बौद्ध बहुल देश थाईलैंड और कंबोडिया की विवादित सीमा पर एक बार फिर खतरनाक हिंसा भड़क उठी है। दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ गए हैं और हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि थाईलैंड ने गुरुवार को कंबोडियाई सैन्य ठिकानों पर फाइटर जेट्स तक भेज दिए। वहीं, समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को थाईलैंड और कंबोडिया के सैनिकों ने विवादित सीमावर्ती क्षेत्रों में से एक पर एक-दूसरे पर गोलीबारी की और थाईलैंड मीडिया ने इन झड़पों में कम से कम 9 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है। इस ताज़ा टकराव की शुरुआत उस समय हुई जब बुधवार को एक बार फिर थाई सैनिक बारूदी सुरंग की चपेट में आ गए। इसमें 5 सैनिक घायल हुए और एक ने अपना पैर गंवा दिया। इससे पहले 16 जुलाई को भी ऐसा ही एक हादसा हुआ था जिसमें एक थाई सैनिक का पैर कट गया था।
कैसे शुरू हुआ यह विवाद?
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर तनाव का यह हालिया विवाद कोई नया नहीं है। इसकी जड़ें औपनिवेशिक दौर से जुड़ी हैं, जब सीमाएं यूरोपीय ताकतों ने अपने हिसाब से खींची थीं। अब वही विवाद एक बार फिर हिंसक रूप ले चुका है और हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। 1863 से 1953 तक कंबोडिया फ्रांस का उपनिवेश रहा था। उस समय फ्रांसीसी नक्शानवीसों ने थाईलैंड और कंबोडिया के बीच जो सीमाएं तय कीं, उनमें 1907 के एक समझौते के तहत ‘पानी बहाव रेखा’ (watershed line) को सीमा मान लिया गया। लेकिन थाईलैंड ने बाद में इस पर आपत्ति जताई क्योंकि यह नक्शा 11वीं सदी के प्रसिद्ध शिव मंदिर प्रीह विहियर को कंबोडिया की सीमा में दिखाता था।
मंदिर बना विवाद की जड़
1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने फैसला सुनाया कि प्रीह विहियर मंदिर कंबोडिया का हिस्सा है। लेकिन थाईलैंड का कहना है कि मंदिर के आस-पास का इलाका अब भी विवादित है। थाईलैंड ICJ के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है और दावा करता है कि सीमा पर कुछ क्षेत्रों का कभी भी पूरी तरह से सीमांकन नहीं किया गया, जिनमें कई प्राचीन मंदिरों के स्थल भी शामिल हैं। यही बात अब तक दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बनी हुई है।
UNESCO की मान्यता से बढ़ा गुस्सा
2008 में जब कंबोडिया ने इस मंदिर को UNESCO विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दिलवाई, तो थाईलैंड में नाराजगी फैल गई। इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच कई बार गोलीबारी हुई। 2008 से 2011 तक सीमा पर जबरदस्त झड़पें हुईं और करीब 36,000 लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े। 2011 में कंबोडिया ने फिर से ICJ का दरवाजा खटखटाया ताकि 1962 के फैसले को और स्पष्ट किया जा सके। 2013 में अदालत ने दोहराया कि मंदिर कंबोडिया का ही है लेकिन मंदिर के आसपास के इलाके को लेकर कोई साफ फैसला नहीं दिया गया।
प्रीह विहियर मंदिर की विशेषताएं
UNESCO की वेबसाइट के मुताबिक, प्रीह विहियर मंदिर कंबोडिया के मैदानों पर छाए हुए एक पठार के किनारे स्थित है और यह भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर लगभग 800 मीटर लंबे रास्ते पर बने कई मंदिरों (sanctuaries) की श्रृंखला है, जिन्हें सीढ़ियों और रास्तों (pavements) से जोड़ा गया है। इसका निर्माण मुख्य रूप से 11वीं सदी में हुआ था लेकिन इसकी शुरुआत 9वीं सदी में एक पवित्र आश्रम के रूप में हुई थी।
इस जगह की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह आज भी अच्छी हालत में है, जिसका एक मुख्य कारण इसका दूर-दराज़ और पहाड़ी इलाका है। यह मंदिर अपनी शानदार वास्तुकला के लिए जाना जाता है, जो प्राकृतिक वातावरण और धार्मिक उद्देश्य के अनुसार बहुत सुंदर ढंग से बनाई गई है। इसके अलावा, मंदिर की पत्थरों पर की गई नक्काशी भी बेहद बारीक और सुंदर है, जो इसे एक विशेष सांस्कृतिक धरोहर बनाती है।
मई 2025 में फिर भड़की हिंसा
मई 2025 में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत के बाद तनाव फिर से बढ़ गया। इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए। कंबोडिया ने थाईलैंड से आने वाली बिजली, इंटरनेट, फल और सब्जियों पर रोक लगा दी। गुरुवार को स्थिति और गंभीर हो गई जब थाई रक्षा मंत्रालय ने बताया कि कंबोडिया की ओर से की गई तोपों की गोलीबारी में थाईलैंड के सुरिन प्रांत में एक आम नागरिक की मौत हो गई और तीन लोग घायल हो गए, जिनमें एक 5 साल का बच्चा भी शामिल है।
इसके जवाब में थाईलैंड ने उबोन रचठानी प्रांत से छह लड़ाकू विमान भेजकर कंबोडियाई सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए। ये झड़पें सुरिन और कंबोडिया के ओद्दार मींचे प्रांत की सीमा के पास दो मंदिरों के बीच हुईं।
बातचीत में नहीं निकली कोई राह
हाल ही में 14 जून को कंबोडिया की राजधानी फ्नॉम पेन्ह में दोनों देशों के बीच संयुक्त सीमा आयोग (Joint Boundary Commission) की बैठक हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका। दोनों देशों के नेता हिंसा की निंदा तो कर रहे हैं, लेकिन कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है। थाई प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि वे हालात और बिगड़ने की स्थिति में वैकल्पिक योजनाएं बना रहे हैं। दूसरी ओर, कंबोडिया ने आसियान (ASEAN) से राजनयिक हस्तक्षेप की मांग की है और सीमा पर और सैनिक तैनात कर दिए हैं।