बिहार में मतदाता सूची के विशेष तीव्र पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर उठ रहे विवाद के बीच, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) अब पश्चिम बंगाल और नई दिल्ली में भी इसी तरह की प्रक्रिया अगस्त माह में शुरू करने की तैयारी कर रहा है। चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों ने रविवार को अखबार को यह जानकारी दी। चुनाव आयोग ने आखिरी बार पश्चिम बंगाल में 2002 और नई दिल्ली में 2008 में मतदाता सूची का सत्यापन किया था। एक सूत्र ने बताया, “चूंकि बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए हम समय रहते ही इस प्रक्रिया को शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं।”
नई दिल्ली के लिए 2008 की कट-ऑफ तारीख तय
नई दिल्ली के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण हेतु 16 मार्च 2008 की कट-ऑफ तारीख अधिसूचित की है। इसका मतलब यह है कि इस तारीख के बाद मतदाता सूची में जो भी नाम जोड़े गए हैं, वे अब सत्यापन की प्रक्रिया के तहत आएंगे। ऐसे मतदाताओं को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे, जिससे वे अपनी स्थिति मतदाता सूची में सुरक्षित रख सकें।
बिहार में सुचारू रूप से चल रही है SIR प्रक्रिया: चुनाव आयोग
बिहार में चल रही विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर आयोग ने कहा है कि यह सुचारू रूप से जारी है और इसका प्रारंभिक चरण पूरा हो चुका है। एक आधिकारिक बयान में ECI ने स्पष्ट किया, “यह दोहराया जाता है कि बिहार में SIR प्रक्रिया 24 जून को जारी निर्देशों के अनुसार ही चल रही है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित होने वाली प्रारूप मतदाता सूची में उन्हीं व्यक्तियों के नाम होंगे, जिनके नामांकन प्रपत्र प्राप्त हुए होंगे।” ECI ने बताया कि मतदाता 11 निर्दिष्ट दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज 25 जुलाई 2024 तक कभी भी जमा कर सकते हैं। आयोग ने कहा, “यदि प्रारूप मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद किसी दस्तावेज में कोई कमी पाई जाती है, तो ERO (मतदाता रजिस्ट्रीकरण अधिकारी) ऐसे मतदाताओं से दस्तावेज प्राप्त कर सकते हैं, जिनका नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल है, और यह दावे और आपत्ति की अवधि के दौरान किया जा सकता है।” पटना में बिहार के CEO कार्यालय में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “नई गाइडलाइन से आम लोगों को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि उन्हें दस्तावेज जमा करने के लिए करीब 45 दिनों की छूट दी गई है।”
SIR की आवश्यकता को लेकर CEC ने दी सफाई
देशभर में SIR की आवश्यकता को लेकर मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बीते चार महीनों में देश के सभी 4,123 EROs, 775 DEOs और 6 CEOs ने लगभग 5,000 बैठकें आयोजित की हैं, जिनमें 28,000 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने कहा, “ECI ने सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को संवाद के लिए आमंत्रित किया और यह सामने आया कि किसी भी दल ने मौजूदा मतदाता सूची की स्थिति से संतुष्टि नहीं जताई। हर किसी को किसी न किसी कारण से आपत्ति थी। मतदाता नामांकन फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 26 जुलाई 2024 रखी गई है।
महुआ मोइत्रा और RJD पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष तीव्र पुनरीक्षण (SIR) के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। एक समाचार एजेंसी से बातचीत में उन्होंने कहा, “ECI ने यह प्रक्रिया बिहार के वास्तविक युवा मतदाताओं को मतदाता बनने से वंचित करने के लिए शुरू की है। बाद में यह बंगाल को निशाना बनाएंगे।” अपनी याचिका में महुआ मोइत्रा ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट निर्वाचन आयोग को देश के अन्य राज्यों में इसी प्रकार के आदेश जारी करने से रोके। इसके अलावा राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) ने भी इस मामले में शीर्ष अदालत का रुख किया है।