गाज़ियाबाद के मधुबन बापूधाम थाने में तैनात एक पुलिस कांस्टेबल सुहैल खान इन दिनों चर्चा में हैं। जन्माष्टमी के दिन उन्होंने एक मंदिर में जाकर सेल्फी ली और उसे अपने व्हाट्सऐप स्टेटस पर डाल दिया। इस वीडियो की वजह से उन्हें ड्यूटी से हटा दिया गया है और अब उनके खिलाफ जांच चल रही है।
धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप
यह वीडियो तब विवाद में आ गया जब उसमें बैकग्राउंड में एक इस्लामिक वाक्य चल रहा था – “ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मदुर रसूलुल्लाह”, जिसका मतलब है – “अल्लाह के सिवा कोई पूजा के लायक नहीं है।”
यह वीडियो व्हाट्सऐप स्टेटस से निकलकर सोशल मीडिया पर फैल गया और बहुत तेजी से वायरल हो गया। इसके बाद कुछ हिंदू संगठनों और लोगों ने कहा कि यह काम जानबूझकर किया गया है और इससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।
हिंदू रक्षा दल जैसे संगठनों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। संगठन के अध्यक्ष पिंकी चौधरी ने आरोप लगाया कि कांस्टेबल सुहैल खान अपनी वर्दी का इस्तेमाल इस्लाम का प्रचार करने और लोगों का धर्म बदलवाने के लिए कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर गुस्सा, पुलिस को करनी पड़ी कार्रवाई
जैसे-जैसे यह मामला बढ़ा, कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने गाज़ियाबाद पुलिस को टैग करके कार्रवाई की मांग की। इसके बाद सुहैल खान के खिलाफ कई हैशटैग और पोस्ट वायरल हो गए, जिनमें उनके खिलाफ सख्त कदम उठाने की बात कही गई।
पुलिस कमिश्नर आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि इस मामले की जांच एसीपी कविनगर को सौंपी गई है। जांच पूरी होने तक सुहैल खान को ड्यूटी से हटा दिया गया है और अब वह ‘बेंच ड्यूटी’ पर हैं, यानी फिलहाल उन्हें कोई फील्ड काम नहीं दिया गया है।
साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि उन्होंने यह काम जानबूझकर किया था या नहीं, और क्या इससे पुलिस विभाग के नियमों का उल्लंघन हुआ है।
डिजिटल व्यवहार पर सख्त नियमों की ज़रूरत
यह घटना दिखाती है कि वर्दी में काम करने वाले लोगों की सोशल मीडिया पर की गई कोई भी बात बहुत संवेदनशील हो सकती है। पुलिसकर्मियों से यह उम्मीद की जाती है कि वे सभी धर्मों के प्रति बराबर और निष्पक्ष व्यवहार करें।
हालांकि सुहैल खान की यह पोस्ट उनकी निजी थी, लेकिन उसमें धर्म से जुड़ा मामला होने की वजह से यह विवाद बढ़ गया। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों से यह सीख मिलती है कि पुलिसकर्मियों को सोशल मीडिया इस्तेमाल करते समय ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए और उन्हें इस बारे में सही प्रशिक्षण भी मिलना चाहिए।
निजी पोस्ट और पेशेवर ज़िम्मेदारी में संतुलन ज़रूरी
इस समय यह मामला हमें यह सिखाता है कि एक छोटी सी डिजिटल पोस्ट भी बड़ा विवाद बना सकती है, खासकर जब उसमें धर्म से जुड़ी कोई बात हो। वर्दी में काम करने वालों के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे अपनी निजी राय और अपने काम की ज़िम्मेदारी के बीच सही संतुलन बनाए रखें।