भाजपा को सोशल मीडिया से लेकर लोकसभा तक राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में देरी को लेकर घेरने वाली कांग्रेस की खुद की हालत इतनी जर्जर है कि कई राज्यों में उसका संगठन पूरी तरह बिखर चुका है। गुटबाजी और अंदरूनी खींचतान ने पार्टी को जमीन पर लगभग निष्क्रिय कर दिया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है हरियाणा, जहां पिछले 11 वर्षों से प्रदेश कांग्रेस का स्थायी संगठन तक नहीं बन पाया है। जिसका नतीजा ये रहा कि कांग्रेस को हरियाणा में बीते 3 विधानसभा में हार की हैट्रिक मिली है। ऐसे में इसी डगमगाते ढांचे को दुरुस्त करने के इरादे से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी 4 जून को चंडीगढ़ दौरे पर आ रहे हैं। यहां वे हरियाणा कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। पहले यह कार्यक्रम 1 जून को होना था, लेकिन अब राहुल गांधी के कार्यालय की ओर से नई तारीख जारी की गई है। इस दौरे में संगठन की मजबूती और आपसी टकराव को खत्म करने की कोशिश होगी लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या राहुल गांधी 11 साल की निष्क्रियता और अंदरूनी कलह पर काबू पा सकेंगे, या फिर यह भी बन जाएगा एक और नाकाम राजनीतिक कवायद?
राहुल गांधी के दौरे का यह रहेगा शेड्यूल
कांग्रेस भले ही दिल्ली से लेकर सोशल मीडिया तक बीजेपी को संगठन और नेतृत्व को लेकर घेरती रही हो, लेकिन उसकी अपनी हालत कुछ और ही कहानी कहती है। हरियाणा जैसे राज्य में पार्टी पिछले 11 सालों से बिना संगठन के चल रही है। अंदरूनी खींचतान, गुटबाज़ी और नेतृत्व का अभाव इतना गहराया हुआ है कि ज़मीन पर कांग्रेस लगभग गायब सी हो चुकी है।
अब इस बिखरती तस्वीर को समेटने की एक और कोशिश होने जा रही है। 4 जून को राहुल गांधी चंडीगढ़ आ रहे हैं। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस दौरे में हरियाणा कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक करेंगे और इस बैठक का एजेंडा साफ है बिखरे संगठन को फिर से खड़ा करना और पार्टी में नई जान फूंकना।
बात करें अगर उनके शेड्यूल की तो राहुल गांधी सुबह 11:10 बजे दिल्ली से चंडीगढ़ के लिए एयर इंडिया की फ्लाइट से रवाना होंगे। उनका आगमन दोपहर 12 बजे हरियाणा कांग्रेस कार्यालय में तय है, हालांकि आखिरी वक्त में जगह बदली भी जा सकती है। इस दौरे की शुरुआत होगी सवा 12 बजे से पहले चरण में राहुल गांधी प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से आमने-सामने बात करेंगे। फिर 1:15 बजे से 2:15 बजे तक वे पार्टी के केंद्रीय और राज्य स्तरीय पर्यवेक्षकों के साथ संगठन को लेकर चर्चा करेंगे। दोपहर करीब 2:45 बजे वे वापस एयरपोर्ट के लिए रवाना हो जाएंगे।
इससे पहले, कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी बीके हरिप्रसाद चंडीगढ़ पहुंचकर माहौल संभालने की ज़िम्मेदारी लेंगे। उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष उदय भान और कार्यकारी अध्यक्ष जितेन्द्र भारद्वाज भी दिल्ली से रवाना हो चुके हैं। 3 जून को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी चंडीगढ़ पहुंचेंगे। विधानसभा कमेटियों की बैठक की वजह से ज्यादातर विधायक भी इसी दिन शहर में मौजूद रहेंगे।
लेकिन असल सवाल यह है क्या इन बैठकों से कुछ ठोस निकलेगा? क्या कांग्रेस आखिरकार हरियाणा में संगठन खड़ा कर पाएगी? क्या लंबे समय से लटके नेता प्रतिपक्ष के नाम पर कोई सहमति बन पाएगी? और सबसे अहम क्या पार्टी गुटबाज़ी की उस पुरानी बीमारी से बाहर निकलने की हिम्मत दिखा पाएगी, जो उसे सालों से अंदर ही अंदर खोखला कर रही है? हरियाणा कांग्रेस फिलहाल एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहाँ सिर्फ बैठकों या बयानों से काम नहीं चलेगा। अब कठिन और स्पष्ट फैसलों की ज़रूरत है। राहुल गांधी का यह दौरा इसलिए सिर्फ एक ‘प्रोग्राम’ नहीं, बल्कि एक गंभीर राजनीतिक इम्तिहान है। अब देखना यह होगा कि क्या इस बार वाकई कुछ बदलेगा… या फिर एक और दौरा बीते दौरों की तरह चुपचाप गुज़र जाएगा।
सोनिया भी कर चुकी हैं दखल
ये पहला मौका नहीं है जब राहुल गांधी हरियाणा कांग्रेस में मची अंदरूनी हलचल को थामने के लिए मैदान में उतर रहे हैं। अशोक तंवर के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भी उन्होंने पंचकूला के इंद्रधनुष ऑडिटोरियम में पार्टी नेताओं के साथ लंबी, मैराथन बैठकें की थीं। उस वक्त राहुल सिर्फ वरिष्ठ नेताओं तक सीमित नहीं रहे उन्होंने कांग्रेस सेवा दल, पंचायती राज विंग और अन्य विभागों के पदाधिकारियों से भी मुलाकात की थी। उनका मकसद था पार्टी को जड़ से मजबूत करना और भीतर की टूट को जोड़ना।
इससे पहले, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी हुड्डा सरकार के दौरान हालात को संभालने के लिए चंडीगढ़ का दौरा किया था। उन्होंने सीधे विधायकों के साथ बैठक कर संगठन में जारी टकराव को सुलझाने की कोशिश की थी। लेकिन इन तमाम प्रयासों के बावजूद पार्टी की अंदरूनी दरारें पूरी तरह भरी नहीं जा सकीं।