कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार वजह है अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था को “डेड” (मरी हुई) कहे जाने पर राहुल गांधी की सहमति। ट्रंप के इस तीखे बयान के कुछ ही घंटों बाद राहुल गांधी ने संसद के बाहर कहा- “वह सही कह रहे हैं, यह सबको पता है सिवाय प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के। मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने सच्चाई को सामने रखा है।”
राहुल गांधी की इस टिप्पणी पर सत्ताधारी बीजेपी ने तो तीखी प्रतिक्रिया दी ही, खुद कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में भी साफ असहमति दिखाई दी। पार्टी के कई अनुभवी नेताओं ने इस बयान से खुद को अलग करते हुए राहुल की आलोचना की, जिससे यह साफ झलकता है कि पार्टी में नेतृत्व को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है।
कांग्रेस नेताओं ने किया बयान से किनारा
राहुल गांधी के इस बयान से यह संदेश गया कि उन्होंने भारत की वैश्विक आर्थिक छवि को नुकसान पहुँचाया है, और यह भारत के हितों के खिलाफ माना गया। कई वरिष्ठ नेताओं ने इस बयान को राष्ट्रीय हित और पार्टी लाइन के खिलाफ बताया।
शशि थरूर का संतुलित और राष्ट्रहित में बयान
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने राहुल गांधी की बात से अलग एक संतुलित और सकारात्मक टिप्पणी दी। उन्होंने कहा- “यह सिर्फ अमेरिका से बातचीत का एक हिस्सा है। भारत के पास कई व्यापारिक विकल्प हैं – हम ईयू, यूके और अन्य देशों से बातचीत कर रहे हैं। यदि अमेरिका की शर्तें हमारे हित में नहीं हैं तो हमें अन्य बाजारों की ओर रुख करना होगा। भारत पूरी तरह निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था नहीं है; हमारी घरेलू मांग भी मजबूत है।”
उन्होंने भारत की आर्थिक मजबूती और लचीलापन को रेखांकित किया और ‘डेड इकोनॉमी’ की धारणा को पूरी तरह खारिज कर दिया।
कार्ति चिदंबरम का ठंडा और रणनीतिक जवाब
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इस पूरे विवाद को अतिरंजित न मानते हुए कहा कि- “ट्रंप पारंपरिक राजनेता नहीं हैं। उनके बयान अक्सर अप्रत्याशित होते हैं। हमें ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए। यह बातचीत की शुरुआत का तरीका हो सकता है। सरकार को संयम बरतना चाहिए और रणनीतिक रूप से आगे बढ़ना चाहिए।”
मनीष तिवारी ने दी भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता की याद
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा- “भारत की रणनीतिक स्वायत्तता 1947 से चली आ रही है, जिसे कभी नेहरू की ‘गुटनिरपेक्षता’ कहा गया, बाद में इंदिरा गांधी की आत्मनिर्भर नीति और अब ‘आत्मनिर्भर भारत’। ट्रंप की टिप्पणियां इस पर कोई असर नहीं डाल सकतीं।”
उनका यह बयान इस ओर इशारा करता है कि कांग्रेस पार्टी में कई नेता राहुल गांधी की ट्रंप समर्थक टिप्पणी से असहमत हैं।
राजीव शुक्ला ने दी भारत की आर्थिक प्रगति की याद
कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने भी ट्रंप के “डेड इकोनॉमी” वाले बयान को गलत ठहराते हुए कहा:
“भारतीय अर्थव्यवस्था कभी भी मृत नहीं रही। आर्थिक सुधार पी.वी. नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह ने शुरू किए, जिसे अटल बिहारी वाजपेयी और फिर दोबारा मनमोहन सिंह ने आगे बढ़ाया। आज भी सरकार ने इस दिशा में काम किया है। ट्रंप का यह दावा पूरी तरह भ्रमपूर्ण है।”
प्रियंका चतुर्वेदी ने भी जताई नाराज़गी
शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, जो कांग्रेस के गठबंधन की सहयोगी हैं, ने भी कहा- “भारत दुनिया की टॉप 5 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। इसे डेड इकोनॉमी कहना या तो अहंकार है या अज्ञानता।”
कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर गहराता संकट
राहुल गांधी द्वारा ट्रंप के भारत विरोधी बयान का समर्थन करना न सिर्फ एक राजनीतिक चूक माना जा रहा है, बल्कि यह कांग्रेस पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर चल रहे असंतोष को भी उजागर करता है। शशि थरूर, कार्ति चिदंबरम, मनीष तिवारी और राजीव शुक्ला जैसे वरिष्ठ नेताओं की असहमति यह दिखाती है कि राहुल गांधी पार्टी में एकजुटता और समर्थन खोते जा रहे हैं।
यह मामला केवल एक गलत बयान से कहीं ज्यादा बड़ा है। यह कांग्रेस के भीतर राहुल गांधी की लाइन और सोच को लेकर असहमति का संकेत है, जो अब सार्वजनिक रूप से सामने आ रही है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या कांग्रेस अब भी राहुल गांधी को अपना निर्विवाद नेता मानती है, या वह धीरे-धीरे एक ऐसी स्थिति में पहुंच रहे हैं, जहां पार्टी उन्हें बोझ मानने लगी है?