सोचिये कि एक व्यक्ति को घर पीएम आवास योजना के तहत मिल जाता है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत उसके घर में शौचालय बनवा दिया जाता है। परिवार को सरकार से मुफ्त राशन मिल रहा है और दिन का खाना उसके बच्चे मिड-डे मील योजना में स्कूल में खा रहे हैं, जहाँ शिक्षा के अलावा पोशाक आदि भी सरकार ही दे रही है।
TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    जंगलराज की जड़ें: बिहार के अंधेरे दौर की शुरुआत

    जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    यूएन में भारत का प्रहार: पाकिस्तान की असफलता और भारत की मजबूती का खुलासा

    यूएन में भारत का प्रहार: पाकिस्तान की असफलता और भारत की मजबूती का खुलासा

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    जंगलराज की जड़ें: बिहार के अंधेरे दौर की शुरुआत

    जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    जंगलराज की जड़ें: बिहार के अंधेरे दौर की शुरुआत

    जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    यूएन में भारत का प्रहार: पाकिस्तान की असफलता और भारत की मजबूती का खुलासा

    यूएन में भारत का प्रहार: पाकिस्तान की असफलता और भारत की मजबूती का खुलासा

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    जंगलराज की जड़ें: बिहार के अंधेरे दौर की शुरुआत

    जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

स्वास्थ्य या शिक्षा नहीं, ‘एक के साथ एक फ्री’ चुनावों का मुद्दा: नागरिकों को नेता क्या समझते हैं – मतदाता या ग्राहक?

जब जनधन योजना के तहत लोगों के खाते खुलवाए गए और आगे भीम जैसे एप्प के जरिये ऑनलाइन लेन-देन की सुविधा मिली तो अधिकांश छोटे व्यापार भी ऑनलाइन भुगतान की सुविधा ग्राहकों को भी देनी शुरू की।

Anand Kumar द्वारा Anand Kumar
14 November 2024
in मत, राजनीति
मुफ्त की राजनीति, Freebies

मुफ्त पाने के लोभ ने मतदाता को ऐसा उपभोक्ता बना दिया है कि वो स्कूल-कॉलेज की व्यवस्थाएं सुधरने की बातें चुनावी भाषणों में अपने नेताओं से सुनना ही नहीं चाहता

Share on FacebookShare on X

पिछली लोकसभा की बात करें तो मुंबई के चुनावों में हर बार जैसे करीब 50% मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया। पिछले तीस वर्षों से मुंबई क्षेत्र में ये आंकड़ा 50% या उससे कम ही रहा है। इसकी तुलना में देखें तो राजनेता बिलकुल उल्टा व्यवहार करते हैं। कई वीडियो इन चुनावों के दौर के ऐसे दिखाई दिए जिसमें पत्रकार/यू-ट्यूबर एक समुदाय विशेष के लोगों से बातें कर रहे थे और वो खुलकर स्वीकार रहे थे कि उनकी पत्नी ने ‘लाडली बहना’ में पैसे लिए हैं, उन्हें व्यापार में लोन मिला है, मगर इसके बाद भी वो वोट सत्ताधारी दल (यानी भाजपा) को नहीं देने जा रहे थे।

कांग्रेस की बात करें तो हाल ही में चुनावों में वो महिलाओं को एक लाख नकद ट्रान्सफर का लोभ देती दिखी है। वार्षिक एक लाख का अर्थ हर महीने 8500 रुपये अकाउंट में आ जाना होता है। इसके अलावा किसानों के लिए सब्सिडी और एमएसपी के वादे रहे। दूसरी पार्टियाँ भी पीछे नहीं हैं, चाहे मुफ्त इलाज हो या मुफ्त शिक्षा, कर्ज माफ़ी से लेकर लैपटॉप/टेबलेट तक मुफ्त देने के वादे चुनावों में किये जाते रहे हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि भारत में मतदाता हैं भी या केवल ग्राहक हैं? डिटर्जेंट के पैकेट पर साबुन फ्री, एक किलो चीनी पर चायपत्ती फ्री, कॉफ़ी पर मग फ्री, ऐसा तो ग्राहकों को लुभाने के लिए किया जाता है।

संबंधितपोस्ट

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: आधार बनेगा वोटर लिस्ट का 12वां दस्तावेज़, NDA के ‘सशक्त लोकतंत्र’ विज़न को मिली मजबूती

के के मेनन का कांग्रेस पर आरोप- राहुल के विवादास्पद ‘वोट चोरी’ अभियान में बिना अनुमति के उनकी क्लिप का इस्तेमाल किया गया

दिल्ली की बेबसी का इतिहास: कभी नेहरू ने छीन लिया था दर्जा, अब ‘आम आदमी’ की आड़ में सरेआम ठगी

