जम्मू-कश्मीर में आतंकी नेटवर्क पर शिकंजा कसते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गुरुवार सुबह शोपियां, कुलगाम, सोपोर और बारामूला समेत कई संवेदनशील इलाकों में 32 ठिकानों पर व्यापक तलाशी अभियान चलाया। एनआईए की यह कार्रवाई उन आतंकी साजिशों और ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) के नेटवर्क से जुड़ी है जो घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।
सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी उन इनपुट्स पर आधारित थी जो स्थानीय आतंकियों और विदेशी आतंकी संगठनों के बीच गुप्त समन्वय को लेकर सामने आए थे। एनआईए की यह कार्रवाई न सिर्फ आतंकी गतिविधियों की कमर तोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है, बल्कि यह घाटी में शांति और स्थिरता की दिशा में केंद्र सरकार की निर्णायक नीति का भी स्पष्ट संकेत देती है। इससे पहले स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने भी जम्मू संभाग के चार जिलों में 18 जगहों पर छापेमारी की थी, जो दर्शाता है कि सुरक्षा एजेंसियां अब सुनियोजित और समन्वित कार्रवाई के तहत आतंक के तंत्र को जड़ से उखाड़ने के मिशन में जुट चुकी हैं।
इस पूरे अभियान से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार तड़के से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में सुनियोजित छापेमारी की जा रही है। यह कार्रवाई 2022 में दर्ज एक विशेष मामले (RC-05/2022/NIA/JMU) से जुड़ी सूचनाओं के आधार पर शुरू की गई थी, जिसमें आतंकी साजिश और उससे जुड़े नेटवर्क के बारे में अहम सुराग सामने आए थे।
अधिकारियों के अनुसार, तलाशी अभियान का फोकस उन ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) पर है, जो विभिन्न आतंकी संगठनों के लिए स्थानीय स्तर पर संपर्क, सहयोग और संसाधन जुटाने का काम करते हैं। इस जांच का मकसद न केवल ऐसे सहयोगियों की पहचान करना है, बल्कि आतंकी तंत्र को जड़ से कमजोर करना भी है, जो लंबे समय से घाटी में शांति व्यवस्था के लिए चुनौती बने हुए हैं।
टेरर नेटवर्क की जड़ें हिलाने में जुटी एनआईए
एनआईए की आतंकवाद के खिलाफ मुहिम पिछले कुछ हफ्तों से बेहद सघन और रणनीतिक रूप से संचालित हो रही है। इससे पहले, 5 अक्टूबर को एनआईए ने पांच राज्यों के 22 ठिकानों पर एकसाथ छापेमारी की थी, जिनमें महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, असम और दिल्ली शामिल थे। यह कार्रवाई आतंकी साजिशों और टेरर फंडिंग के इनपुट्स के आधार पर की गई थी, जिसमें संदिग्ध जैश-ए-मोहम्मद नेटवर्क से जुड़े मामलों की जांच की जा रही थी।
इसी क्रम में, जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में मौलवी इकबाल भट के आवास पर भी छापेमारी की गई थी, जहां सुरक्षा बलों की मदद से NIA ने सघन तलाशी अभियान चलाया। यह कार्रवाई केवल आतंकियों के खिलाफ नहीं, बल्कि उनकी फंडिंग और स्थानीय समर्थन तंत्र को ध्वस्त करने की दिशा में एक स्पष्ट संकेत है। NIA की कार्रवाई का दायरा केवल घाटी तक सीमित नहीं रहा। 1 अक्टूबर को एजेंसी ने पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना, हावड़ा, नदिया, आसनसोल और कोलकाता के 11 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की थी। ये इलाके पिछले कुछ वर्षों में कट्टरपंथी गतिविधियों और संदिग्ध फंडिंग चैनलों को लेकर जांच एजेंसियों के रडार पर रहे हैं।
गौरतलब है कि ये सभी कार्रवाइयां ऐसे समय में हो रही हैं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 जून को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर जाने वाले हैं, जहाँ वे ₹46,000 करोड़ की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। ऐसे में, यह सुरक्षा एजेंसियों द्वारा एक स्पष्ट संदेश भी है कि विकास और आतंक एक साथ नहीं चल सकते, और सरकार घाटी में स्थायी शांति और भरोसे का माहौल कायम करने के लिए हर मोर्चे पर सक्रिय है।