TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    असम में छात्राओं को मिलेगी स्कॉलरशिप, बाल विवाह पर भी सीएम ने किया ये ऐलान

    असम में छात्राओं को मिलेगी स्कॉलरशिप, बाल विवाह पर भी सीएम ने किया ये ऐलान

    टैरिफ विवाद पर मनीष तिवारी देश के साथ, राहुल गांधी के बयानों को किया खारिज

    टैरिफ विवाद पर मनीष तिवारी देश के साथ, राहुल गांधी के बयानों को किया खारिज

    पाकिस्तान को क्लीन चिट, 'पुलवामा व सिंदूर नाटक' और 'चुनाव आयोग को धमकी': राहुल के बयानों से गरमाई सियासत

    राहुल गांधी का ट्रिपल वार: पाकिस्तान को क्लीन चिट, पुलवामा-सिंदूर को बताया नाटक, EC को दी चेतावनी

    शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में राहुल गांधी मुस्कुराते हुए देखे गए, पहले भी सामने आए है ऐसे मामले

    शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में राहुल गांधी मुस्कुराते हुए देखे गए, पहले भी सामने आए है ऐसे मामले

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ- कपड़ा, आभूषण और मशीनरी निर्यात पर गहरा असर

    भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ- कपड़ा, आभूषण और मशीनरी निर्यात पर गहरा असर

    Amid Trump's tarrif Putin will visit India soon

    अमेरिका का ट्रेड वॉर: संभावनाएं और दुष्परिणाम

    The Impact of Global Inflation on Everyday Life in India

    The Impact of Global Inflation on Everyday Life in India

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस मिसाइलों की बढ़ती मांग, वायुसेना और नौसेना तैयार बड़े ऑर्डर के लिए

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस मिसाइलों की बढ़ती मांग, वायुसेना और नौसेना तैयार बड़े ऑर्डर के लिए

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    प्रोजेक्ट-18: भारत का ‘सुपर डेस्ट्रॉयर’ जो बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन

    प्रोजेक्ट-18: भारत का ‘सुपर डेस्ट्रॉयर’ जो बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    Amid Trump's tarrif Putin will visit India soon

    अमेरिका का ट्रेड वॉर: संभावनाएं और दुष्परिणाम

    एससीओ शिखर सम्मेलन: गलवान गतिरोध के बाद पहली बार चीन जाएंगे पीएम मोदी

    एससीओ शिखर सम्मेलन: गलवान गतिरोध के बाद पहली बार चीन जाएंगे पीएम मोदी

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    भारत पर सख्ती, चीन पर नरमी? ट्रंप की नीति पर निक्की हेली का तगड़ा वार

    भारत पर सख्ती, चीन पर नरमी? ट्रंप की नीति पर निक्की हेली का तगड़ा वार

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    दिल्ली में आरएसएस करेगा लोगों से संवाद, संघ प्रमुख देंगे इन सवालों के जवाब

    दिल्ली में आरएसएस करेगा लोगों से संवाद, संघ प्रमुख देंगे इन सवालों के जवाब

    सतत सक्रिय, ध्येय साधक और प्रेरणा पुंज ‘हमारे चेतराम जी’

    सतत सक्रिय, ध्येय साधक और प्रेरणा पुंज ‘हमारे चेतराम जी’

    दैनिक जीवन में संस्कृत अपनाएं, यही असली भारतीयता: मोहन भागवत

    दैनिक जीवन में संस्कृत अपनाएं, यही असली भारतीयता: मोहन भागवत

    अब समय है ‘संस्कार क्रांति’ करने का

    अब समय है ‘संस्कार क्रांति’ करने का

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    The Lifecycle of a Betting Line

    The Lifecycle of a Betting Line

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    असम में छात्राओं को मिलेगी स्कॉलरशिप, बाल विवाह पर भी सीएम ने किया ये ऐलान

    असम में छात्राओं को मिलेगी स्कॉलरशिप, बाल विवाह पर भी सीएम ने किया ये ऐलान

    टैरिफ विवाद पर मनीष तिवारी देश के साथ, राहुल गांधी के बयानों को किया खारिज

    टैरिफ विवाद पर मनीष तिवारी देश के साथ, राहुल गांधी के बयानों को किया खारिज

    पाकिस्तान को क्लीन चिट, 'पुलवामा व सिंदूर नाटक' और 'चुनाव आयोग को धमकी': राहुल के बयानों से गरमाई सियासत

