भारत में वक्फ़ संशोधन कानून को लेकर जबरदस्त राजनीतिक और सामाजिक बहस छिड़ी हुई है। देश के कई हिस्सों में इसका विरोध हो रहा है, खासतौर पर मुस्लिम समुदाय और विपक्षी दल खुलकर इसकी मुखालफत कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुए प्रदर्शन के दौरान तीन लोगों की जान जाना इस मुद्दे की गंभीरता को और बढ़ा देता है। ऐसे में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो दिवसीय सऊदी(PM Modi Tour to Saudi Arabia) यात्रा पर जेद्दा पहुंचे हैं। यह यात्रा उनके तीसरे कार्यकाल की पहली खाड़ी विज़िट है, और ये क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विशेष निमंत्रण पर हो रही है। यात्रा के दौरान एक खास दृश्य तब देखने को मिला जब प्रधानमंत्री का विमान सऊदी एयरस्पेस में प्रवेश करते ही वहाँ के लड़ाकू विमानों ने उसे सुरक्षा कवच प्रदान किया। सोशल मीडिया पर सऊदी अरब की ओर से भारत के प्रधानमंत्री का यह स्वागत तेजी से वायरल हो रहा है।
In a special gesture, fighter jets from Saudi Arabia escorted the Prime Minister @narendramodi’s plane as it entered #Saudi airspace en route to #Jeddah@PMOIndia @MEAIndia pic.twitter.com/9JMiU7EpyD
— The Frustrated Indian (@FrustIndian) April 22, 2025
बता दें कि इस दौरे में पीएम मोदी और सऊदी क्राउन प्रिंस के बीच कुछ अहम मुद्दों पर बातचीत तय मानी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक़, भारत और सऊदी अरब के बीच छह अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं, जिनमें अंतरिक्ष, ऊर्जा, स्वास्थ्य, विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र प्रमुख हैं। इसके साथ ही एक महत्वपूर्ण चर्चा भारत के हज कोटे को लेकर भी हो सकती है। हर साल लाखों भारतीय मुस्लिम नागरिक हज यात्रा पर सऊदी अरब जाते हैं, और मोदी सरकार इस यात्रा को और सहज और सुगम बनाने को लेकर सऊदी नेतृत्व से संवाद करना चाहती है।
ये MOU हो सकते हैं साइन
सूत्रों के मुताबिक़, पीएम मोदी और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) के बीच कई संवेदनशील और रणनीतिक मुद्दों पर वार्ता हो सकती है, जैसे:
1. इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष और रेड सी संकट
मध्य-पूर्व में चल रहे भू-राजनीतिक संघर्ष खासतौर पर गाज़ा पट्टी में इज़राइल-फिलिस्तीन युद्ध और रेड सी में हौती विद्रोहियों के हमले दोनों ही मुद्दे भारत जैसे उभरते वैश्विक खिलाड़ी की चिंता के विषय हैं। इन पर भारत और सऊदी अरब के नेतृत्व के बीच सीधी चर्चा की उम्मीद है।
2. सऊदी की जेलों में बंद भारतीय नागरिक
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में 10,000 से अधिक भारतीय नागरिक विदेशी जेलों में बंद हैं। इनमें सबसे ज़्यादा 2633 कैदी सऊदी अरब में हैं। यह एक गंभीर मानवीय और राजनयिक मुद्दा है, और प्रधानमंत्री मोदी इस पर निश्चित ही सऊदी नेतृत्व से बात करेंगे, ताकि जल्द से जल्द इन कैदियों के मसलों का समाधान हो।
3. रक्षा सहयोग और ऊर्जा सुरक्षा
सऊदी अरब भारत का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल और एलपीजी आपूर्तिकर्ता है। साल 2016 में मोदी की रियाद यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच रणनीतिक, आर्थिक और रक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई थी। मौजूदा दौरे से इस सहयोग को नई रफ्तार मिलने की उम्मीद है, ख़ासकर ऐसे समय में जब वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाएँ अस्थिरता के दौर से गुजर रही हैं।
4. IMEEC: इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर
6,000 किलोमीटर लंबा यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट भारत, खाड़ी और यूरोप को जोड़ता है, जिसमें 3,500 किलोमीटर समुद्री मार्ग शामिल है। यह परियोजना भारत से यूरोप तक सामान पहुँचाने के समय में 40% तक कटौती कर सकती है। हालांकि, मिडिल ईस्ट की अशांति इस परियोजना के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है, और इस पर अब उच्च-स्तरीय राजनीतिक संवाद की ज़रूरत है।
5. फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA)
क्राउन प्रिंस की पिछली भारत यात्रा में FTA पर वार्ता शुरू हुई थी, जिसे अब आगे बढ़ाने की संभावना है। 2023-24 के दौरान भारत ने सऊदी से लगभग ₹1 लाख करोड़ रुपये मूल्य के उत्पाद आयात किए थे। ऐसे में व्यापार को और पारदर्शी और मुक्त बनाने के लिए दोनों देशों के बीच समझौता बेहद अहम है।
6. हज कोटा
भारत-सऊदी संबंधों में हज एक सांस्कृतिक और धार्मिक पुल की तरह है। भारत के लाखों मुस्लिम हर साल हज यात्रा करते हैं और इसका केंद्र जेद्दा है—जो सदियों से भारत और सऊदी अरब के बीच संपर्क का ऐतिहासिक बंदरगाह रहा है। सऊदी अरब में भारत के राजदूत सुहेल एजाज़ खान ने प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले यह साफ़ किया कि भारत सरकार हज को लेकर बेहद संजीदा है और अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय लगातार इसकी व्यवस्था सुनिश्चित कर रहा है। सऊदी सरकार के साथ इस विषय पर हमेशा से तालमेल अच्छा रहा है, और इस यात्रा में इसे और सशक्त किए जाने की पूरी संभावना है।
बता दें कि वर्ष 2025 के लिए भारत का हज कोटा बढ़कर 1,75,025 हो गया है, जो 2014 में महज 1,36,020 था। इसमें से अब तक 1,22,518 यात्रियों की यात्रा की व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं। लेकिन, अनुबंध प्रक्रिया में संयुक्त हज समूह संचालकों की ओर से देरी के कारण तकरीबन 42,000 भारतीय जायरीन की यात्रा फिलहाल अधर में लटक गई है।
इसलिए भी ख़ास है यह यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के न्योते पर जेद्दा पहुंचे हैं, और यह दौरा कई स्तरों पर बेहद अहम माना जा रहा है। ये वही जेद्दा है, जिसे मक्का का दरवाज़ा कहा जाता है हज और उमराह के लिए आने वाले जायरीनों की पहली ज़मीन। भारत-सऊदी व्यापारिक रिश्तों का यह अहम केंद्र आज एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है।
इस दौरे की ऐतिहासिकता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 40 सालों में यह पहला मौका है जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने जेद्दा की ज़मीन पर कदम रखा है। और यह वही पीएम मोदी हैं जिन्हें 2016 में सऊदी अरब ने अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘अब्दुलअज़ीज़ सैश’ देकर सम्मानित किया था एक ऐसा पल जिसने दोनों देशों के आपसी रिश्तों को एक नई ऊंचाई दी थी। इसके साथ ही यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी की खाड़ी क्षेत्र में 15वीं यात्रा है, और सऊदी अरब की उनकी तीसरी। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी की यह खाड़ी नीति दिखाती है कि भारत अब इस रणनीतिक क्षेत्र को सिर्फ ऊर्जा आपूर्ति के नजरिए से नहीं, बल्कि राजनीतिक, सुरक्षा और सांस्कृतिक साझेदारी के रूप में भी देख रहा है।