असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य की कांग्रेस पार्टी पर एक बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए राजनीतिक माहौल को और अधिक गर्म कर दिया है। उन्होंने दावा किया है कि असम कांग्रेस को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित कई इस्लामिक देशों से सोशल मीडिया के ज़रिए प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, और यह केवल प्रचार भर नहीं बल्कि एक सुनियोजित ‘ऑनलाइन जिहाद’ का हिस्सा है। सरमा का कहना है कि यह साजिश आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में वातावरण को अस्थिर करने, धार्मिक ध्रुवीकरण फैलाने और मतदाताओं को प्रभावित करने के मकसद से की जा रही है। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब 2026 में संभावित विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों में तैयारियाँ तेज़ हो रही हैं और राज्य का राजनीतिक तापमान लगातार चढ़ता जा रहा है।
सोशल मीडिया पर विदेशी सक्रियता और ऑनलाइन जिहाद का दावा
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चौंकाने वाला दावा किया कि असम कांग्रेस के पक्ष में सोशल मीडिया पर एकाएक 5,000 से अधिक अकाउंट्स सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने बताया कि इन अकाउंट्स में अधिकांश की उत्पत्ति इस्लामी देशों से हुई है, जिनमें पाकिस्तान और बांग्लादेश प्रमुख रूप से शामिल हैं। यह सिर्फ संख्या की बात नहीं है, बल्कि यह भी उल्लेखनीय है कि इन अकाउंट्स की गतिविधि खासतौर पर असम कांग्रेस और एक विशिष्ट कांग्रेस नेता तक सीमित है, जबकि ये देशव्यापी कांग्रेस नेतृत्व, जैसे मया अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी, से संबंधित पोस्ट्स पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते। इससे संकेत मिलता है कि यह प्रचार योजनाबद्ध और निशाना साधकर किया जा रहा है। सरमा ने इस पूरी गतिविधि को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय करार देते हुए बताया कि उन्होंने इसकी जानकारी भारत सरकार को भी सौंप दी है ताकि आवश्यक जांच की जा सके।
लव जिहाद से आगे बढ़कर अब ‘ऑनलाइन जिहाद’ की चिंता
मुख्यमंत्री ने इस खतरे को केवल डिजिटल प्रचार तक सीमित न मानते हुए इसे विचारधारात्मक कट्टरता से जोड़ दिया। उन्होंने अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि लव जिहाद के बाद अब एक खास तबका “ऑनलाइन जिहाद” की योजना बना रहा है। उनका कहना था कि यह अभियान सुनियोजित रूप से हिंदू नामों से बनाए गए सोशल मीडिया अकाउंट्स के माध्यम से चलाया जा रहा है, जिनका उद्देश्य समाज को भ्रमित करना और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देना है। मुख्यमंत्री का यह भी आरोप है कि इन अकाउंट्स में धार्मिक कट्टरता और अंतरराष्ट्रीय इस्लामी एजेंडे से जुड़े संदेशों की भरमार है, जिससे राज्य की सामाजिक एकता को सीधा खतरा हो सकता है।
चुनावों के साये में संवेदनशील माहौल में हस्तक्षेप
मुख्यमंत्री सरमा ने जोर देकर कहा कि ये सोशल मीडिया अकाउंट्स एक व्यापक योजना के तहत काम कर रहे हैं और उनका एकमात्र उद्देश्य आगामी विधानसभा चुनावों से पहले असम की राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित करना है। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत चिंताजनक है कि इन सभी अकाउंट्स की गतिविधियाँ एक ही दिशा में केंद्रित हैं, यानी असम प्रदेश कांग्रेस और विशेष रूप से हाल ही में नियुक्त हुए एक वरिष्ठ नेता की पोस्ट्स पर। भले ही उन्होंने नाम नहीं लिया, लेकिन राजनीतिक हलकों में यह माना जा रहा है कि उनका इशारा गौरव गोगोई की ओर था, जिन्हें मई 2025 में असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। मुख्यमंत्री का यह दावा दर्शाता है कि इन गतिविधियों के पीछे किसी रणनीतिक साइबर प्रोपेगैंडा का संचालन किया जा रहा है जो सीधे-सीधे राज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
कट्टरपंथी प्रचार और अंतरराष्ट्रीय संलिप्तता के संकेत
सीएम सरमा ने आगे बताया कि इन सोशल मीडिया अकाउंट्स के ज़रिए न केवल कांग्रेस का समर्थन किया जा रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय इस्लामी कट्टरता को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि इन अकाउंट्स पर ‘प्रो-फिलिस्तीन’ प्रचार, ईरान के प्रति सहानुभूति और बांग्लादेश के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस से संबंधित पोस्ट्स बार-बार शेयर की जा रही हैं। इसका मतलब यह है कि यह महज़ चुनावी समर्थन तक सीमित नहीं, बल्कि एक वैश्विक राजनीतिक-धार्मिक नैरेटिव को आगे बढ़ाने का प्रयास भी हो सकता है। यह पहलू इसे सिर्फ एक घरेलू चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा और वैचारिक हस्तक्षेप का गंभीर मामला बनाता है।
पहली बार इस स्तर का विदेशी हस्तक्षेप- राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल
मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि असम की राजनीति में इस प्रकार का विदेशी दखल पहले कभी नहीं देखा गया है — वह भी इतने बड़े पैमाने पर और इतने सुनियोजित ढंग से। उनका कहना है कि 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले इस तरह की घुसपैठ न केवल राज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को चोट पहुंचा सकती है, बल्कि यह सीधे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को भी चुनौती देती है। सरमा ने जानकारी दी कि उन्होंने इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष रखा है और विस्तृत जांच तथा आवश्यक कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना था कि इस तरह की साइबर साजिशों को लेकर अब राज्यों और केंद्र को अधिक सतर्क और संगठित होकर कदम उठाने की आवश्यकता है, क्योंकि यह कोई साधारण चुनावी चाल नहीं बल्कि एक संभावित रणनीतिक खतरा है जो भारत की आंतरिक स्थिरता को नुकसान पहुँचा सकता है।