    राहुल गांधी का ट्रिपल वार: पाकिस्तान को क्लीन चिट, पुलवामा-सिंदूर को बताया नाटक, EC को दी चेतावनी

    शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में राहुल गांधी मुस्कुराते हुए देखे गए, पहले भी सामने आए है ऐसे मामले

    शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में राहुल गांधी मुस्कुराते हुए देखे गए, पहले भी सामने आए है ऐसे मामले

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ- कपड़ा, आभूषण और मशीनरी निर्यात पर गहरा असर

    भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ- कपड़ा, आभूषण और मशीनरी निर्यात पर गहरा असर

    Amid Trump's tarrif Putin will visit India soon

    अमेरिका का ट्रेड वॉर: संभावनाएं और दुष्परिणाम

    The Impact of Global Inflation on Everyday Life in India

    The Impact of Global Inflation on Everyday Life in India

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस मिसाइलों की बढ़ती मांग, वायुसेना और नौसेना तैयार बड़े ऑर्डर के लिए

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस मिसाइलों की बढ़ती मांग, वायुसेना और नौसेना तैयार बड़े ऑर्डर के लिए

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    प्रोजेक्ट-18: भारत का ‘सुपर डेस्ट्रॉयर’ जो बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन

    प्रोजेक्ट-18: भारत का ‘सुपर डेस्ट्रॉयर’ जो बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    Amid Trump's tarrif Putin will visit India soon

    अमेरिका का ट्रेड वॉर: संभावनाएं और दुष्परिणाम

    एससीओ शिखर सम्मेलन: गलवान गतिरोध के बाद पहली बार चीन जाएंगे पीएम मोदी

    एससीओ शिखर सम्मेलन: गलवान गतिरोध के बाद पहली बार चीन जाएंगे पीएम मोदी

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

    भारत पर सख्ती, चीन पर नरमी? ट्रंप की नीति पर निक्की हेली का तगड़ा वार

    भारत पर सख्ती, चीन पर नरमी? ट्रंप की नीति पर निक्की हेली का तगड़ा वार

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    दिल्ली में आरएसएस करेगा लोगों से संवाद, संघ प्रमुख देंगे इन सवालों के जवाब

    दिल्ली में आरएसएस करेगा लोगों से संवाद, संघ प्रमुख देंगे इन सवालों के जवाब

    सतत सक्रिय, ध्येय साधक और प्रेरणा पुंज ‘हमारे चेतराम जी’

    सतत सक्रिय, ध्येय साधक और प्रेरणा पुंज ‘हमारे चेतराम जी’

    दैनिक जीवन में संस्कृत अपनाएं, यही असली भारतीयता: मोहन भागवत

    दैनिक जीवन में संस्कृत अपनाएं, यही असली भारतीयता: मोहन भागवत

    अब समय है ‘संस्कार क्रांति’ करने का

    अब समय है ‘संस्कार क्रांति’ करने का

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    The Lifecycle of a Betting Line

    The Lifecycle of a Betting Line

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

देश में लगातार दवाइयों और व्यापार के लिए हो रहा औषधीय पौधों का दोहन।

भारतीय हिमालयी क्षेत्र में लगभग 112 औषधीय पादप संकटग्रस्त हैं। दवाइयों और व्यापार के लिए इनका अनियंत्रित दोहन इन औषधीय पादपों पर सबसे बड़ा खतरा बना है।

Akash Gaur द्वारा Akash Gaur
23 May 2024
in कृषि, चर्चित
औषधीय पौधे, औषधीय पादपों, विश्व स्वास्थ्य संगठन, भारत, स्वास्थ्य, भारत सरकार, उत्तराखंड सरकार
Share on FacebookShare on X

दुनिया भर की विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों में सदियों से विभिन्न रोगों के इलाज के लिए औषधीय पादपों का उपयोग किया जाता रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि दुनिया की 80 फीसदी आबादी अभी भी अपनी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं के लिए औषधीय पादपों का उपयोग करती है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों एवं वेदों जैसे-अथर्ववेद, रामायण, महाभारत, चरक संहिता, सुश्रुत संहिता आदि में औषधीय पादपों की उपयोगिता का वर्णन मिलता है। 

