चंडीगढ़: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास रचते हुए जीत की हैट्रिक लगाई है। रुझानों और परिणामों से साफ है कि लगातार तीसरी बार राज्य में बीजेपी सरकार बनाने जा रही है। बीजेपी की इस जीत में एक फॉर्मूले की भी बार-बार चर्चा हो रही है। दरअसल जिस तरह चुनाव से महज छह महीने पहले राज्य में मुख्यमंत्री बदला गया, उसके बाद माना जा रहा था कि पार्टी के लिए चुनौती आसान नहीं है। नायब सिंह सैनी के चेहरे को आगे करते हुए बीजेपी ने चुनावी लड़ाई लड़ी और नतीजों ने साफ कर दिया कि पार्टी का दांव कामयाब रहा। इससे पहले कुछ और राज्यों में बीजेपी ने इस फॉर्मूले को आजमाया था। त्रिपुरा में चुनाव से महज 10 महीने और गुजरात में चुनाव से एक साल पहले सीएम बदलने के बावजूद बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की थी।
उत्तराखंड
साल- 2021 के जुलाई महीने में उत्तराखंड में सियासी हलचल बढ़ती है। त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह सीएम बने तीरथ सिंह रावत को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ती है। दरअसल 10 मार्च को कमान संभालने के बाद उन्हें 6 महीने के अंदर विधानसभा का सदस्य बनना था। उनके पास दस सितंबर तक का समय था। लेकिन 2 जुलाई 2021 को ही तीरथ पद से त्यागपत्र देते हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत को बीजेपी ने करीब चार साल सत्ता में रहने के बाद मुख्यमंत्री पद से हटाया था। राज्य में चुनाव होने में एक साल से भी कम का वक्त था। ऐसे में पार्टी पुष्कर सिंह धामी के युवा चेहरे को आगे करती है। धामी 11वें मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की कमान संभालते हैं। 2022 का विधानसभा चुनाव धामी के नेतृत्व में लड़ा जाता है। नतीजा यह होता है कि बीजेपी उत्तराखंड में हर पांच साल पर सत्ता परिवर्तन की परिपाटी को तोड़ देती है। 8 महीने पहले सीएम बने धामी के चेहरे पर चुनाव लड़ते हुए बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलता है। राज्य की 70 विधानसभा सीटों में से बीजेपी 47 सीटें जीत लेती है। हालांकि खटीमा से धामी खुद हार गए थे, लेकिन उनके चेहरे पर ही पार्टी ने चुनाव लड़ा था। ऐसे में धामी को राज्य की फिर से कमान सौंपी जाती है।
गुजरात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के गृहराज्य गुजरात में 2022 के विधानसभा चुनाव से एक साल पहले मुख्यमंत्री बदला गया। विजय रुपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को पार्टी ने कमान सौंपी। भूपेंद्र पटेल का नाम विधायक दल की बैठक में पुकारा गया था, तो वह सबसे पीछे बैठे हुए थे। इससे पहले उनको कभी मंत्री की जिम्मेदारी भी नहीं मिली थी। भूपेंद्र पटेल को सीएम बनाकर पार्टी ने कहीं न कहीं विजय रुपाणी के कार्यकाल की एंटी इंकम्बेंसी को बैलेंस कर दिया। इसके एक साल बाद विधानसभा चुनाव हुए और पार्टी ने अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की। बीजेपी ने राज्य की 182 विधानसभा सीटों में से 156 यानी 86 प्रतिशत सीटों पर कब्जा जमा लिया। वहीं, कांग्रेस 77 से घटकर 17 सीटों पर सिमट गई। राज्य के 62 साल के इतिहास में किसी पार्टी की यह सबसे बड़ी जीत थी।
त्रिपुरा
त्रिपुरा में 15 मई 2022 को माणिक साहा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन्हें बिप्लब देब की जगह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम का वक्त बचा था। ऐसे में बीजेपी के इस कदम ने सियासी विश्लेषकों को हैरान कर दिया था। त्रिपुरा में 25 साल के वाम मोर्चे के शासन को खत्म करते हुए बीजेपी ने 2018 में बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। बीजेपी ने 60 सदस्यों वाली विधानसभा में 36 सीटें जीती थीं और बिप्लब कुमार देब को राज्य के मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई। वहीं, माणिक साहा को आगे करते हुए बीजेपी ने 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ा और उसका फॉर्मूला सफल रहा। बीजेपी ने लगातार दूसरी बार त्रिपुरा में सरकार बनाने का करिश्मा कर दिखाया। बीजेपी को 39 प्रतिशत वोटों के साथ 32 सीटें हासिल हुईं। 4 सीटें कम होने के बावजूद पार्टी ने त्रिपुरा का किला हाथ से जाने नहीं दिया। जीत के साथ माणिक साहा ने फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।
हरियाणा
हरियाणा में बीजेपी ने विजय की हैट्रिक लगाते हुए चौंका दिया है। ज्यादातर एग्जिट पोल में कांग्रेस की बहुमत के साथ सरकार मिलने का अनुमान लगाया गया था। लेकिन चुनावी नतीजों में ऐसा कुछ भी नजर नहीं आया। चुनाव आयोग से मिले आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी अपने पिछले रिकॉर्ड तोड़ती हुई इस बार 48 सीटें जीतती नजर आ रही है। अगर यह आंकड़ा अंतिम रहता है, तो बीजेपी का हरियाणा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन होगा। वहीं, 2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 47, जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में बहुमत से कम 40 सीटें ही मिली थीं। मार्च 2024 में मनोहर लाल खट्टर को हटाकर पार्टी ने ओबीसी समाज से आने वाले नायब सिंह सैनी को राज्य का सीएम बनाया। 12 मार्च 2024 को नायब सिंह सैनी ने मुख्यमंत्री की शपथ ली। ऐसी चर्चा थी कि मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के असर को कम करने के लिए बीजेपी ने नायब पर दांव खेला है। चुनाव में महज छह महीने बचे थे। अग्निवीर, किसान आंदोलन और पहलवानों का प्रदर्शन जैसी तमाम चुनौतियों के बावजूद बीजेपी ने हरियाणा में तीसरी बार कमल खिला दिया है। खट्टर का चेहरा बदलकर नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में मिली जीत को अब पार्टी का जांचा-परखा फॉर्मूला माना जा रहा है।