Waqf Act Myths And Truths: वक्फ संशोधन बिल 2025 के जरिए देश में 1995 से चले आ रहे वक्फ एक्ट में कई बदलाव किए गए। लोकसभा के बाद राज्यसभा में बिल पास हुआ। उसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद देश में नया वक्फ कानून बन गया। हालांकि, देश में आदतन भारी समर्थन के बीच पूरे देश में इसका विरोध हुआ। अब मामला सुप्रीमकोर्ट (Hearing In Supreme Court On Waqf Act) तक पहुंच गया है। वक्फ कानून के अलग-अलग बिंदुओं पर आपत्ति जताई गई है। इसके साथ ही इसे लेकर कई भ्रम फैलाए जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं आखिर वक्फ पर फैलाए जा रहे भ्रम और उनका सच्चाई क्या है?
हाल ही में वक्फ संपत्तियों को लेकर कई तरह की धारणाएं और चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं। हालांकि, इसके साथ ही विपक्ष कई भ्रम भी फैला रहा है। आइये जानें इस मामले में कुछ 10 सवालों के जरिए (10 Question And Answer On Waqf Act) जानें भ्रम और सच्चाई…
सवाल: क्या वक्फ संपत्तियां वापस ले ली जाएंगी?
सच्चाई: वक्फ कानून, 1995 के लागू होने से पहले या उसके तहत पंजीकृत कोई भी वैध वक्फ संपत्ति वापस नहीं ली जाएगी।
स्पष्टीकरण: एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ घोषित हो जाती है, तो वह स्थायी रूप से वक्फ ही रहती है। प्रस्तावित विधेयक का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता को बेहतर बनाना है। कलेक्टर को केवल उन संपत्तियों की समीक्षा करने की अनुमति देता है जिन्हें गलत तरीके से वक्फ के रूप में वर्गीकृत किया गया हो। खासकर यदि वे वास्तव में सरकारी संपत्ति हों। वैध रूप से वक्फ की गई संपत्तियां पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगी।
सवाल: क्या वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण नहीं होगा?
सच्चाई: वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण अवश्य होगा।
स्पष्टीकरण: नए विधेयक में सर्वेक्षण आयुक्त की पुरानी भूमिका को समाप्त कर दिया गया है। अब यह जिम्मेदारी जिला कलेक्टर को सौंपी गई है। जिला कलेक्टर मौजूदा राजस्व प्रक्रियाओं का उपयोग करके यह सर्वेक्षण करेंगे। इस बदलाव का उद्देश्य सर्वेक्षण प्रक्रिया को बाधित किए बिना रिकॉर्ड की सटीकता में सुधार लाना है।
सवाल: क्या वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम बहुसंख्यक हो जाएंगे?
सच्चाई: नहीं, वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल होंगे, लेकिन वे कभी भी बहुमत में नहीं होंगे।
स्पष्टीकरण: विधेयक में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में पदेन सदस्यों के अतिरिक्त 2 गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है। इसके अनुसार, परिषद में अधिकतम 4 और वक्फ बोर्ड में अधिकतम 3 गैर-मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं। हालांकि, केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य बोर्डों में कम से कम दो सदस्य गैर-मुस्लिम होने अनिवार्य हैं। अधिकांश सदस्य अभी भी मुस्लिम समुदाय से ही होंगे। इस बदलाव का लक्ष्य समुदाय के प्रतिनिधित्व को कम किए बिना विशेषज्ञता को जोड़ना और पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।
सवाल: क्या नए संशोधन के तहत मुसलमानों की निजी भूमि अधिग्रहित की जाएगी?
सच्चाई: किसी भी मुसलमान की निजी भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा।
स्पष्टीकरण: यह विधेयक केवल उन संपत्तियों पर लागू होता है जिन्हें विधिवत रूप से वक्फ घोषित किया गया है। यह किसी भी निजी या व्यक्तिगत संपत्ति को प्रभावित नहीं करता है जिसे वक्फ के रूप में दान नहीं किया गया है। केवल स्वेच्छा से और कानूनी रूप से वक्फ के रूप में समर्पित संपत्तियां ही नए नियमों के अंतर्गत आएंगी।
सवाल: क्या सरकार इस विधेयक का उपयोग वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए करेगी?
सच्चाई: विधेयक कलेक्टर के पद से ऊपर के एक अधिकारी को सरकारी संपत्ति के गलत वर्गीकरण की समीक्षा और सत्यापन का अधिकार देता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि कोई सरकारी संपत्ति गलती से वक्फ के रूप में दर्ज हो गई है, तो उसे सुधारा जा सके। हालांकि, यह विधेयक वैध रूप से घोषित वक्फ संपत्तियों को जब्त करने का कोई अधिकार सरकार को नहीं देता है।
सवाल: क्या यह विधेयक गैर-मुसलमानों को मुस्लिम समुदाय की संपत्ति पर नियंत्रण या प्रबंधन की अनुमति देता है?
सच्चाई: संशोधन में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य बोर्डों में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है (पदेन सदस्यों को छोड़कर)। परिषद में अधिकतम 4 और वक्फ बोर्ड में अधिकतम 3 गैर-मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं। इन सदस्यों को अतिरिक्त विशेषज्ञता और निगरानी प्रदान करने के लिए शामिल किया जा रहा है। चूंकि अधिकांश सदस्य मुस्लिम समुदाय से ही होंगे, इसलिए धार्मिक मामलों पर समुदाय का नियंत्रण बना रहेगा।
सवाल: क्या ऐतिहासिक वक्फ स्थलों की पारंपरिक स्थिति प्रभावित होगी?
सच्चाई: यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के धार्मिक या ऐतिहासिक स्वरूप में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करता है। इसका उद्देश्य मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों जैसे स्थलों की पवित्र प्रकृति को बदलना नहीं है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ाना और धोखाधड़ी वाले दावों पर अंकुश लगाना है।
सवाल: क्या ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान को हटाने का मतलब है कि लंबे समय से स्थापित परंपराएं खत्म हो जाएंगी?
सच्चाई: इस प्रावधान को हटाने का मुख्य उद्देश्य संपत्ति पर अनधिकृत या गलत दावों को रोकना है। हालांकि, वक्फ बाय यूजर की गई संपत्तियों (जैसे मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान) को सुरक्षा दी गई है। सिवाय उन मामलों के जहां संपत्ति पूरी तरह या आंशिक रूप से विवादित है या सरकारी संपत्ति है। यह कदम पंजीकरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि केवल औपचारिक रूप से वक्फ घोषित संपत्तियों को ही मान्यता मिले।
सवाल: क्या इसका उद्देश्य समुदाय के धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने के अधिकार में हस्तक्षेप करना है?
सच्चाई: इस विधेयक का प्राथमिक लक्ष्य रिकॉर्ड रखने में सुधार करना, कुप्रबंधन को कम करना और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। यह मुस्लिम समुदाय के अपनी धार्मिक संस्थाओं को दिए गए दान का प्रबंधन करने के अधिकार को नहीं छीनता है। बल्कि, यह इन संपत्तियों को पारदर्शी और कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने के लिए एक सुदृढ़ ढांचा प्रदान करता है।
साफ है सरकार की मंशा
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 या वक्फ कानून मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों की सुरक्षा और बेहतर प्रशासन की दिशा में उठाया गया कदम है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि गलतफहमी और बेवजह के विवादों (Waqf Act Myths And Truths) पर भी लगाम लगेगी। सरकार की मंशा साफ है कि धार्मिक स्वतंत्रता बनाए रखते हुए संपत्तियों का सही और सामाजिक उपयोग सुनिश्चित किया जाए।