भारतीय हिमालयी क्षेत्र एक समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है, जिसमें लगभग 8,000 जाति के आवृतबीजी पौधों (40 फीसदी स्थानिक), 44 जाति के जिम्नोस्पर्म (16 फीसदी स्थानिक), 600 जाति के टेरिडोफाइट्स (25 फीसदी स्थानिक), 1737 जाति के ब्रायोफाइट्स (33 फीसदी स्थानिक), 1,159 जाति के लाइकेन (11 फीसदी स्थानिक) और 6,900 जाति के कवक (27 फीसदी स्थानिक) की प्रजातियां पाई जाती हैं। इसके साथ ही इस क्षेत्र में 1748 प्रकार के औषधीय पादप पाये जाते है। हालांकि, हिमालयी क्षेत्र में लगभग 436 पादप प्रजातियां संकटग्रस्त है।

संबंधितपोस्ट

ट्रंप की नाराजगी से नहीं डरेगा भारत, रूस पहुंचे अजित डोभाल, पुतिन से हो सकती है बड़ी डील

भारत पर सख्ती, चीन पर नरमी? ट्रंप की नीति पर निक्की हेली का तगड़ा वार

ट्रंप के टैरिफ वार पर आरबीआई की पैनी नजर, जानें क्या होंगे इसके प्रभाव

और लोड करें

भारतीय हिमालयी क्षेत्र को औषधीय पादपों के प्रमुख भंडार के रूप में जाना जाता है। यह क्षेत्र भारत की कुल औषधीय पादप जातियों में से लगभग 50 फीसदी को प्राकृतिक आवास प्रदान करता है, जिनमें से लगभग 30 फीसदी हिमालयी क्षेत्र के लिए स्थानिक हैं। हिमालयी क्षेत्र में पारंपरिक औषधियों का उपयोग स्वदेशी एवं पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों में प्रमुखता से मिलता है। इस क्षेत्र के राज्यों में औषधीय पादप स्थानीय लोगों की आय का महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

वर्तमान में अधिकांश औषधीय पादप वनों से प्राप्त होते हैं। हालांकि, बढ़ती वैश्विक मांग के साथ-साथ बदलते कानूनों और औषधीय पादपों के अंधाधुंध दोहन से उत्पन खतरे को देखते हुए, औषधीय पादपों को खेती के दायरे में लाने की आवश्यकता है। इनकी मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है, जिससे एक तरफ आयुर्वेदिक कंपनियों की उत्पादन क्षमता प्रभावित हो रही है वहीं दूसरी तरफ स्थानीय लोगों की आजीविका पर भी प्रभाव पड़ा है। 

इसके फलस्वरूप भारतीय हिमालयी क्षेत्र में लगभग 112 औषधीय पादप संकटग्रस्त हैं। जम्मू और कश्मीर (64 प्रजातियां) में सबसे अधिक संकटग्रस्त औषधीय पादप पाए गए है। उसके बाद हिमाचल प्रदेश (60) और सिक्किम (50) का स्थान रहा। उच्च-जोखिम वाली प्रजातियां हिमाचल प्रदेश (11) में सबसे अधिक पाई गई हैं। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड (नौ प्रजातियां) में पाई गई है।

और पढ़े:- शमी का पोधा : महत्व एवं फायदे

विलुप्तता के प्रमुख कारण

जलवायु परिवर्तन: बढ़ता तापमान, अनियमित वर्षा और बदलते मौसम का पैटर्न इन औषधीय पादपों की संख्या एवं प्राकृतिक आवासों को प्रभावित कर रहा है। कुछ हालिया वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन हिमालयी औषधीय पादपों की वितरण सीमा और विविधता को प्रभावित कर रहा है और उनकी फेनोलॉजी यानी फूल आने कि और वानस्पतिक विकास अवधि को भी प्रभावित कर रहा है, जो अंतत: औषधीय पादपों की उत्पादकता को कम कर देता है। तापमान में परिवर्तन औषधीय पादपों के रासायानिक गुणों को भी प्रभावित कर रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण बुरांश, किलमोरा आदि औषधीय पादपों का समय से पहले खिलना इनके औषधीय गुणों को प्रभावित कर रहा है। 
अत्यधिक दोहन: खासकर दवाइयों और व्यापार के लिए, इन औषधीय पादपों का अनियंत्रित दोहन सबसे बड़ा खतरा है। कई दुर्लभ और मूल्यवान प्रजातियों का अवैध रूप से संग्रह किया जाता है, जिससे उनकी संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है। कुटकी, कुठ, जटामांसी, चोरा, सालम मिस्री, सालम पंजा, चिरायता, अतिस, आदि हिमालयी औषधीय पादपों के अंधाधुन दोहन से इनके प्राकृतिक आवासों एवं संख्या में तेजी से कमी आई है।
प्राकृतिक आवासों का विनाश: वनों की कटाई, कृषि विस्तार और बुनियादी ढांचे के विकास से इन पादपों के प्राकृतिक आवास खत्म हो रहे हैं।
वनाग्नि: वनाग्नि से भी औषधीय पादपों की संख्या पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। वनाग्नि औषधीय पादपों को सीधे जला देती है और उनके बीजों और अंकुरों को नष्ट कर देती है। वनाग्नि मिट्टी को उपजाऊ बनाने वाले पोषक तत्वों को भी नष्ट कर देती है, जिससे इन पादपों के जीवित रहने के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का मिलना मुश्किल हो जाता है।

