केंद्र सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्थिति को स्पष्ट करने के लिए सर्वदलीय सांसदों के 7 प्रतिनिधिमंडल बनाए हैं। ये प्रतिनिधिमंडल विभिन्न प्रमुख देशों सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों का दौरा करेंगे और आतंकवाद के खिलाफ भारत का पक्ष मज़बूती से रखेंगे। केंद्र सरकार से शनिवार (17 मई) सुबह इन सभी प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता करने वाले लोगों के नामों की लिस्ट सार्वजनिक की। जिसमें कांग्रेस के सांसद शशि थरूर का भी शामिल था। इसके कुछ देर बाद कांग्रेस ने उन नेताओं की सूची जारी कर दी जिसके नाम उसने इस प्रतिनिधिमंडल के लिए दिए थे और इसमें थरूर का नाम शामिल नहीं था। इसे लेकर अब नई बहस छिड़ गई है।
केंद्र सरकार ने क्या बताया?
इसमें आगे कहा गया है, “विभिन्न दलों के संसद सदस्य, प्रमुख राजनीतिक हस्तियां और प्रतिष्ठित राजनयिक प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे। निम्नलिखित संसद सदस्य सात प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करेंगे- ‘शशि थरूर (कांग्रेस), रविशंकर प्रसाद (BJP), संजय कुमार झा (JDU), बैजयंत पांडा (BJP), कनिमोझी करुणानिधि (DMK), सुप्रिया सुले (NCP), श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिव सेना)‘।”
कांग्रेस ने क्या कहा?
सरकार द्वारा यह सूची जारी करने के कुछ ही समय के बाद कांग्रेस के महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने ‘X’ पर एक पोस्ट किया। जयराम ने लिखा, “कल सुबह संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता से बात की। सरकार ने कांग्रेस से अनुरोध किया कि वह उन सांसदों के नाम भेजे जो विदेशों में जाकर पाकिस्तान से जुड़े आतंकवाद पर भारत का पक्ष रख सकें।”
जयराम रमेश ने आगे बताया कि 16 मई को दोपहर तक लोकसभा में विपक्ष के नेता ने संसदीय कार्य मंत्री को पत्र लिखकर कांग्रेस की ओर से निम्नलिखित 4 सांसदों के नाम भेजे है। जयराम ने जो चार नाम बताए उनमें आनंद शर्मा (पूर्व केंद्रीय मंत्री), गौरव गोगोई (लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता), डॉ. सैयद नसीर हुसैन (राज्यसभा सांसद) और राजा बरार (लोकसभा सांसद) के नाम शामिल थे।
Yesterday morning, the Minister of Parliamentary Affairs Kiren Rijiju spoke with the Congress President and the Leader of the Opposition in the Lok Sabha. The INC was asked to submit names of 4 MPs for the delegations to be sent abroad to explain India’s stance on terrorism from…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 17, 2025
शशि थरूर ने क्या कहा?
जयराम रमेश के इस ट्वीट के कुछ ही मिनटों बाद कांग्रेस शशि थरूर ने भी एक ट्वीट किया और प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने को सम्मान की बात बताया है। थरूर ने X पर लिखा, “भारत सरकार द्वारा मुझे पांच महत्वपूर्ण देशों की राजधानियों में जाने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए आमंत्रित किया गया है, यह मेरे लिए सम्मान की बात है। इस दौरे का मकसद हाल की घटनाओं पर भारत का पक्ष दुनिया के सामने रखना है।” उन्होंने आगे लिखा, “जब बात राष्ट्रहित की हो और देश को मेरी ज़रूरत हो, तो मैं पीछे नहीं हटूंगा। जय हिंद! 🇮🇳”
I am honoured by the invitation of the government of India to lead an all-party delegation to five key capitals, to present our nation’s point of view on recent events.
When national interest is involved, and my services are required, I will not be found wanting.
Jai Hind! 🇮🇳 pic.twitter.com/b4Qjd12cN9
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) May 17, 2025
शशि थरूर पर BJP ने क्या कहा?
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने शशि थरूर की तारीफ की है। उन्होंने एक ‘X’ पोस्ट पर लिखा, “शशि थरूर की बेहतरीन भाषा शैली, संयुक्त राष्ट्र में उनके लंबे अनुभव और विदेश नीति पर उनकी गहरी समझ को कोई नकार नहीं सकता। तो फिर कांग्रेस पार्टी, खासतौर पर राहुल गांधी ने उन्हें विदेश भेजे जा रहे विभिन्न दलों के प्रतिनिधिमंडलों में शामिल क्यों नहीं किया, जो भारत का पक्ष दुनिया के सामने रखेंगे? क्या ये असुरक्षा का भाव है? ईर्ष्या है? या फिर ‘हाईकमान’ से बेहतर दिखने वाले किसी भी व्यक्ति के प्रति असहिष्णुता है?”
No one can deny Shashi Tharoor’s eloquence, his long experience as a United Nations official, and his deep insights on matters of foreign policy.
So why has the Congress Party — and Rahul Gandhi in particular — chosen not to nominate him for the multi-party delegations being…
— Amit Malviya (@amitmalviya) May 17, 2025
कांग्रेस-थरूर के बीच सब कुछ नहीं है ठीक!
पिछले कुछ समय से कांग्रेस और शशि थरूर के बीच सब ठीक नहीं चल रहा है। माना जा रहा है कि कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में जब शशि थरूर ने गांधी परिवार द्वारा समर्थित मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ चुनाव लड़ने का एलान कर दिया था तभी से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व और थरूर के बीच दूरियां बढ़नीं शुरू हो गई थीं। समय बीतता गया और थरूर धीरे-धीरे कांग्रेस पार्टी में किनारे होते गए। 2024 का अंत आते-आते थरूर और कांग्रेस के बीच दूरियां साफ-साफ दिखनीं शुरू हो गईं। बीते 15 फरवरी को थरूर ने पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा की तारीफ की जिसकी कांग्रेस आलोचना कर रही थी और इसे कांग्रेस के एक धड़े ने बिल्कुल पसंद नहीं किया।
इसके कुछ ही दिनों बाद वह दिल्ली में राहुल गांधी से मिले और नाराज़गी जताई कि उन्हें पार्टी में इग्नोर किया जा रहा है। थरूर ने राहुल गांधी से उनकी भूमिका स्पष्ट करने को कहा। उन्होंने इस मुलाकात के 4 दिन बाद 22 फरवरी को एक ‘X’ पर एक पोस्ट किया। पोस्ट में अंग्रेज़ी कवि थॉमस ग्रे की कविता ‘ओड ऑन ए डिस्टेंट प्रॉस्पेक्ट ऑफ ईटन कॉलेज’ का एक कोट था। इसमें लिखा था, “जहां अज्ञानता ही आनंद है, वहां बुद्धिमान होना मूर्खता है।” यकीनी तौर पर थरूर जानते होंगे कि राहुल गांधी से उनकी मुलाकात के बाद उनके इस पोस्ट के कई मायने निकाले जाएंगे, थरूर जैसे बुद्धिमान व्यक्ति द्वारा अज्ञानता में तो यह नहीं किया गया होगा।
इसके अगले ही महीने में थरूर ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की तारीफ की। उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि भारत के पास वास्तव में एक ऐसा प्रधानमंत्री है जो यूक्रेन के राष्ट्रपति (वोलोदिमिर जेलेंस्की) और रूस के राष्ट्रपति (व्लादिमीर पुतिन) दोनों को दो सप्ताह के अंतराल पर गले लगा सकता है और इसे दोनों जगहों पर स्वीकार किया जा सकता है। इसके कुछ ही दिनों बाद थरूर ने भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी को देश की सॉफ्ट पावर को मजबूत करने वाला कदम बताते हुए स्वीकार किया कि मोदी सरकार की यह रणनीति भारत को एक उत्तरदायी वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने में सफल रही है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी वह पूरी तरह से सरकार और सेना के पक्ष के साथ खड़े नज़र आए। भारत-पाकिस्तान के सैन्य संघर्ष के बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने जिस तरह सीज़फायर पर सवाल उठाए। विपक्ष ने ट्रंप के दावों और उनकी भूमिका को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की ऐसी स्थिति में भी थरूर ने सरकार के रूख का साथ दिया। उन्होंने उल्टे डोनाल्ड ट्रंप पर ही सवाल उठा दिए और कहा कि ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान को गलत तरीके से एक तराजू में तौलने की कोशिश की है।
बीते बुधवार का दिल्ली में कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक हुई और इस बैठक के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर कुछ नेताओं के बयानों की चर्चा की गई। इस बैठक में थरूर के बयान को ‘लक्ष्मण रेखा’ पार करने वाला बताया गया। PTI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बैठक के बाद पार्टी के एक सूत्र ने कहा, “हम एक लोकतांत्रिक पार्टी हैं और लोग अपने विचार व्यक्त करते रहते हैं, लेकिन इस बार थरूर ने लक्ष्मण रेखा पार कर ली है।” थरूर ने इस मामले पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी है और कहा, “मैंने जो कुछ भी कहा है, आप उससे सहमत या असहमत हो सकते हैं लेकिन संघर्ष के समय में मैंने एक भारतीय के रूप में बात की है।”
लगातार ऐसे घटनाक्रमों के बाद माना जा रहा है कि कांग्रेस और थरूर के बीच की खाई इतनी गहरी हो गई है कि उसे पाटना अब बहुत मुश्किल काम है। पिछले कुछ समय से लग रहा है कि कांग्रेस अब खुद को थरूर से अलग करने की कोशिश में लगी है। ऐसे में प्रतिनिधिमंडल के लिए के लिए थरूर का नाम ना देना भी कांग्रेस की इस रणनीति का हिस्सा हो सकता है। दूसरी तरफ, कांग्रेस ने जिन नेताओं के नाम दिए हैं उन्हें लेकर भी सवाल हैं, किसी के लिए पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नेता लगने के आरोप हैं और किसी पर पाकिस्तान से संबंध के। ऐसे में इसे कांग्रेस की तुष्टिकरण के एक रूप के तौर पर भी देखा जा रहा है।