अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कल, यानी 2 अप्रैल से ‘जैसे को तैसा’ टैक्स (Reciprocal Tariff) लगाने वाले हैं, लेकिन इससे पहले ही शेयर बाजार में तनावपूर्ण स्थिति बन गई है, और सेंसेक्स ताश के पत्तों की तरह ढह चुका है। वित्त वर्ष 2025-26 के पहले कारोबारी दिन, आज यानी मंगलवार (1 अप्रैल) को बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 1390 अंक (लगभग 1.80%) गिरकर 76,024 के स्तर पर बंद हुआ।
यह इस साल की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट है। इससे पहले 28 फरवरी को सेंसेक्स में 1414 अंक (1.90%) की गिरावट आई थी। निफ्टी में भी 353 अंक (करीब 1.50%) की गिरावट आई, और यह 23,165 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 27 में गिरावट रही, जिनमें HCL टेक, बजाज फिनसर्व, HDFC बैंक, बजाज फाइनेंस और इंफोसिस जैसी प्रमुख कंपनियों के शेयरों में लगभग 4% की गिरावट आई। NSE के 50 शेयरों में से 36 में गिरावट रही।
जानें गिरावट के पीछे की क्या है वजह
शेयर बाजार में आई भारी गिरावट के पीछे की असल वजहों को जानने के लिए विशेषज्ञों की राय काफी महत्वपूर्ण है। उनका मानना है कि इस गिरावट के पीछे दो प्रमुख कारण हैं:
ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ: अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 100% टैरिफ लगाने का फैसला किया है, जो 2 अप्रैल से लागू हो सकता है। पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसकी घोषणा की थी, और उनका कहना था कि भारत हमसे 100% से ज्यादा टैरिफ वसूलता है, लिहाजा अब हम भी भारत के खिलाफ यही कदम उठाने जा रहे हैं। इस फैसले से बाजार में और भी ज्यादा दबाव महसूस किया जा रहा है।
आर्थिक अनिश्चितता: वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी की आशंका और अमेरिकी GDP के 2025 की पहली तिमाही में 2.8% तक गिरने की उम्मीद ने निवेशकों के मन में घबराहट पैदा कर दी है। इससे स्टॉक मार्केट में अस्थिरता का माहौल बन गया है, और निवेशक सोच-समझकर कदम उठा रहे हैं।
इसके साथ ही, विदेशी निवेशकों की बिकवाली भी एक और अहम कारण बनकर उभर रही है। फॉरेन इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FII) लगातार भारतीय शेयर बाजार से अपनी पूंजी निकाल रहे हैं, और अगर यह ट्रेंड जारी रहता है, तो इससे बाजार पर दबाव और बढ़ सकता है, खासकर जब निवेशक दूसरे देशों के बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं।