनाउन्समेन्ट वीडियो से ऐसा लगा, जैसे कि ओम राऊत एस एस राजामौली जैसे फिल्मकार से टक्कर लेने के लिए पूरी तरह तैयार है। हो भी क्यों न, उन्होंने प्रभास को उस रोल में लिया था, जिसे निभाना आज भी एक अद्वितीय कला है, और जिसमें अरुण गोविल को छोड़कर आज तक कोई भी उसके आसपास नहीं आ पाया है।

परंतु अब ऐसा प्रतीत होता है कि वह सारा परिश्रम केवल उस वीडियो तक ही सीमित था, क्योंकि पहले टीज़र और अब नए पोस्टर से इतना स्पष्ट है कि 16 जून 2023 को कोई मास्टरपीस नहीं आ रही है।

इस विषय पर फिल्म के प्रोड्यूसर भूषण कुमार से तो कुछ कहना ही बेकार है, परंतु ओम राऊत, आप तो ऐसे न थे। कम लोग जानते हैं कि “तान्हाजी : द अनसंग वॉरियर” इनकी प्रथम फिल्म नहीं थी, 2015 मे इन्होंने “लोकमान्य : एक युगपुरुष” नामक मराठी फिल्म से अपना डेब्यू किया था, जिसके लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिले। इसके बाद अजय देवगन के नेतृत्व में इन्होंने “तान्हाजी : द अनसंग वॉरियर” का निर्देशन किया, और अनेकों बाधाओं के बाद भी ये फिल्म न केवल ब्लॉकबस्टर सिद्ध हुई, अपितु इसे कई राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले।

ऐसे में जब आदिपुरुष का प्रोजेक्ट अनाउन्स हुआ, तो इसके लिए उत्सुकता भी जगी, और आशा भी। इसमें कई ऐसी टेकनीक से फिल्मांकन होने का दावा किया गया, जो इससे पूर्व कभी भी भारतीय सिनेमा में नहीं हुआ होगा। परंतु फिल्म के टीज़र ने वह सारी आशाएँ धूमिल कर दी।

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ये अन्याय स्वीकार नहीं…

टीज़र से लेकर नए पोस्टर तक लगभग 5 माह थे। इस बीच फिल्मों में असंभव से असंभव कार्य भी संभव हो सकते हैं, यदि फिल्म और उसके मूल उद्देश्य के लिए जिजीविषा हो तो। इन्ही कारणों से एस एस राजामौली की “RRR” ने भी काफी विलंब लिया था, वो अलग बात थी कि कोविड 19 भी एक महत्वपूर्ण कारक था।

परंतु “आदिपुरुष” को देखकर ऐसा प्रतीत लगता है कि ये अब केवल उपहास का पात्र बनने योग्य ही है, इससे कोई प्रेरणा नहीं लेने वाला। श्रीराम को उनके मूल स्वरूप में दिखाना सरल नहीं, परंतु कम से कम फिल्म के नाम पर जनता के धैर्य का ऐसा इम्तिहान भी न लें।

जिस प्रकार से पोस्टर दिखाया गया है, उस अनुसार तो अब सुधार की गुंजाइश कम ही दिखती है, और अब रामायण के एक न्यायपूर्ण रूपांतरण के लिए दर्शकों की प्रतीक्षा अभी और लंबी होने वाली है।

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