भारत का कपड़ा उद्योग अब वैश्विक फैशन सप्लाई चेन में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनकर उभर रहा है। वर्ष 2024–25 में कपड़ा निर्यात में 12.29 % की तेज़ वृद्धि दर्ज की गई, जो कुल ₹1.36 लाख करोड़ तक पहुंची -कोविड‑19 के बाद का यह दशक की सबसे बड़ी वार्षिक बढ़ोतरी है। इस सफलता का प्रमुख कारण है पश्चिमी ब्रांड्स का भारत की ओर बढ़ना, जिनमें JCPenney, Primark, GAP, Decathlon जैसे नाम शामिल हैं, जो चीन और बांग्लादेश के बजाय अब भारत को भरोसेमंद विकल्प मान रहे हैं । बांग्लादेश में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता के बीच अमेरिका ने उस पर 37% व्यापार टैरिफ लगाया, जबकि भारत पर यह केवल 27% रहा, इसने भारतीय उत्पादकों को वैश्विक बाजार में लागत‑दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ बना दिया । वहीं, भारत की सख्त नीतियाँ, गुणवत्ता मानक और समयबद्ध आपूर्ति ने भारत को अंतरराष्ट्रीय खरीददारों के लिए एक मजबूत और विश्वसनीय विकल्प बना दिया है।
वैश्विक ब्रांड्स का भारत की ओर रुख
पश्चिमी ब्रांड्स जैसे JCPenney, Primark, Next, GAP, Tommy Hilfiger, Decathlon आदि की आंख अब भारत पर टिक रही है । Shein, Delta Galil जैसे अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से लेकर भारतीय द्वारा री‑ब्रांडेड साझेदारियों तक – जैसे Reliance‑Shein – भारत आने को तत्पर हैं । स्थानीय स्तर पर, तिरुपुर, नोएडा, ओडिशा, महाराष्ट्र जैसे केंद्रों में बड़ी ऑर्डर वृद्धि देखी जा रही है।
उदाहरण के तौर पर, तिरुपुर में पिछले वर्ष ₹450 करोड़ के नए ऑर्डर आए , जबकि नोएडा में Zara जैसे ब्रांड्स का ऑर्डर 15 % बढ़ा । यह एक स्पष्ट संकेत है कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की प्रतिष्ठा और भरोसेमंदता में तेजी से इज़ाफा हुआ है।
बांग्लादेश की गिरावट, भारत का लाभ
पड़ोसी देश बांग्लादेश में राजनीतिक उथल‑पुथल, श्रमिक विरोध प्रदर्शनों और आर्थिक अस्थिरता ने वैश्विक ब्रांड्स को संकट के समय भारत की ओर रुख करने को प्रेरित किया है । परिणामस्वरूप, बांग्लादेश की RMG निर्यात वृद्धि दर गिरकर 5.34% रह गई जबकि उसी अवधि में भारत ने 13–17% का वृद्धि दर्ज की ।
सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक झटका तब लगा जब अमेरिका ने बांग्लादेश पर 37 % टैरिफ लगाया, जबकि भारत पर यह केवल 27 % रहा । इस भारी टैरिफ अंतर ने वैश्विक ब्रांड्स को भारत के प्रति आकर्षित किया — खालाबाज़ार में अधिक किफ़ायती विकल्प के रूप में। अमेरिकी खुदरा दिग्गजों जैसे Gap, Levi Strauss, Tommy Hilfiger ने भारत को प्राथमिकता देना शुरू किया ।
साथ ही, भारत द्वारा बांग्लादेश को दी जाने वाली ट्रांसशिपमेंट सुविधा को वापस लेना उसके निर्यात को और प्रभावित कर रहा है, जो भारत-प्रथम रणनीति को और भी मजबूत बनाता है ।
भारत की आपूर्ति श्रृंखला : विश्वसनीय विकल्प
भारत सरकार ने कपड़ा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, जिसमें PLI, RoSCTL, PM‑MITRA पार्क्स और आर्थिक क्षेत्रीय नीतियाँ शामिल हैं । इन पहलों से निवेश बढ़ा है, ऑटोमेशन बढ़ा है, और वैश्विक गुणवत्ता मानकों का अनुपालन सुधरा है।
इसके अलावा, अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड आयोग (USITC) ने भी भारत को राजनीतिक रूप से स्थिर और उच्च‑मूल्य उत्पादन हेतु प्राथमिक साझेदार के रूप में देखा है । भारत की लॉक‑इन क्षमता, समर्पित उत्पादन लिंक, और आंतरिक बाजार संरचना ने इसे एक भरोसेमंद रणनीतिक विकल्प बनाया है।
चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
भारत की सफलता के रास्ते में चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं:
- मजदूरी की उच्च लागत: भारत में औसत वर्कर सैलरी $180 प्रति माह है, जबकि बांग्लादेश में यह $139 है ।
- मांग‑अनिश्चितता: ब्रांड्स अपेक्षा करते हैं लागत और टाइमलाइन के मुताबिक उत्पादन – बिना किसी तरह के विचलन के ।
- नियम और प्रक्रिया में जटिलता: लाइसेंस, कस्टम प्रक्रियाएं, स्थानीय टैक्स नियम -इनमें गंभीर सरलीकरण की मांग है ।
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत 5‑7 % वैश्विक कपड़ा निर्यात की हिस्सेदारी हासिल कर सकता है, बशर्ते यह उत्पादन क्षमता, श्रम लागत, नियम-सरलीकरण और कौशल विकास के क्षेत्रों में सुधार करे ।
निष्कर्ष
बांग्लादेश में वर्तमान राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता, अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी और वैश्विक ट्रांसशिपमेंट श्रेणी में मौजूदा बदलाव ने भारत के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान किया है। भारत ने इसे समय रहते महसूस किया और इसे भरोसेमंद स्थिरता, निवेश-सक्षम नीतियाँ और वैश्विक गुणवत्ता मानदंड के तहत बदलकर उपयोग किया है।
फिलहाल भारत कपड़ा निर्यात में 2–3 % हिस्सेदारी रखता है, लेकिन निरंतर सुधार और उद्योग-जागरुकता से यह 5–7 % भी हो सकता है। इस प्रकार, अवसर भारत के लिए सर्वोच्च है – लेकिन इसे स्थायी बनाए रखने के लिए, सरकार, उद्योग और श्रमिकों को मिलकर काम करना होगा।