चेन स्नैचरों ने नीतीश बाबू की गर्दन खरोंचते हुए आलू के बोरी की भांति लुढ़का दिया!

आइए न हमरा बिहार में!

बिहार के आप निवासी हो या नहीं, परंतु इतना तो सब जानते है कि यहाँ नॉर्मल नामक वस्तु का कौनों अस्तित्व नाहीं है! परंतु नीतीश कुमार ने तो इसे चुनौती के रूप में ले लिया है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि बिहार में भी मोहिनी थिएटर्स की एक शाखा खुली है। परंतु एक चीफ मिनिस्टर का भोर का सैर इंडियाना जोन्स से लेकर खेसारी चचा के एक्शन को भी शर्म से पानी पानी कर दे, ऐसा विरले ही देखने को मिला है।

अब कल्पना के चक्षुदवार खोलिए और देखिए : भोरे का समय, चिड़िया चहचहाये जात हैं। जनता की सेवा में समर्पित सुशासन बाबू शांत वातावरण में अपने ज्ञानचक्षुओं को चार्ज करने के लिए निकले थे। परंतु भाग्य ऐसा कि सीधे हॉलीवुड फिल्म से प्रेरित एक एक्शन सीन में पटक दिए गए! दो तो लईके, जिन्होंने खेसारी स्कूल ऑफ एक्शन एंड मार्शल आर्ट, को पावर्ड बाई निरहुआ कट्टावाला से प्रशिक्षण लिया था, टूट पड़े हमारे सीएम महोदय पर!

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अब भोरे में हर किसी को टाम क्रूज बनने का सुअवसर तो मिलता नहीं। परंतु ई ठहरे हमाये सुशासन बाबू, जिनसे भ्रष्टाचार को भी अपॉइंटमेंट लेना पड़ता है। एक अति क्रांतिकारी कदम में इन्होंने अपने पग साइडवॉक की ओर बढ़ा दिए। ऐसा दृश्य तो माइकल बे छोड़िए, रोहित शेट्टी न फिल्मा पाए। काश, तेज प्रताप भैया उपस्थित होते तो नीतीश बाबू का ऑस्कर में एंट्री पक्का था, क्योंकि पकड़ना भी एक कला होती है। तो एक्शन हीरो कैसा हो, नीतीश बबुआ जैसा हो!

कोई भी एक्शन सीन एक दिलचस्प, रोमांचक मोड़ के बिना पूरा नहीं होता है, और प्रकट हो गए एसएसपी राजीव मिश्रा! दुस्साहसी बाइकर्स की पहचान करने का अत्यंत कठिन कार्य शुरू करते हुए बंधु नंगे कदम पहुँच गए, आखिर मुख्यमंत्री के पदयात्रा में बाधा डालने का दुस्साहस किया गया था।

गहन छानबीन के बाद, यह पता चला कि बाइक पर सवार दोनों बदमाश कोई ऐरे गैरे नत्थू खैरे नहीं थे। वे पेशेवर चेन स्नेचर थे, जिनका आतंक पटना के कण कण में फैला हुआ था। ऐसा प्रतीत होता था कि रोमांच के लिए उनकी भूख उनकी नियमित नापाक हरकतों से संतुष्ट नहीं थी। उन्हें और अधिक की आवश्यकता थी, और इससे ज्यादा रोमांचकारी क्या हो सकता है कि मुख्यमंत्री स्वयं इनका शिकार बने?

परंतु ये दोनों तो बालक हैं, चालक तो कोई और ही था। इखलाक खान की भांति इस केस में एक तीसरा सस्पेक्ट भी सम्मिलित है, जो इस विशेष ऑपरेशन को अपने इशारों पर चलाते हैं। आशा करते हैं कि बिहार प्रशासन श्रीमान हिम्मत सिंह से भी विशिष्ट सलाह लें, नहीं तो अब्बास मियां तो कॉन्फ्रेंस कॉल पर उपलब्ध हैं ही!

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विशेष रूप से, यह पहली बार नहीं था जब हमारे मुख्यमंत्री ऐसी घटना में संलिप्त थे। कई युग पूर्व इन्होंने अपने बाहुबल का विशेष प्रदर्शन दिखाया, जब बख्तियारपुर के मैदान में एक योद्धा ने इनके कमल से कोमल मुख पर घात लगाने का निर्णय किया। परंतु सुशासन के पुष्प ऐसे बरसे कि वह युवक कहाँ गायब हुआ, किसी को न पता चला!

कुछ भी कहिए, परंतु इतना तो स्पष्ट है कि बिहार में जीवन, विशेष रूप से हमारे मुख्यमंत्री के लिए, 24 x 7 एक्शन और रोमांच से परिपूर्ण रहता है। इस राज्य ने जंगल राज के स्वर्णिम युग में कई रोमांचक एपिसोड देखे हैं, लेकिन ये घटना वैसी ही है, जैसे स्पाइडर मैन के संस्करण में तीनों स्पाइडरमैन का मिलन। यह सैर थी जो इतिहास में दर्ज होगी, एक ऐसी सुबह की सैर जो दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं को प्रेरित कर सकती थी। यह सुबह की सैर थी जिसने यह साबित कर दिया कि जब जीवन को किनारे पर जीने की बात आती है, तो नीतीश कुमार के बिहार का कोई मुकाबला नहीं है।

बिहार के निवासियों और विशेष रूप से हमारे मुख्यमंत्री के पास एक ऐसी कहानी बची है जो आने वाली पीढ़ियों का सम्पूर्ण मनोरंजन करने की गारंटी देता है। और जहां तक नीतीश कुमार की मॉर्निंग वॉक रूटीन की बात है, तो हमारे पास एक सुझाव हो सकता है – अब ट्रेडमिल पर भी कमाल हो जाए?

देखते रहिए, क्योंकि “एडवेंचर्स ऑफ नीतीश कुमार” तो अभी प्रारंभ ही हुआ है!

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