TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत ने 'चिकन नेक' को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    भारत ने ‘चिकन नेक’ को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    नगीना मस्जिद हमला

    जब सरदार पटेल पर मुस्लिम भीड़ ने किया था जानलेवा हमला:  घटना तो दूर 86 वर्षों तक हमलावरों के नाम भी सामने क्यों नहीं आने दिए गए ?

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    अब बिहार में जंगलराज नहीं, जनराज चलेगा: बेतिया से सीतामढ़ी तक मोदी की हुंकार, RJD-कांग्रेस के कुशासन पर करारा प्रहार

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    जनता की ज़मीन, सत्ता की जागीर नहीं: मानेसर लैंड डील में भूपेंद्र हुड्डा को झटका, न्याय ने कांग्रेस के ‘विकास मॉडल’ की खोल दी पोल

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    The Power of Reading in Building Economic Awareness

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भारत ने 'चिकन नेक' को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    भारत ने ‘चिकन नेक’ को बनाया इस्पाती गलियारा: बांग्लादेश–पाकिस्तान समीकरणों के बीच पूर्वी सीमा पर तीन नई सैन्य छावनियों से भारत की रणनीतिक बढ़त

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    मस्जिदों में कुत्ते बांधने वाली पाकिस्तानी सेना: खैबर पख्तूनख्वा के विद्रोह से टूटा ‘एक पाकिस्तान’ का भ्रम, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से बड़ा अवसर

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    वंदे मातरम्” के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    वंदे मातरम् के 150 वर्ष: बंकिमचंद्र की वेदना से जनमा गीत, जिसने भारत को जगाया और मोदी युग में पुनः जीवित हुआ आत्मगौरव

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    कार्तिक पूर्णिमा 2025: शिव-त्रिपुरारी से भगवान विष्णु मत्स्य अवतार तक, पौराणिक कथाओं का अद्भुत संगम

    नगीना मस्जिद हमला

    जब सरदार पटेल पर मुस्लिम भीड़ ने किया था जानलेवा हमला:  घटना तो दूर 86 वर्षों तक हमलावरों के नाम भी सामने क्यों नहीं आने दिए गए ?

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    सरदार पटेल: लौहपुरुष जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

EXPLAINED: 17 साल, 14 सरकारें और फिर तेज़ होती हिंदू राष्ट्र व राजशाही की मांग; नेपाल में ‘फेल’ लोकतंत्र से ऊब गए लोग?

Akash Sharma Nayan द्वारा Akash Sharma Nayan
1 April 2025
in इतिहास, चर्चित, विश्व, साउथ एशिया
नेपाल आंदोलन हिंदू राष्ट्र राजशाही
Share on FacebookShare on X

कभी दुनिया के एकमात्र हिंदू राष्ट्र रहे नेपाल को एक बार फिर हिंदू राष्ट्र बनाने और राजशाही की वापसी के लिए आंदोलन हो रहा है। कई इलाकों में आंदोलन हिंसक रूप ले रहा है। अब तक इस हिंसा में 2 लोगों की मौत हो चुकी है, 110 लोग घायल हुए हैं। साथ ही राजशाही की मांग कर रहे 105 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है। राजशाही को खत्म कर साल 2008 में नेपाल लोकतांत्रिक गणराज्य बना था। इसके बाद से अब तक 17 सालों में 14 सरकारें बन चुकी हैं। कोई भी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी।

कैसे शुरू हुआ आंदोलन:

नेपाल में आंदोलन की चर्चा पड़ोसी होने के नाते सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर जब दुनिया भर में लोकतान्त्रिक सरकारों का बोलबाला है तब नेपाल में राजतंत्र की मांग क्यों हो रही है?