उत्तराखंड में अब तक 153 पादप परिवारों से संबंधित 1,127 औषधीय पादपों की जातियां दर्ज की गई हैं। औषधीय पादपों पर स्थानीय समुदाय का पारंपरिक ज्ञान-विशेष रूप से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं उचित रूप से उपलब्ध हैं, वहां विभिन्न रोगों के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राज्य सरकार द्वारा राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए औषधीय पादपों के क्षेत्र की पहचान प्रमुख रूप में की गई है और इसे प्राथमिकता दी गई है। 

उत्तराखंड सरकार ने राज्य के विभिन्न जलवायु और भौगोलिक क्षेत्रों में खेती के लिए 28 औषधीय और सुगंधित प्रजातियों के पादपों को प्राथमिकता दी है। इन प्राथमिकता प्राप्त प्रजातियों की खेती पर किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी दी जाती है। प्राथमिकता प्राप्त प्रजातियों के अलावा कुछ वृक्ष प्रजातियों को भी औषधीय अनुसंधान एवं विकास संस्थान (एचआरडीआई) द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन इन वृक्ष प्रजातियों पर 50 फीसदी सब्सिडी लागू नहीं होती।

उत्तराखंड राज्य के कई औषधीय पादपों का उपयोग हर्बल उपचार और दवा निर्माण में बहुत अधिक मात्रा में व्यापार के लिए किया जाता है, जिनमें प्रमुख औषधीय पादप निम्नलिखित हैं। इनमें आंवला (16820 मैट्रिक टन/वर्ष), हरड़ (8158 मैट्रिक टन/वर्ष), बहेड़ा (3424 मैट्रिक टन/वर्ष), सतावर (3180 मैट्रिक टन/वर्ष), किलमोरा (521 मैट्रिक टन/वर्ष), कपूर कचरी (400 मैट्रिक टन/वर्ष), कुटकी (416 मैट्रिक टन/वर्ष), जटामांसी (286 मैट्रिक टन/वर्ष), अतीश (210 मैट्रिक टन/वर्ष) आदि है।

राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड के अनुसार, हिमालय के औषधीय पादपों अतीश (बाजार मूल्य 3500-10500 रुपये/किग्रा), कुटकी (बाजार मूल्य 1200-1500 रुपये/किग्रा), जटामांसी (बाजार मूल्य 900-1750 रुपये/किग्रा), मुश्कबाला (बाजार मूल्य 375-425 रुपये/किग्रा), कूट (बाजार मूल्य 850-1000 रुपये/किग्रा), कपूर कचरी (बाजार मूल्य 150-200 रुपये/किग्रा) की बढ़ती मांग से उनके प्राकृतिक स्रोतों पर दबाब भी बढ़ता जा रहा है, जिससे वनों में इन औषधीय पादपों की उपलब्धता में कमी होती जा रही है।

भारत सरकार राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए), राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) और शोध संस्थानों एवं वन विभाग के माध्यम से लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए कार्य कर रही है। पर्यावरण संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा हिमालय के उच्च मूल्य वाले औषधीय पादपों की कृषि तकनीक का विकसित कर औषधीय पादपों को कृषिकरण हेतु प्रोत्साहित कर कृषि तकनीक को किसानों के खेतों तक ले जाया जा रहा है।