और लोड करें

सरकारों का काम एक स्थायी सरकार देना होता है। इसमें सड़कें, बिजली, पानी, अस्पताल, स्कूल के भवन आदि मूलभूत सुविधाओं की बात हो सकती है। अगले पाँच या दस वर्षों के लिए शिक्षा की नीतियां क्या होंगी, कृषि सम्बन्धी कौन से सुधार होंगे, कानूनों में क्या बदलाव आने हैं, उनकी बात हो सकती है। नीतियां निर्धारित करना सरकार का काम है और जो सरकार बनाने निकला है उसे इन्हीं नीतियों पर बात करनी होगी। उदाहरण के तौर पर देखिये कि बैंकिंग से जुड़ा एक बड़ा बदलाव भारत में हुआ। भारत के अधिकांश लोगों के पास बैंक अकाउंट होते ही नहीं थे।

जब जनधन योजना के तहत लोगों के खाते खुलवाए गए और आगे भीम जैसे एप्प के जरिये ऑनलाइन लेन-देन की सुविधा मिली तो अधिकांश छोटे व्यापार भी ऑनलाइन भुगतान की सुविधा ग्राहकों को भी देनी शुरू की। ये एक बड़ा नीतिगत बदलाव था जिससे बैंक में लेन-देन की गिनती और रकम दोनों पर असर पड़ा होगा। जो काम नकद में होता था और आयकर के दायरे में लाना मुश्किल था, उसपर नजर बनाए रखने में भी इससे सुविधा हुई होगी। चुनावों के दौर में ऐसे नीतिगत बदलावों पर कोई बात नहीं होती। जिनपर चर्चा होती है, वो सिर्फ मुफ्त वाली योजनाएं होती हैं।

ऐसी योजनाओं का नुकसान दिखाई देना शुरू नहीं हुआ, ऐसा बिलकुल भी नहीं है। जब पड़ोसी देश श्रीलंका की अर्थव्यवस्था चौपट हुई और सरकार का तख्तापलट हो गया, उसी वक्त इनपर बात शुरू हो गयी थी। उसके बाद भी जब हिमाचल जैसे राज्यों में चुनाव हुए, तो मुद्दा वही मुफ्त योजनाएं रहीं। परिणाम ये हुआ कि हिमाचल सरकार अपने कर्मचारियों को पेंशन-सैलरी भी नहीं दे पा रही, इस स्थिति में पहुँचते राज्यों को हमने देखा। पश्चिम बंगाल में ऐसी ही स्थिति हो चली है, केंद्र से पैसे लेने के लिए केरल जैसे राज्य सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचे। इसमें एक अच्छी बात ये हुई कि सुप्रीम कोर्ट ने विधायिका के मामलों में हाथ डालने से साफ इनकार कर दिया और सर्वोच्च न्यायालय से राज्यों को अपनी मुफ्त बांटो योजनाएं जारी रखने में कोई छूट नहीं मिली। इससे चुनावी मुद्दों पर कोई असर पड़ा हो, ऐसा फिर भी दिखाई नहीं देता क्योंकि महाराष्ट्र जैसे संपन्न माने जाने वाले राज्यों में भी चुनाव ऐसी ही मुफ्त योजनाओं की घोषणाओं पर लड़े जा रहे हैं।

इस पूरे दौर में एक बदलाव ये भी हुआ है कि स्वतंत्रता के समय आम भारतीय लोगों की शिक्षा का जो स्तर था, वो बहुत कम था। शिक्षित लोगों की दर आज के भारत में 70 प्रतिशत के लगभग पहुँचने लगी है। इसके बाद भी शिक्षित मतदाता पुराने दौर के मतदाता से अधिक जागरूक हुआ है क्या? लोग बचत अपनी अगली पीढ़ियों के लिए करते हैं, मकान आने वाली पीढ़ियों के लिए बनवाते हैं, लेकिन जो नीतियां आने वाली पीढ़ियों पर असर डालेगी, उनकी बात नहीं करते। उदाहरण के तौर पर जब ऐसी सभी योजनाओं के साथ टैक्स नहीं बढ़ाया जाएगा, जो कि एक विपक्षी पार्टी का चुनावी वादा है, तो क्रेडिट मार्केट पर इसका असर होगा और इंटरेस्ट रेट बढ़ जाएगा। जब अर्थव्यवस्था धीमी गति से बढ़ रही हो और कर्ज का स्तर पहले ही जीडीपी के 81 प्रतिशत पर पहुँच रहा हो, उस समय ऐसी योजनाएं क्या असर करेंगी, ये सोचना मुश्किल नहीं है।

