अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दूसरी पारी की शुरुआत में रक्षा क्षेत्र से जुड़ी एक बड़ी तकनीकी और मानवीय चूक सामने आई थी। दरअसल, ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज़ ने यमन में संभावित अमेरिकी हवाई हमलों से जुड़ी गोपनीय बातचीत के लिए बनाए गए सिग्नल ग्रुप चैट में एक ऐसे व्यक्ति को जोड़ दिया, जिसे उस ग्रुप का हिस्सा नहीं होना चाहिए था। जिस शख्स को उस ग्रुप में जोड़ा गया वह कोई आम नागरिक नहीं बल्कि अटलांटिक मैगजीन के संपादक जैफ्री गोल्डबर्ग थे। इस मामले में आंतरिक जांच बिठाई गई और अब सामने आया है कि यह चूक असल में हुई क्यों थी।
वाल्ट्ज़ से कैसे हुई यह चूक?
ब्रिटिश अखबार ‘द गार्डियन’ ने इस मामले से जुड़े 3 लोगों के हवाले से बताया है कि माइक वाल्ट्ज़ ने गोल्डबर्ग का नंबर अपने मोबाइल में कई महीनों पहले किसी अन्य शख्स के नाम से ‘सेव कर लिया था’। व्हाइट हाउस के IT कार्यालय ने मामले की ‘फोरेंसिक समीक्षा’ की और पाया कि वाल्ट्ज़ के फोन में गोल्डबर्ग का नंबर सेव था। गोल्डबर्ग ने पिछले साल अक्टूबर में ट्रंप के अभियान टीम को एक ईमेल भेजा था जिसके चलते यह नंबर वाल्ट्ज़ तक पहुंचा था।
गोल्डबर्ग ने ट्रंप की टीम को एक स्टोरी का ईमेल किया था जिसमें घायल सैन्यकर्मियों के प्रति ट्रंप के रवैये की आलोचना की गई थी। इसका जवाब देने के लिए वाल्ट्ज़ की मदद ली गई। गोल्डबर्ग का ईमेल ट्रंप के तत्कालीन प्रवक्ता ब्रायन ह्यूजेस (अब राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता) को भेजा गया। ह्यूजेस ने इस ईमेल को कॉपी किया जिसमें गोल्डबर्ग को नंबर भी था और उसे वाल्ट्ज़ को भेज दिया। इस तरह गोल्डबर्ग का नंबर वाल्ट्ज़ के फोन में आ गया जिसे उन्होंने ह्यूजेस का नंबर समझ लिया था। बाद में ‘संपर्क सुझाव अपडेट’ की आईफोन एल्गोरिदम के ज़रिए यह नंबर गोल्डबर्ग के नाम से वाल्ट्ज़ के फोन में सेव हो गया।
वॉल्ट्ज़ ने जब ‘सिग्नल’ ग्रुप चैट में ह्यूज़ को जोड़ने की कोशिश की तो उन्होंने गलती से गोल्डबर्ग का नंबर जोड़ दिया। यह चैट 13 मार्च को बनी थी। इसका नाम था ‘Houthi PC small group’, जिसमें कई बड़े अमेरिकी अधिकारी हूथी विद्रोहियों पर हमले की योजना पर चर्चा कर रहे थे। घटना के तुरंत बाद वॉल्ट्ज़ ने कहा कि उन्होंने कभी गोल्डबर्ग से मुलाकात नहीं की और न ही कभी बात की। ट्रंप को वाल्ट्ज़ के मामले से जुड़ी फॉरेंसिक जांच के बारे में बता दिया गया है और उन्होंने वाल्ट्ज़ की गलती स्वीकार कर ली है। सार्वजनिक रूप से ट्रंप लगातार वाल्ट्ज़ का बचाव करते रहे हैं।
इस प्रकरण के चलते ट्रंप ने वाल्ट्ज़ को हटाने पर भी विचार किया था क्योंकि वह इस बात से नाराज़ हो गए थे कि वाल्ट्ज़ के पास उस पत्रिका (अटलांटिक) के संपादक का नंबर था जिसे वह नापसंद करते हैं। हालांकि, बाद में अटलांटिक के चलते ही वाल्ट्ज़ को नहीं हटाया गया क्योंकि ट्रंप, अटलांटिक और मीडिया को ‘वाल्ट्ज को हटाने से मिलने वाली खुशी’ नहीं देना चाहते थे। ‘गार्डियन’ के मुताबिक, वाल्ट्ज़ और गोल्डबर्ग के रिश्ते को लेकर व्हाइट हाउस ने कोई टिप्पणी नहीं की है। वहीं, गोल्डबर्ग ने कहा, “मैं माइक वाल्ट्ज के साथ अपने रिश्ते पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, बस इतना कहूंगा कि मैं उन्हें जानता हूं और उनसे बात भी कर चुका हूं।”