संस्थान द्वारा हिमालयी औषधीय पादपों के पादप रसायन एवं आनुवंशिक घटकों पर शोध किया गया है। यह शोध कार्य औषधीय पादपों की खेती में काफी फायदेमंद साबित हुआ है। संस्थान में जैव प्रौद्योगिकी प्रसार प्रोटोकॉल के माध्यम से लगभग 82 औषधीय पादप प्रजातियों का संरक्षण एवं संवर्धन कार्य सफलतापूर्वक किया गया है। 

संरक्षण आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान ने पिथौरागढ़ जिले के चैदास क्षेत्र के 14 विभिन्न गांवों में 7 औषधीय पादपों की जातियों-जम्बू (एलियम स्ट्रेची), चोरु (एंजेलिका ग्लौका), तेजपात (सिनामोमम तमाला), बन हल्दी (हेडिचियम स्पिकेटम), कुटकी (पिक्रोरिजा कुरूआ), कुठ (सांसुरिया कोस्टस) और जटामांसी (वेलेरियाना जटामांसी) को किसानों के खेतों (900-2,750 मीटर ऊंचाई तक) का कृषिकरण कार्य किया। 

किसानों को औषधीय पादपों के विषय में जागरूक करने के लिए ग्रामीण स्तर पर विभिन्न जागरूकता कार्यशालाओं, क्षमता निर्माण कार्यक्रम, क्रेता-विक्रेता बैठकें और औषधीय पादपों की कृषि तकनीक पर व्यावहारिक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए गए।

उच्च मूल्य वाले औषधीय पादपों को संरक्षित करने एवं स्थानीय लोगों की आजीविका को बढ़ाने के लिए संस्थान द्वारा पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में स्थापित औषधीय पादपों के मॉडलों का विशेष योगदान एवं महत्व रहा है। संस्थान द्वारा संकटग्रस्त एवं बहुमूल्य औषधीय पादपों के बाह्य-स्थाने (एक्स-सीटू) एवं स्व-स्थाने (इन-सीटू) संरक्षण के लिए भारत सरकार के विभिन्न विभागों और उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्, देहरादून, आदि के सहयोग से निरंतर कार्य किया जा रहा है।

औषधीय पादपों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु सुझाव 

1-  वर्तमान समय में स्थानीय समुदायों की आजीविका विकास के लिए हिमालयी राज्यों में औषधीय पादपों की खेती को और अधिक बढ़ावा देने की आवश्यकता। 

2- अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से आनुवांशिक संसाधन केंद्रों की स्थापना, गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री प्रदान करने के लिए मॉडल नर्सरी, खेती, कटाई और कटाई के बाद प्रबंधन आदि पर स्थानीय समुदायों के प्रशिक्षण और क्षमता विकास आदि की भी आवश्यकता। 

3- साथ ही औषधीय पादपों की विविधता का दस्तावेजीकरण, जलवायु परिवर्तन का जैव रासायनिक और आनुवांशिक विविधता पर प्रभाव का आंकलन करने, मूल्य शृंखला का विकास, कृषि तकनीकों और प्रसार प्रोटोकॉल का मानकीकरण करने और औषधीय पादपों के व्यापार और उद्यमों को मजबूत करने के प्रयास औषधीय पौधों के क्षेत्र के समग्र विकास के लिए आवश्यक।

4- विभिन्न विकसित औषधीय पादपों की खेती एवं संरक्षण के लिए सफल मॉडल को विभिन्न संस्थानों, विश्वविद्यालयों, उत्तराखण्ड सरकार के विभागों आदि के सहयोग से अन्य हिमालयी राज्यों में भी दोहराए जाने की आवश्यकता। 

5- छोटे बच्चों के स्कूली पाठ्यक्रम में औषधीय पादपों, उनके उपयोगों और संरक्षण आवश्यकताओं पर पाठों को शामिल किया जाना चाहिए। 

6- शोध संस्थानों और स्थानीय विशेषज्ञों की मदद से स्कूलों में औषधीय पादपों के बगीचे स्थापित किए जाने चाहिए। छात्र पौधे लगाने, उनकी देखभाल करने और उनके गुणों के बारे में सीखने से उनके प्रति लगाव महसूस कर सकते हैं, जिससे ये उद्यान जीवंत कक्षाओं के रूप में कार्य कर सकें।

7- छात्रों को अपने परिवारों के साथ घरेलू औषधीय उद्यान बनाने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। यह पुरानी और नयी पीढ़ियों के बीच ज्ञान को साझा करने को बढ़ावा देता है और सतत जीवन शैली की संस्कृति को बढ़ावा देगा। 

