उत्तर प्रदेश में दशकों से बंद पड़े मंदिर मिलने का सिलसिला लगातार जारी है। संभल, कानपुर और वाराणसी के बाद अब मुरादाबाद के एक मुस्लिम बहुल इलाके में 44 वर्षों से बंद पड़ा एक गौरी शंकर मंदिर मिला है। नागफनी थाना इलाके के दौलत बाग स्थित यह मंदिर 1980 में मलबा डालकर दोनों तरफ के दरवाज़ों पर चिनाई करने के बाद बंद कर दिया गया था। मौके पर पहुंची प्रशासन की टीमों ने दोनों दरवाज़ों से चिनाई हटवाकर इस मंदिर को खुलवाया है।
इस मंदिर में जब प्रशासन द्वारा मलबा हटाना शुरू किया गया तो मलबे के 3-4 फीट नीचे कुछ खंडित मूर्तियां भी मिली हैं। खुदाई के दौरान मंदिर की दीवार पर भगवान हनुमान की एक मूर्ति मिली है और ज़मीन पर शिवलिंग के लिए बना स्थान भी मिला है। हालांकि, शिवलिंग के लिए बनी जगह पर शिवलिंग नहीं मिला है। मंदिर की सफाई और खुदाई के दौरान बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी और प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे। अब नगर निगम ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराने का फैसला लिया है और निर्माण, मरम्मत, सफाई और रंगाई पुताई के लिए टीम का गठन कर दिया गया है।
दंगों में की गई थी पुजारी की हत्या
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मंदिर 1980 में हुए दंगों के बाद से ही बंद पड़ा था और इन दंगों के दौरान ही इस मंदिर के पुजारी की हत्या कर दी गई थी। पुजारी की हत्या के बाद प्रतिमाओं को भीड़ ने खंडित कर दिया था और मंदिर को बंद कर दिया गया था। इस मंदिर को खुलवाए जाने की मांग करने वाले सेवा राम नामक शख्स ने दावा किया है कि यह मंदिर 1954 में उनके परदादा भीमसेन द्वारा बनवाया गया था और उस दौरान इस पूरे इलाके में हिंदू ही रहा करते थे।
सेवा राम के मुताबिक, 1980 के दंगों के दौरान उनके दादा का कत्ल कर दिया गया था और तभी से यह मंदिर बंद पड़ा है। सेवा राम ने ज़िलाधिकारी से इस मंदिर को खोलने की मांग करते हुए बताया था कि जब भी वो इस मंदिर को खोलने की कोशिश करते हैं तो दूसरे समुदाय के लोग मंदिर के कपाट नहीं खोलने देते हैं। इसके बाद ज़िलाधिकारी और पूरे प्रशासनिक अमले की मौजूदगी में इस मंदिर को खोला गया है। यह मंदिर फिलहाल खंडहर की स्थिति में है और इसकी मरम्मत किए जाने की मांग उन्होंने उठाई थी।
प्रशासन ने क्या बताया?
मंदिर की साफ-सफाई के बाद रंगाई-पुताई का काम शुरू कर दिया गया है। नगर आयुक्त दिव्यांशु पटेल ने बताया कि मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए पत्थर व टाइल्स की जो भी ज़रूरत होगी उसे पूरा करने के बाद अनुष्ठान कराकर पूजा पाठ के लिए मंदिर को लोगों को सौंप दिया जाएगा। वहीं, मंदिर में अतिक्रमण किए जाने के दावे पर एडीएम का कहना है कि हमारी प्राथमिकता थी कि मंदिर के गर्भगृह को मूल स्वरूप में वापस लाया जाए। उन्होंने कहा कि अभी भी मंदिर का काफी परिसर उपलब्ध है और इसका परिसर पहले कितना था इसकी अलग से जांच की जाएगी।