बांग्लादेश की यूनुस सरकार इन दिनों चौतरफा दबाव में घिरती नज़र आ रही है, जिन स्टूडेंट्स नेता के कंधे पर बंदूख रखकर यूनुस ने सत्ता हासिल की थी वही अब उनके खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं। यही नहीं बांग्लादेश की आर्मी भी यूनुस को दिसंबर तक का अल्टीमेटम दे चुकी है, हालात इतने तनावपूर्ण हो चुके हैं कि खुद यूनुस को हाल ही में सार्वजनिक मंच से यह कहना पड़ा कि अगर ज़रूरत पड़ी तो वे इस्तीफा देने को तैयार हैं। लेकिन सिर्फ सत्ता का संकट ही नहीं, यूनुस सरकार पर देश की सामाजिक संरचना को कमजोर करने और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को नजरअंदाज करने के भी आरोप लगातार लग रहे हैं।
जिस दिन से यूनुस ने सत्ता संभाली है, उसी दिन से देश में असंतोष की लहर दिखने लगी थी। विशेष रूप से हिंदू और बौद्ध समुदायों को लेकर चिंता बढ़ी है। कई स्वतंत्र रिपोर्टों में सामने आया है कि अल्पसंख्यक इलाकों में हमले, मंदिरों पर तोड़फोड़ और सांप्रदायिक तनाव के मामले बढ़े हैं, जिन पर सरकार की प्रतिक्रिया या तो न के बराबर रही या बहुत ही सीमित।
ऐसे में चौतरफा घिरी यूनुस सरकार ने अब अब नया सियासी दांव चलते हुए1 जून 2025 को यूनुस सरकार ने एक गहरा सांस्कृतिक और राजनीतिक बदलाव कर दिया। यूनुस सरकार द्वारा नई करेंसी श्रृंखला जारी की गई जिसमें 1,000 टका, 50 टका और 20 टका के नोट शामिल थे। लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार, इन नोटों में जो सबसे अहम बात सामने आई, वह यह थी कि इन पर अब देश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर नहीं है। यह पहली बार है कि किसी बांग्लादेशी करेंसी नोट पर मुजीब की तस्वीर को पूरी तरह हटाया गया है।
सरकार के अधिकारियों का कहना है कि इस नई मुद्रा श्रृंखला में किसी भी मानव आकृति को स्थान नहीं दिया गया है। इसकी जगह पर प्राकृतिक दृश्य, ऐतिहासिक धरोहरें, मंदिरों, और सांस्कृतिक प्रतीकों को दर्शाया गया है ताकि “राष्ट्र की विविधता को रेखांकित किया जा सके”। लेकिन इस कदम को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं: क्या यह बदलाव देश की समावेशी पहचान को दर्शाता है, या फिर यह किसी विशेष राजनीतिक एजेंडे की बुनियाद रखता है?
हिंदू और बौद्ध मंदिरों की तस्वीरें
बांग्लादेश में करेंसी नोटों को लेकर किया गया हालिया बदलाव अब महज़ डिज़ाइन परिवर्तन नहीं, बल्कि एक राजनीतिक और सांस्कृतिक बयान बनता जा रहा है। एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, नए बैंक नोटों में अब हिंदू और बौद्ध मंदिरों, प्रसिद्ध चित्रकार दिवंगत जैनुल आबेदीन की कलाकृति, और राष्ट्रीय शहीद स्मारक की तस्वीरें शामिल की गई हैं, जो 1971 के लिबरेशन वार के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देती है। एक अन्य बैंक नोट पर पाकिस्तान के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए लोगों की याद में बने राष्ट्रीय शहीद स्मारक को दर्शाया जाएगा।
रविवार, 1 जून 2025 को नौ अलग-अलग मूल्यवर्गों में से तीन नोट 1,000 टका, 50 टका और 20 टका जारी किए गए, जबकि शेष नोटों को चरणबद्ध तरीके से प्रचलन में लाया जाएगा। इस बदलाव की आधिकारिक पुष्टि करते हुए आरिफ हुसैन खान ने कहा, “नए नोट केंद्रीय बैंक के मुख्यालय से जारी किए जाएंगे और बाद में देश भर में इसके अन्य कार्यालयों से जारी किए जाएंगे।”
यह बदलाव कोई नया प्रयोग नहीं है। यह पहली बार नहीं है कि बांग्लादेश की बदलती राजनीति को प्रतिबिंबित करने के लिए बैंक नोटों के डिज़ाइन में संशोधन किया गया हो। जब खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) सत्ता में थी, तब भी नोटों में ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थलों को दर्शाया गया था। 1972 में, जब बांग्लादेश ने पूर्वी पाकिस्तान से अपना नाम बदलकर स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में पहचान बनाई, तब जारी किए गए शुरुआती नोटों पर देश का मानचित्र छापा गया था यह उस नवगठित संप्रभुता का प्रतीक था। इसके बाद के वर्षों में, बैंक नोटों पर अवामी लीग के संस्थापक नेता और ‘राष्ट्रपिता’ कहे जाने वाले शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीरें दिखाई देने लगीं, जो देश की आज़ादी की कहानी के केंद्र में रहे।