8- छात्रों और समुदायों को नागरिक विज्ञान पहलों में भी शामिल करने को आवश्यकता है। इसमें स्थानीय औषधीय पादपों की आबादी पर डेटा संग्रह, पारंपरिक ज्ञान का दस्तावेजीकरण या खतरों की निगरानी शामिल हो सकती है। यह पहल अनुसंधान में भागीदार समुदायों को सशक्त बनाती है और संरक्षण प्रयासों के लिए मूल्यवान डेटा प्रदान करने में भी सहयोग करेगी।

9- वर्तमान समय में आधुनिक तकनीकें, जैसे हाइड्रोपोनिक्स और एरोपोनिक्स को अपनाकर औषधीय पादपों का कृषि कार्य किया जा सकता है। ये तकनीकें कम पानी और जगह का उपयोग करती हैं। जो उन्हें शहरी वातावरण के लिए आदर्श बनाते हैं और औषधीय पादपों के टिकाऊ उत्पादन को बढ़ावा देते हैं। 

इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि हिमालय के औषधीय पादपों का संरक्षण न सिर्फ पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए बल्कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए भी आवश्यक है। इन पादपों के संरक्षण के लिए बहुआयामी रणनीति की जरूरत है, जिसमें अनुसंधान और विकास कार्यो, स्थानीय समुदायों का सहयोग और हितधारको में जागरूकता शामिल है। तभी हम आने वाली पीढ़ियों के लिए हिमालय की इस अनमोल धरोहर को संरक्षित रख पाएंगे।

और पढ़ें:- मियावाकी वृक्षारोपण विधि से कार्बन सिंक में मिलेगी मदद

Tags: HealthIndiaIndian Governmentmedicinal plantsuttarakhand governmentWorld Health Organizationउत्तराखंड सरकारऔषधीय पादपोंऔषधीय पौधेभारतभारत सरकारविश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठनस्वास्थ्य
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

क्या है भारतीय सेना का ‘प्रोजेक्ट उद्भव’?

अगली पोस्ट

मुस्लिमों के मोह में संविधान की और कितनी अवमानना करोगी ममता दीदी?

संबंधित पोस्ट

स्वदेशी राखी, स्वदेशी गिफ्ट, जानें रक्षाबंधन पर देशवासियों से पीएम मोदी ने की कौन सी अपील
चर्चित

स्वदेशी राखी, स्वदेशी गिफ्ट, जानें रक्षाबंधन पर देशवासियों से पीएम मोदी ने की कौन सी अपील

8 August 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से ही स्वदेशी की वकालत करते रहे हैं। इस बार रक्षा बंधन के मौके पर भी उन्होंने देशवासियों से स्वदेशी राखी...

दिल्ली के रेस्टोरेंट में भारतीय कपड़ों में एंट्री नहीं, वीडियो वायरल: जानें, सीएम ने दिया क्या आदेश
चर्चित

दिल्ली के रेस्टोरेंट में भारतीय कपड़ों में एंट्री नहीं, वीडियो वायरल : जानें, सीएम ने क्या दिया आदेश

8 August 2025

दिल्ली के पीतमपुरा में एक रेस्टोरेंट में भारतीय पारंपरिक कपड़ों में कथित तौर पर एंट्री ना मिलने का मामला सामने आया है। सोशल मीडिया पर...

Amid Trump's tarrif Putin will visit India soon
AMERIKA

अमेरिका का ट्रेड वॉर: संभावनाएं और दुष्परिणाम

8 August 2025

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का वैश्विक समुदाय के साथ ट्रेड के संबंध में रूखा रवैया अमेरिकी अर्थव्यवस्था को उसके पतन की ओर ले जाएगा ऐसा...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

himalayan fragility exposed. Dharali: Not Just A Cloudburst?

himalayan fragility exposed. Dharali: Not Just A Cloudburst?

00:20:21

India’s Project-18 Warship Will Crush China’s Indo-Pacific Dreams

00:05:52

PRALAY MISSILE: Know about India’s 5,000 kg Beast That Can Evade Any Radar

00:05:52

Is Congress Against Migrants? Chidambaram Calls Biharis 'Illegal Voters'

00:07:49

Gandhi Family Losing Grip allies Disown Rahul’s Trump-Style Attack on Indian Economy

00:06:28
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited