शपथ एक गंभीर वादा है कि जनप्रतिनिधि भारत की संप्रभुता और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करेंगे। जब ये प्रतिनिधि इस शपथ का उल्लंघन करते हैं—सरकारी संस्थाओं को बदनाम करके या विदेशी हस्तक्षेप की मांग करके—तो वे जनता के विश्वास को तोड़ते हैं और लोकतंत्र की स्थिरता को खतरे में डालते हैं। ऐसे कार्य राष्ट्रीय एकता को कमजोर करते हैं, भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचाते हैं, और इनके खिलाफ कड़ी संवैधानिक और कानूनी कार्रवाई आवश्यक है।
हाल के वर्षों में कुछ भारतीय जनप्रतिनिधियों में एक खतरनाक प्रवृत्ति देखी गई है—देश, इसकी संस्थाओं और लोकतंत्र की बार-बार सार्वजनिक मंचों पर, खासकर विदेशों में, निंदा करना। यह न केवल भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह उस शपथ का भी घोर उल्लंघन है जो इन प्रतिनिधियों ने पद ग्रहण करते समय ली थी।
शपथ का महत्व: एक पवित्र वचन
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 99 और अनुच्छेद 188 के अनुसार, प्रत्येक सांसद (MP) और विधायक (MLA) को पद ग्रहण करने से पहले शपथ या प्रतिज्ञा लेनी होती है। यह शपथ संविधान की तीसरी अनुसूची में दी गई है:
“मैं, \[नाम], ईश्वर की शपथ लेता हूँ / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा, भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करूँगा, और जिस कर्तव्य का पालन मुझे करना है उसे निष्ठापूर्वक निभाऊँगा।”
यह शपथ केवल औपचारिकता नहीं है; यह भारत की एकता, अखंडता और संविधान के प्रति पूर्ण निष्ठा की गारंटी है।
शपथ उल्लंघन के उदाहरण
नीचे कुछ उदाहरण दिए गए हैं, जहाँ निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने इस शपथ का उल्लंघन किया:
1. राहुल गांधी (जर्मनी, 2018): विदेश में अल्पसंख्यक नीतियों की आलोचना कर भारत की छवि को नुकसान पहुँचाया।
2. राहुल गांधी (UK, 2023): विदेशी मंच से भारत में लोकतंत्र पर हमला बताया और विदेशी हस्तक्षेप की मांग की।
3. शशि थरूर (UK, 2015): सऊदी श्रमिक शिविरों को “गुलाग” कहकर भारत की नीतियों पर हमला किया, जिससे कूटनीतिक तनाव हुआ।
4. मणिशंकर अय्यर (पाकिस्तान, 2015): पाकिस्तानी मंच पर कहा कि मोदी को हटाने में पाकिस्तान मदद करे।
5. अरविंद केजरीवाल (भारत, 2016): सेना के सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाए, जिससे सेना की साख पर प्रश्नचिह्न लगा।
6. राहुल गांधी (UK, 2023): पेगासस जासूसी मामले को विदेश में उठाकर सरकार पर आरोप लगाए, बिना प्रमाण।
7. मणिशंकर अय्यर (पाकिस्तान, 2015): सावरकर की तुलना जिन्ना से कर भारत विरोधी बयान दिया।
8. राहुल गांधी (UK, 2023): कहा कि भारतीय लोकतंत्र को “निर्दयता से कुचला जा रहा है”, जिससे अंतरराष्ट्रीय संदेह पैदा हुआ।
9. राहुल गांधी (UK, 2023): कांग्रेस के बैंक खाते फ्रीज करने की बात कहकर सरकारी दमन का आरोप लगाया।
10. विभिन्न सांसद (2020–2022): विदेश मंचों पर संवैधानिक संस्थाओं की सार्वजनिक आलोचना की।
11. अरविंद केजरीवाल (भारत, 2016): सर्जिकल स्ट्राइक पर टिप्पणी के बाद स्याही फेंकी गई—जनता का विरोध।
12. राहुल गांधी (UK, 2023): सरकार पर असहमति दबाने और मीडिया नियंत्रण का आरोप लगाया।
भारत पर इनका नकारात्मक प्रभाव
इन कृत्यों का देश पर गहरा असर होता है:
- राजनयिक तनाव: विदेशों में भारत की गलत छवि पेश करने से द्विपक्षीय संबंधों में खटास आ सकती है।
- जन विश्वास की हानि: संवैधानिक संस्थाओं की बार-बार आलोचना से लोकतंत्र पर आम जनता का भरोसा टूटता है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा: सेना की कार्रवाई पर बिना प्रमाण आरोप लगाना दुश्मनों का मनोबल बढ़ा सकता है।
- राजनीतिक ध्रुवीकरण: ऐसे बयान समाज में विभाजन और अस्थिरता को बढ़ावा देते हैं।
वैश्विक संदर्भ: अन्य लोकतंत्रों में क्या होता है
दुनिया के प्रमुख लोकतंत्रों में शपथ उल्लंघन को गंभीर अपराध माना जाता है:
- संयुक्त राज्य अमेरिका: राष्ट्रीय हितों को कमजोर करने वाले जनप्रतिनिधियों पर महाभियोग चलाया जा सकता है या उन्हें जेल भेजा जा सकता है।
- यूनाइटेड किंगडम: संसद में राष्ट्रीय हित के विरुद्ध बोलने वालों को निलंबित या निष्कासित किया जा सकता है।
- ऑस्ट्रेलिया: शपथ के उल्लंघन पर निर्वाचित प्रतिनिधि की सदस्यता समाप्त हो सकती है और कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
निष्कर्ष
शपथ केवल शब्द नहीं है—यह देश के प्रति एक पवित्र वादा है। जब जनप्रतिनिधि इसका उल्लंघन करते हैं, तो वे लोकतंत्र की आत्मा को ठेस पहुँचाते हैं। भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में इस पवित्रता की रक्षा अत्यावश्यक है। सरकार को चाहिए कि शपथ उल्लंघन के मामलों में सख्त दंडात्मक प्रावधान लागू करे, ताकि भविष्य में कोई भी प्रतिनिधि राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने से पहले सौ बार सोचे। देश की संप्रभुता, गरिमा और लोकतांत्रिक स्थिरता की रक्षा के लिए यह अनिवार्य है।