केंद्र की भाजपा सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को देश में लागू कर दिया है। सरकार के इस फैसले का जहां देश के हर नागरिक ने सम्मान किया तो वहीं देश का विपक्ष इसका विरोध कर रहा है। इसी कड़ी में कई नेताओं के बायान भी सामने आ रहे हैं। इन सब बायानों में सबसे दिलचस्प और हैरान करने वाला बायान आम आदमी पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का है।
केजरीवाल का विरोध
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सीएए का विरोध करते हुए एक बहुत ही अजीब बात कही। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सीएए के लागू होने के बाद देश के दरवाजे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों के लिए खोल दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि दो-तीन करोड़ लोग वहां पर अल्पसंख्यक हैं, सभी यहां आ जाएंगे तो क्या होगा? कहां से नौकरी आएंगी? जो नौकरी भारत के लोगों के लिए हैं, वह “पाकिस्तानियों” के पास चली जाएंगी? और उन्होंने यह भी कहा कि कितने लोग ऐसे होंगे जो अपने घर के आसपास “पाकिस्तानी और बांग्लादेशियों” की झुग्गियों को बर्दाश्त करेंगे। फिर उन्होंने और डराते हुए और भ्रम फैलाते हुए कहा कि जैसा माइग्रेशन 1947 में हुआ था, उससे कहीं अधिक बड़ा माइग्रेशन इस क़ानून के लागू होने के बाद होगा।
केजरीवाल का हिंदू विरोधी चेहरा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हालांकि अपने भाषण में बहुत चतुराई से खुद को महान राष्ट्रभक्त साबित करने का प्रयास किया, मगर वे चूक गए और इस चूक में अपना हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई विरोधी चेहरा दिखा बैठे।
सबसे पहले तो उन्हें इस बात का जबाव देना चाहिए कि उन्हें समस्या किस बात से है? क्या उन्हें समस्या इस बात से है कि गैर-मुस्लिम समुदायों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है, जिन्हें अपनी धार्मिक पहचान के आधार पर प्रताड़ित किया जाता है या फिर उन्हें इस बात से समस्या है कि इसमें मुस्लिमों को सम्मिलित नहीं किया गया है?
अखिलेश यादव ने भी किया विरोध
यह प्रश्न केवल अरविन्द केजरीवाल से नहीं है, बल्कि अखिलेश यादव से भी है। अखिलेश यादव इन दिनों पीडीए की बात कर रहे हैं। पीडीए अर्थात पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक। अखिलेश यादव ने भी एक्स पर पोस्ट लिखा कि बाहर से लोगों को बुलाया जा रहा है और यहां पर रोजगार नहीं हैं।
धार्मिक आधार पर किया जा रहा था प्रताड़ित
अरविन्द केजरीवाल और अखिलेश यादव दोनों ही अपने आप को पिछड़े और दलितों का शुभचिंतक घोषित करते है। परन्तु ये दोनों ही पकिस्तान में रहने वाले उन वंचितों की ओर से बेखबर हैं जो लगातार अपनी धार्मिक पहचान के आधार पर प्रताड़ित होते आ रहे हैं। उनकी बेटियों को दिनदहाड़े अगवा कर लिया जाता है। शिक्षा तक का अधिकार पाकिस्तान में नहीं हैं। ये भारतीय उप महाद्वीप के ऐसे नागरिक हैं, जिन्हें हर स्थिति में एक सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है।
केजरीवाल ने दी रोहिंग्या मुस्लिमों को हरसंभव सहायता
आज अरविन्द केजरीवाल और अखिलेश यादव दोनों को ही भारत के नागरिकों के रोजगारों आदि की चिंता हो रही है। मगर ये वही अरविन्द केजरीवाल हैं, जिनके नेता अवैध रूप से बसे हुए रोहिंग्या मुस्लिमों को हरसंभव सहायता दे रहे थे।
वर्ष 2020 में दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार मदनपुर खादर में 5 एकड़ से अधिक जमीन पर रोहिंग्याओं ने कब्जा कर लिया था। स्थानीय आप विधायक की मदद से आधार-वोटर कार्ड आदि सब बनवा लिए थे, तो ऐसे में प्रश्न उठता है कि उन्हें किसके हिस्से की बिजली, पानी और अन्य सुविधाएं दी जा रही थीं?
तीन वर्ष पहले यह सभी को याद होगा कि कैसे उत्तर प्रदेश सरकार ने बुलडोजर चलवाकर अपनी जमीन इन रोहिंग्याओं से मुक्त कराई थी और उस समय प्रकाशित दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या मुस्लिमों ने उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जा कर लिया था।
केजरीवाल के विधायक आए सामने
जब उस जमीन को खाली करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्यवाही की थी तो आम आदमी पार्टी के विधायक ही विरोध में उतर आए थे और उस समय आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान ने भास्कर के साथ बातचीत में कहा था कि
’रोहिंग्या 2008 से वहां रह रहे थे। यूपी सिंचाई विभाग ने उनकी झोपड़ियों में आग लगाई थी। ये शरणार्थी हैं और केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि उन्हें शरण दें। केंद्र में भी बीजेपी सरकार है। वे आरोप लगाते हैं कि हमने कब्जा करवाया है। सरकार को उनके लिए पहले व्यवस्था करनी चाहिए।’
रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए व्यवस्था की बात करने वाली आम आदमी पार्टी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के उन गैर-मुस्लिम नागरिकों के लिए घृणा से क्यों भरी हुई है, जिन्हें रोज ही धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किया जा रहा है? क्यों वह उन्हें उनके ही देश में आने से रोक रही है जिनके साथ अत्याचारों की हर सीमा पार हो रही है और अरविन्द केजरीवाल उन्हें पाकिस्तानी कहकर उनके प्रति घृणा का भाव भरने का कुकृत्य क्यों कर रहे हैं?
जबकि एक नहीं कई ऐसी रिपोर्ट्स नेट पर उपलब्ध हैं जिनमें यह पूरी तरह से स्पष्ट तरीके से लिखा गया है कि कैसे रोहिंग्या मुस्लिमों ने रोहिंग्या हिन्दुओं का कत्लेआम म्यांमार में किया था और उनकी इस हिंसक प्रवृत्ति के कारण ही उन्हें उनके देश में नहीं स्वीकारा जाता है! इतना ही नहीं बांग्लादेश जो एक मुस्लिम मुल्क है, वह भी उन्हें उनके देश भेजने की तैयारी में है।
आम आदमी पार्टी का कहना है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिम विदेशी हैं, मगर यह बात ध्यान रखनी होगी कि वह विदेशी नहीं हैं क्योंकि बंटवारा हुआ ही धार्मिक पहचान के आधार पर था, और यदि धार्मिक पहचान के आधार पर भेदभाव होता रहा है तो गैर-मुस्लिम भारत के अतिरिक्त और कहा जाएंगे? और इस कानून के लिए भी कई शर्तें हैं, जिनमें सबसे बड़ी शर्त यही है कि इसकी सीमा 31 दिसंबर 2014 तक है।
मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रहा विपक्ष
देश का विपक्ष मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में इतना अंधा हो चुका है कि वह सही और गलत की पहचान भी भुल चुका है। मुस्लिम वर्ग का वोट पाने के लिए राजनीतिक दल हर प्रकार का दांव चलना चाहते हैं। उन्हें मुस्लिमों के एकमुश्त वोट चाहिए, फिर उसके लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर पीड़ित हो रहे गैर-मुस्लिमों का विरोध ही क्यों न हो? उन्हें शरण देने का विरोध ही क्यों न हो?
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