संबंधितपोस्ट

शताब्दी समारोह : मोहन भागवत ने दिखाई भारत की राह, गांधी-शास्त्री से हिंदू राष्ट्र तक

दक्षिण एशिया की क्षमता को कमज़ोर कर रही है अमेरिका द्वारा रची गई अराजकता

तख़्तापलट से अंतरिम सत्ता तक: नेपाल में सुशीला कार्की का उदय और भारत की प्रतिक्रिया

और लोड करें

वास्तव में देखें तो नेपाल में राजशाही बहाल करने की मांग लंबे समय से होती आ रही है। इसकी ताजा शुरुआत 9 मार्च, 2025 को हुई। दरअसल, तब राजधानी काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर करीब 10 हजार लोग इकट्ठा होकर नारे लगा रहे थे। ये सभी लोग नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थक थे।

ज्ञानेंद्र शाह एयरपोर्ट पर पहुंचे तो बाहर मौजूद भीड़ ‘रॉयल पैलेस खाली करो, राजा आ रहे हैं’, ‘वापस आओ राजा, देश बचाओ’ और ‘हम राजशाही चाहते हैं’ जैसे नारे लगाने लगे। मतलब साफ था कि ये लोग लोकतंत्र का खात्मा और राजतंत्र की बहाली चाहते हैं। ज्ञानेंद्र शाह की मौजूदगी में हुए इस प्रदर्शन में किसी प्रकार की हिंसक घटना नहीं हुई। लेकिन यह समझ आ चुका था कि अब बड़ा आंदोलन होने जा रहा है।

हुआ भी यही…छिटपुट तरीके से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच 28 मार्च को आंदोलनकारी आक्रोशित हो उठे और काठमांडू में पुलिस से उनकी झड़प हो गई। काठमांडू के तिनकुने इलाके में एक इमारत में तोड़फोड़ कर उसे आग के हवाले कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए थे, जिसके जवाब में सुरक्षाकर्मियों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। इस घटना में 2 लोगों की मौत हो गई थी।

यह पूरी प्रदर्शन राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेतृत्व में हो रहा है। इस पार्टी को नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का समर्थन हासिल है। नेपाल में इस हिंसक झड़प के लिए लोकतंत्र समर्थक पार्टियां पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

क्यों हो रहा आंदोलन?

आंदोलनकारियों का कहना है कि लोकतंत्र में देश बर्बाद हो रहा है। इसलिए लोकतंत्र खत्म करके राजशाही को दोबारा शुरू किया जाए। वास्तव में नेपाल में राजशाही की मांग साल 2008 में लोकतंत्र की स्थापना के साथ ही शुरू हो गई थी। देश की आबादी का एक बड़ा वर्ग कभी भी लोकतंत्र को स्वीकार नहीं कर पाया।

प्रदर्शन कर रहे लोगों की दूसरी मांग नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की है। नेपाल की करीब 81% आबादी हिंदू है। ऐसे में आंदोलनकारी नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि 2008 में धर्मनिरपेक्षता अपनाने से नेपाल की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान कमजोर हुई है।

क्यों हो रही राजशाही की मांग?

नेपाल में राजशाही की मांग होने के यूं तो कई कारण हैं। हालांकि कुछ बड़े कारणों को देखें तो लोगों का मानना है कि लोकतंत्र में नेताओं के बीच आपसी संघर्ष, भ्रष्टाचार और शासन में अस्थिरता ने देश को कमजोर कर दिया है। पिछले 17 वर्षों में नेपाल में 13 बार सरकारें बदली हैं और कोई भी सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। इससे लोगों का मौजूदा व्यवस्था से विश्वास उठ चुका है।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट को देखें तो बीते एक साल में नेपाल में भ्रष्टाचार 58% तक बढ़ चुका है। इसमें से 50% मामले प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रपति कार्यालय से जुड़े लोगों या संगठनों से संबंधित हैं। राजशाही का समर्थन करने और इसको लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि राजा के नेतृत्व में भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। उनका तर्क है कि राजा और उनके परिवार को पहले से ही सरकार से पर्याप्त पेंशन और सुविधाएं मिलती हैं। इससे उन्हें आम कर्मचारियों की तरह रिश्वत लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