इनके अलावा अर्थव्यवस्था और देश पर जो एक और असर होगा (या हो रहा है) उसपर भी विचार करना होगा। सोचिये कि एक व्यक्ति को घर पीएम आवास योजना के तहत मिल जाता है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत उसके घर में शौचालय बनवा दिया जाता है। परिवार को सरकार से मुफ्त राशन मिल रहा है और दिन का खाना उसके बच्चे मिड-डे मील योजना में स्कूल में खा रहे हैं, जहाँ शिक्षा के अलावा पोशाक आदि भी सरकार ही दे रही है। उसकी पत्नी को भी लाडली बहन से लेकर अन्य योजनाओं में लाभ मिल रहा है। सौ दिन का काम उसे मनरेगा योजना में मिल जाता है। ऐसे में वो कौशल विकास योजनाओं का लाभ लेकर काम सीखेगा? उसे ज़रूरत क्या है काम करने की? ग्रामीण क्षत्रों में आपको किसान आराम से ये कहते मिल जायेंगे कि उन्हें मजदूर इसलिए नहीं मिलते क्योंकि सरकार सबको मुफ्त में सब दे रही है तो किसी को काम करने की ज़रूरत ही नहीं है। मोदी सरकार ही 80 करोड़ लोगों को मुफ्त भोजन दे रही है।

स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे बुनियादी मुद्दे चुनावों का विषय होने चाहिए थे। मुफ्त पाने के लोभ ने मतदाता को ऐसा उपभोक्ता बना दिया है कि वो स्कूल-कॉलेज की व्यवस्थाएं सुधरने की बातें चुनावी भाषणों में अपने नेताओं से सुनना ही नहीं चाहता। एक तरफ सरकार किसानों की आय दोगुना करने की बात कर रही है, और दूसरी तरफ उसे कर्ज माफी से लेकर भारी सब्सिडी भी दे रही है, तो ऐसे में आय दोगुना करने का न कोई प्रेरक तत्व बचा, न ही कोई लाभ।

जब उसे कर्ज वापस देना ही नहीं है तो आय पहले जितनी थी, या दोगुनी हो गयी क्या फर्क पड़ता है? भारत को बदलना है तो इस रेवड़ी संस्कृति से मुक्ति तो पानी होगी। उसके बिना 2047 में विकसित देश हो जाने का सपना एक सपना भर है। फिलहाल जैसा माहौल है, उसमें तो बस मध्यम-वर्गीय लोगों की गाढ़ी कमाई से वसूले गए टैक्स से सब्सिडी देने की सरकारी योजनाएं देखिये, और बदलावों का इन्तजार कीजिये।

स्रोत: Politics Of Freebies, मुफ्त की राजनीति, Election, चुनाव, Free, Voter, मतदाता
Tags: electionFreebies Politicsचुनावमुफ्त की रेवड़ी
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

‘शादी कर जमीन हड़पना ही लक्ष्य’: झारखंड में गाय काट रहे बांग्लादेशी घुसपैठिए, स्थानीय लोग बोले- जहां पहले जंगल था अब सिर्फ मुस्लिमों के घर

अगली पोस्ट

ओवैसी बंधुओं का ’15 मिनट’ वाला प्रयोग: हिंदुओं को धमकाएंगे तभी मुस्लिम वोट पाएंगे!

संबंधित पोस्ट

सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?
आयुध

सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

18 September 2025

पाकिस्तान इस समय जिस तथाकथित “रणनीतिक रक्षा समझौते” का ढोल पीट रहा है, उसकी असलियत कुछ और है। इस्लामाबाद इसे ऐसे पेश कर रहा है...

जंगलराज की जड़ें: बिहार के अंधेरे दौर की शुरुआत
इतिहास

जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

18 September 2025

बिहार की राजनीति में जब “जंगलराज” शब्द उभरा, तो यह किसी विपक्षी नेता की गढ़ी हुई परिभाषा नहीं थी। यह उस दौर की सच्चाई थी,...

रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान
चर्चित

रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

17 September 2025

भारत की राजनीति में नेताओं की चर्चा अक्सर उनके चुनावी भाषणों, जनसभाओं की भीड़ या बड़े नारों तक सीमित रहती है। लेकिन जब केंद्रीय मंत्री...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Inside the Waqf Case: What SC’s Interim Order Really Means?

Inside the Waqf Case: What SC’s Interim Order Really Means?

00:19:34

Where Is Kerala Heading? | The Shocking Truth of CPM’s Hate Towards Hindus

00:05:16

How China’s Military Reach Rises on the Backs of Its Silenced Citizens?

00:08:27

Why Congress Wants to Erase Chhatrapati Shivaji Maharaj from Public Memory?

00:06:37

Epic Battle of Saragarhi : A Tale of Unmatched Bravery That Every Indian Should Know

00:07:14
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited