भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी दृढ़ता, रणनीतिक सूझबूझ और अटूट राजनीतिक इच्छाशक्ति का पर्याय बन चुकी है। बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो या आंतरिक चुनौतियों से निपटने की दोनों ही मोर्चों पर सरकार ने अडिग संकल्प शक्ति का परिचय दिया है। गृहमंत्री अमित शाह ने तो नक्सलवाद के खात्मे के लिए मार्च 2026 की तारीख भी तय कर दी। यही कारण है कि जो नक्सलवाद दशकों से भारत में हिंसा और अस्थिरता का कारण बना हुआ था। आज वो भारत की नीतियों और मजबूत इच्छाशक्ति के सामने घुटने टेक रहा है। जब देश की सेनाएं पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चे डटी हुईं थी तब भी नक्सलियों के खिलाफ चल रहा ऑपरेशन कमजोर नहीं पड़ा। इस दौरान सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। 21 अप्रैल से 11 मई तक कुर्रेगुट्टालू पहाड़ में 21 दिन चले ऑपरेशन में 31 नक्सलियों को मिट्टी में मिला दिया गया। वहीं 21 मई को अबूछमाड़ में सुरक्षा बलों ने 27 नक्सलियों का एनकाउंटर किया। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का प्रण सिर्फ समस्या का समाधान करना नहीं बल्कि इसके मूल को उखाड़ फेंकना है।
साल 2014 में बनी मोदी सरकार अब अपना तीसरा टर्म कर रही है। 2019 में नरेंद्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने इस टर्म में उन्होंने अपने पुराने साथी अमित शाह को गृह मंत्रालय का जिम्मा सौपा। इसके बाद से ही अमित शाह नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई के साथ-साथ आतंकवाद, आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर भी खरे उतरे हैं। इसी का परिणाम है कि अकेले मई 2025 में ही 50 से ज्यादा नक्सलियों को मिट्टी में मिला दिया गया है। ये इस बात का उदाहरण है कि दृढ़ संकल्प और स्पष्ट दृष्टि के साथ असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जारी रहा नक्सलवाद विरोधी अभियान
गृहमंत्री अमित शाह अटूट रणनीतिक इच्छाशक्ति को तो आप कुछ इस तरह से समझिए। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ। इसमें 22 लोगों की जान चली गई। इस दौरान छत्तीसगढ़ तेलांगना और महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षाबलों का ऑपरेशन जारी रहा। इतना ही नहीं 7 मई 2025 को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया। इसके बाद 10 मई तक देश पाकिस्तान के साथ तनाव में रहा। इस दौरान भी नक्सलियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन में किसी तरह की कोई कोताही नहीं बरती गई।
मई में ही मार गिराए 50 से ज्यादा नक्सली
नक्सलियों के सफाए के लिए 21 अप्रैल से 11 मई तक सुरक्षाबलों ने अबतक का सबसे बड़ा ऑपरेशन चलाया। छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा के कुर्रेगुट्टालू पहाड़ में 21 दिन चले इस ऑपरेशन में 31 नक्सली मारे गए। वहीं 21 मई को अबूछमाड़ में नक्सलियों पर ताबड़तोड़ अटैक किए गए। इसमें कई नक्सलियों का एनकाउंटर हुआ। 27 शवों के बरामदगी की आधिकारिक पुष्टि हुई। सबसे बडी बात कि 1 करोड़ का इनामी नक्सली कमांडर बसवा राजू भी इस मुठभेड़ में मारा गया। कुल मिलाकर साफ है कि मौदी सरकार अपने मुद्दों को अलग-अलग रखना जानती है।
मिली उल्लेखनीय सफलता
सुरक्षा बलों ने 21 अप्रैल से 11 मई 2025 तक चले ऑपरेशन के बाद 21 मई को नारायणपुर में एक ऑपरेशन कर 27 नक्सलियों को मार गिराया। इसे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद को खत्म करने की लड़ाई में एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। उन्होंने सोशल मीडियो पोस्ट में बताया कि छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में ऑपरेशन चलाकर हमारे सुरक्षा बलों ने 27 खूंखार माओवादियों को मार गिराया है। इसमें नक्सल आंदोलन की रीढ़ नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू भी शामिल था। नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के तीन दशकों में यह पहली बार है कि हमारे बलों द्वारा एक महासचिव स्तर के नेता को मार गिराया गया है।
प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने बताई प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उल्लेखनीय सफलता के लिए सैन्य बलों पर गर्व जताया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार माओवाद के खतरे को खत्म करने और अपने लोगों के लिए शांतिपूर्ण और प्रगतिशील जीवन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अमित शाह ने इस बड़ी सफलता के बहादुर सुरक्षा बलों और एजेंसियों की सराहना की है। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के पूरा होने के बाद छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है। 84 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। मोदी सरकार 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
पहले दिन से जारी है नक्सलवाद विरोधी अभियान
साल 2014 में NDA की सरकार बनने के बाद से ही नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन जारी है। 2019 में बाद से इसमें और अधिक तेजी आई जब गृहमंत्री अमित शाह ने इसे देश के लिए बड़ा खतरा बताया। साल 2019 से लेकर अभी तक के आंकड़ों की बात करें तो 1000 से ज्यादा नक्सली एनकाउंटर में मारे गए हैं। 2025 के पिछले 4 महीने में ही 197 हार्डकोर नक्सलियों को न्यूट्रलाइज़्ड किया गया है। मोदी सरकार के 11 सालों के दौरान 2024-25 में ही सबसे बड़ी सफलताएं हाथ लगी है।
- 2019 से 2025 तक नक्सल प्रभावित राज्यों में 320 कैंप बनाए गए।
- मोदी सरकार के दूसरे और तीसरे टर्म में 68 नाइट लैंडिंग हैलीपैड बनाए गए हैं।
- फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन की संख्या जो 2014 में 66 थी वो अब 555 हो गई है।
साल 2014 से 2025 के आंकड़ों की बात करें तो 2014 में जहां 35 जिले नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित थे। अब इनकी संख्या घटकर 6 हो गई है। जबकि, सामान्य रूप से नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर 18 पहुंच गई है। मुठभेडों में मारे गए नक्सलियों की संख्या 63 से बढ़कर 2089 तक पहुंच गई है। साल 2024 में 928 और 2025 के पहले 4 महीनों में अब तक 718 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं।
चुनौती स्वीकार कर किया 2026 का वादा
साल 2019 में अमित शाह ने केंद्रीय गृह मंत्री का पदभार संभाला था। उस दौरान उन्होंने वामपंथी उग्रवाद यानी नक्सलवाद को देश की सुरभा के लिए बड़ा खतरा माना। उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और वादा किया कि वो मार्च 2026 तक देश को नक्सलियों से मुक्त कर देंगे। उसके बाद से लेकर अब तक हालात कोई भी हों लेकिन अमित शाह अपने वादे को नहीं भूले। इसके के अनुसार, विभिन्न सुरक्षा बल नक्सल प्रभावित इलाकों में कार्रवाई करते रहे और नक्सलियों को न्यूट्रलाइज किया। साफ ही मोदी-शाह की जोड़ी नक्सलवाद के खात्मे की ओर बढ़ रही है। इसका असर जमीन पर नजर आ रहा है।