इसके अलावा देखें तो साल 2008 में राजशाही खत्म होने के बाद से नेपाल की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार धीमी पड़ गई है और व्यापार घाटा बढ़ गया है। पहले जहां नेपाल 2 रुपये का आयात करता था तो 1 रुपये का निर्यात करता था, वहीं अब यह अनुपात 12:1 हो गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 में नेपाल की बेरोजगारी दर 12.6% रही, जो 2018 की तुलना में 1.2% अधिक है।

साल 2024 में औसतन हर महीने 65 हजार युवा रोजगार की तलाश में देश छोड़कर चले गए। यदि यह आंकड़ा भारत जैसे देश के लिए होता तब भी शायद ठीक होता। लेकिन 3 करोड़ की आबादी वाले देश के लिए यह आंकड़ा बेहद चिंताजनक है। समर्थकों का कहना है कि संसद में राजनीतिक दलों के बीच मतभेद के कारण विकास के सारे काम रुक गए हैं। एक विभाजित संसद निर्णायक फैसले लेने में असमर्थ रहती है, जबकि एक राजा स्वतंत्र रूप से और तेजी से निर्णय ले सकता है।

राजशाही की वापसी से क्या होगा?

राजशाही शासन दो तरह से चलाया जा सकता है या यह कहें कि चल रहा है। पहला तो यह कि ऐसा शासन जिसमें राजा की शक्तियों के साथ ही लोकतान्त्रिक व्यवस्था भी शामिल हो। इसमें राजा या रानी देश के शासक होते हैं, लेकिन उनकी शक्तियां संविधान और कानून द्वारा निर्धारित और सीमित होती हैं। ऐसी व्यवस्था में कई बार राजा या शासक प्रतीकात्मक रूप में शासन कर रहा होता है। सरकार की जिम्मेदारी लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार और संसद संभालती है। जापान, यूनाइटेड किंगडम और थाईलैंड जैसे देश इसका उदाहरण हैं।

वहीं कई बार राजशाही शासन निरंकुश भी हो जाता है। इसमें राजा या रानी के पास विधायी, कार्यकारी और न्यायिक सभी अधिकार होते हैं। उनकी मर्जी ही कानून बन जाती है और वे कानून बनाने, देश चलाने और न्याय करने में सक्षम होते हैं। इस व्यवस्था में संसद, संविधान या जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होता जो शासक की शक्ति को बांध सके। कई निरंकुश शासक दावा करते हैं कि उनका अधिकार ईश्वर से मिला है, जिसके कारण उनकी सत्ता पर सवाल उठाना पाप या गैरकानूनी ठहराया जाता है। स्वाज़ीलैंड, ओमान, दारुस्सलाम, सऊदी अरब, वेटिकन जैसे देश इसके बड़े उदाहरण हैं।

राजशाही से लोकतंत्र तक:

साल 1768 में पृथ्वी नारायण शाह ने हिमालय की गोद में स्थित एक भू-भाग पर जीत हासिल कर शाह वंश की स्थापना की। इसके बाद इस राज्य का सीमा विस्तार को लेकर भारत, तिब्बत और चीन से युद्ध हुआ। हालांकि इसके बाद भी 1845 तक शाह वंश का शासन था। लेकिन साल 1846 में शाह वंश की सत्ता में प्रधानमंत्री रहे वीर नरसिंह कुँवर जिन्हें जंग बहादुर राणा भी कहा जाता है ने तख्तापलट करते हुए सत्ता की बागडोर अपने हाथों में ले ली।

इसके बाद साल 1951 में नेपाल में एक बार फिर शाह वंश की वापसी हुई। इसके बाद साल 1959 में शाह वंश के राजा महेंद्र शाह ने संविधान में परिवर्तन करते हुए संवैधानिक राजशाही की स्थापना कर दी। इसके बाद 80 के दशक के अंत में जनता के बढ़ते आंदोलन के चलते देश में बहु-दलीय राजनीतिक प्रणाली की अनुमति दे दी। इसके बाद कई राजनीतिक पार्टियां चुनाव मैदान में उतरीं।

साल 1995 में माओवादियों ने नेपाल की राजशाही सत्ता के खिलाफ गृह युद्ध छेड़ दिया। माओवादियों ने राजशाही को पूरी तरह से हटाने की कोशिश की, लेकिन जल्द ही उन्हें कुचल दिया गया। इसके बाद साल 2001 में क्राउन प्रिंस दीपेंद्र ने राजा बीरेंद्र और राजपरिवार के 9 सदस्यों की हत्या कर दी। इसके बाद ज्ञानेंद्र शाह राजा बने।

साल 2005 में माओवादियों ने एक बार फिर आंदोलन शुरू कर दिया। वहीं, दूसरी तरफ राजा ज्ञानेंद्र ने इमरजेंसी लगाकर सारी शक्ति अपने हाथों में ले ली, जिससे आंदोलन और भड़क गया। साल 2006 में राजा ज्ञानेंद्र को झुकना पड़ा और गिरिजा प्रसाद कोइराला प्रधानमंत्री बने। साल 2008 में संविधान सभा ने राजशाही को खत्म कर नेपाल को गणतंत्र देश घोषित किया गया और माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रधानमंत्री बने।

17 साल 14 सरकार और ‘फेल लोकतंत्र’:

नेपाल में आज जो हो रहा है उसके पीछे का सबसे बड़ा कारण सरकारों की अस्थिरता है। माओवादी नेता पुष्प कमल दहल 2008 में पहले प्रधानमंत्री बने, लेकिन उनकी गठबंधन सरकार 9 महीने में ही गिर गई। इसके बाद माधव कुमार नेपाल, झलनाथ खनाल, बाबुराम भट्टराई, और सुशील कोइराला जैसे नेताओं के नेतृत्व में सरकारें बनीं, लेकिन कोई भी लंबे समय तक टिक नहीं पाई। 2008 से 2025 तक बार-बार सरकारें बदलने का सिलसिला जारी रहा, जिससे नीति निर्माण और शासन में निरंतरता नहीं रही। सीधे शब्दों में कहें तो बीते 17 सालों में नेपाल की 14 सरकारें बदल गईं, लेकिन हाल जस के तस बने रहे। जनता में असंतोष इसके अलावा भी कई कारण रहे।

  • संविधान निर्माण में देरी और असफलता:

साल 2008 में संविधान सभा का गठन हुआ, जिसे नया संविधान बनाना था। लेकिन नेपाली कांग्रेस (एनसी), सीपीएन (यूएमएल), और माओवादियों (यूसीपीएन-एम) के बीच गहरे मतभेदों के कारण प्रक्रिया में देरी हुई। इसके बाद, साल 2012 में सभा भंग हो गई और नया संविधान साल 2015 में ही लागू हो सका। इस देरी ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों का भरोसा कम किया।

  • भ्रष्टाचार में वृद्धि:

नेपाल के लोगों को सालों की तपस्या के बाद संविधान मिला तो देश में भ्रष्टाचार सातवें आसमान में पहुंच गया। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, एक साल में भ्रष्टाचार 58% बढ़ा, जिसमें 50% मामले उच्च सरकारी कार्यालयों से जुड़े थे। नेताओं और नौकरशाहों की जवाबदेही की कमी ने जनता में निराशा पैदा की, जिससे लोकतंत्र की साख कम हुई।

  • आर्थिक संकट और बेरोजगारी:

साल 2008 के बाद नेपाल की अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं हुआ। व्यापार घाटा 2:1 से बढ़कर 12:1 तक पहुंच गया। 2023 में बेरोजगारी दर 12.6% थी, और हर महीने औसतन 65,000 युवा रोजगार की तलाश में देश छोड़कर गए। आर्थिक विकास की कमी ने सरकार के प्रति असंतोष को बढ़ाया, जिसे लोग लोकतंत्र की नाकामी मानते हैं।

  • राजनीतिक दलों में फूट:

नेपाल के प्रमुख राजनीतिक पार्टियों एनसी, सीपीएन (यूएमएल), और माओवादियों—के बीच आपसी टकराव और सत्ता की होड़ ने लोकतंत्र को कमजोर किया। माओवादियों ने बार-बार सरकार से बाहर निकलकर दबाव बनाया, जबकि एनसी और यूएमएल के बीच भी गठबंधन अस्थिर रहे। इस खंडित राजनीति ने प्रभावी शासन को असंभव बना दिया।

  • प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में नाकामी:

साल 2014 में माउंट एवरेस्ट हिमस्खलन, भूस्खलन, बाढ़ और बर्फीले तूफान जैसी आपदाओं को लेकर सरकार की असफलता ने सारी नाकामियों को उजागर कर दिया। साल 2015 के भूकंप के बाद भी राहत और पुनर्वास में देरी ने जनता के गुस्से को बढ़ाया।

  • लोकतांत्रिक संस्थाओं की कमजोरी:

नेपाल की संसद, न्यायपालिका से लेकर तमाम सरकारी विभाग ढंग से काम नहीं कर पा रहे हैं। माओवादियों का प्रभाव, सेना और विद्रोहियों के हथियारों का प्रबंधन और संवैधानिक सुधारों में देरी ने बची कुची कसर पूरी कर दी। साल 2015 में संविधान लागू होने के बाद भी क्षेत्रीय और जातीय असंतोष बढ़ता रहा और सरकार इस असंतोष को दूर करने में नाकाम रही।

 

Tags: Hindu RashtrainternationalKP Sharma OliNepalअंतर्राष्ट्रीयके पी शर्मा ओलीनेपालहिंदू राष्ट्र
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

कल दोपहर 12 बजे लोकसभा में पेश होगा ‘वक्फ संशोधन विधेयक’, भाजपा के साथ NDA के सहयोगी दलों ने भी जारी की व्हिप

अगली पोस्ट

ताश के पत्तों की तरह ढहकर साल की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ आज का बाजार

संबंधित पोस्ट

उज्जैन की 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद का विध्वंस: सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर महाकाल मंदिर के विकास और पार्किंग विस्तार को दिया संरक्षण
चर्चित

उज्जैन की 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद का विध्वंस: सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर महाकाल मंदिर के विकास और पार्किंग विस्तार को दिया संरक्षण

8 November 2025

उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर के विकास और पार्किंग सुविधा के विस्तार को लेकर हुई भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई में लगभग 200 साल पुरानी तकिया...

गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम
आयुध

गलवान के बाद भारत का पलटवार: चुशूल–चांगथांग में तिरंगे के साथ नई सैन्य क्रांति, चीन की नींद हराम

8 November 2025

लद्दाख की ऊंची बर्फीली धरती पर जब हवा सुई की तरह चुभती है और आकाश का रंग नीले से काला पड़ने लगता है, तब वहां...

कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश
चर्चित

कट्टर इस्लाम की गिरफ्त में बांग्लादेश: यूनुस की नीतियां, हिंदुओं पर हिंसा और भारत के खिलाफ नई साजिश

8 November 2025

बांग्लादेश की राजनीति आज एक खतरनाक मोड़ पर खड़ी है। मोहम्मद यूनुस सरकार की कट्टरपंथी नीतियों, अल्पसंख्यकों पर हिंसा और लोकतांत्रिक संस्थाओं की उपेक्षा ने...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Why India’s “Chicken’s Neck” Defence Strategy Is a Warning to Dhaka & Islamabad

Why India’s “Chicken’s Neck” Defence Strategy Is a Warning to Dhaka & Islamabad

00:06:48

How Trump’s Numbers Reveal the Hidden Story of Pakistan’s Lost Jets?

00:05:17

How an Unverified US Shoplifting Incident Is Turned Into A Political Attack Against India & Modi

00:07:47

How Astra Mk-I Based VL-SRSAM will Power India’s Naval Air Defense Network?

00:05:52

What Is The Reason Behind India’s Withdrawal from Tajikistan’s Ayni Air Base?

00:06:48
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited